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काशी में शिवभक्तों ने श्मशान पर खेली भस्म की होली, जलती चिताओं के बीच बही फाग गीतों की बयार
वाराणसी(Uttar Pradesh ). भगवान शिव की नगरी काशी में होली की अनुराग शुरू हो गया है। बुधवार को भगवान शिव और मां पार्वती के गौने के साथ ही शिवभक्तों को होली खेलने की परमीशन मिल गई। अब काशी में होली अपने पूरे शबाब पर है। गुरूवार को शवभक्तों द्वार श्मशान घाट पर चिता भस्म की होली खेली गई। हजारों की संख्या में शिवभक्तों ने एक दूसरे पर चिताभस्म फेंक कर होली खेली गई। शिवभक्तों द्वारा शिवधुन की थिरकन ने लोगों का मन मोह लिया। काशी के आलावा दूर से दूर से लोग इस ऐतिहासिक और भक्तिमय माहौल में शिरकत करने पहुंच रहे हैं।
| Published : Mar 06 2020, 05:12 PM IST / Updated: Mar 06 2020, 05:15 PM IST
काशी में शिवभक्तों ने श्मशान पर खेली भस्म की होली, जलती चिताओं के बीच बही फाग गीतों की बयार
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रंगभरी एकादशी पर भूतभावन बाबा भोलेनाथ के गौने के दूसरे दिन काशी में उनके गणों के द्वारा चिता भस्म की होली की मान्यता है। रंगभरी एकादशी के मौके पर गौरा को विदा करा कर कैलाश ले जाने के साथ ही भगवान भोलेनाथ काशी में अपने भक्तों को होली खेलने और हुडदंग की अनुमति प्रदान करते हैं। गुरूवार को चिताभस्म होली काशी में चल रही है।
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शुक्रवार दोपहर महाश्मशान पर चिता भस्म की होली खेली गई। उससे पूर्व सुबह से ही बाबा मशाननाथ की विधि विधान पूर्वक पूजा का दौर शुरु हुआ तो चारों दिशाएं हर-हर महादेव से गूंज उठीं। देश-विदेश से आए सैलानी ही नहीं बल्कि बाबा के गणों का रुप धरे लोगों ने भी मशाने की होली खेलकर परंपराओं का निर्वहन किया।
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मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं। लिहाजा यहां पर मृत्यु भी उत्सव है और होली पर चिता की भस्म को उनके गण अबीर और गुलाल की भांति एक दूसरे पर फेंककर सुख-समृद्धि-वैभव संग शिव की कृपा पाने के लिए करते हैं।
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काशी में परंपरागत चिता भस्म की होली की तैयारियां एक दिन पूर्व ही पूरी कर ली गईं। मणिकर्णिका घाट के अलावा इस बार हरिश्चंद्र घाट पर भी चिता भस्म की होली खेली गई । राग विराग और परंपराओं का उत्सव चिता भस्म की होली खेलने दूर दूर से उनके भक्त गण काशी पहुंच गए है।
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मणिकर्णिका के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया कि हर बार की तरह होली परंपरागत रूप से इस बार भी मनायी जा रही है। काशी में यह सदियों की परंपरा अनवरत जारी है। सबसे पहले सुबह भगवान शिव के प्रतीक बाबा मशाननाथ का मणिकर्णिका घाट पर मंदिर में भव्य श्रृंगार कर पूजन के बाद बाबा को भाेग और प्रसाद दिया गया। उसके बाद होली का उत्सव शुरू हुआ।
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ढोल, मजीरे और डमरुओं की थाप के बीच भक्तगण जमकर झूमे और हर-हर महादेव से महाश्मशान गूंज उठा । इससे पहले घाट पर स्थित बाबा मसाननाथ की आरती की गई। एक ओर धधकती चिताएं तो दूसरी ओर गीतों के बीच शिव भक्तों ने चिता भस्म की होली खेल कर मोक्ष की नगरी काशी में अनूठी मिसाल पेश की।