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बेनकाब होंगे गैंगस्टर विकास दुबे के राजनीतिक 'आका', SIT के हाथ होगी मददगारों की गर्दन
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कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव में दो-तीन जुलाई की रात में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपित विकास दुबे की मदद करने वाले चौबेपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी विनय तिवारी के साथ क्षेत्र के दारोगा केके शर्मा तो जेल में हैं। अब बारी विकास दुबे के अन्य मददगार अधिकारियों के साथ उसको राजनीतिक शरण देने वालों की है।
अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी ने पहले ही दिन ही अपने तेवरों से जाहिर कर दिया कि काले कारोबार को चलाने वाले गैंगस्टर विकास दुबे पर मेहरबान रहे अफसरों पर शामत आने वाली है। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ एसआईटी के सदस्य हैं। इनसे शासन ने 31 जुलाई तक जांच रिपोर्ट तलब की है।
एसआइटी विकास दुबे और उसके सहयोगियों के पूरे साम्राज्य की कुंडली खंगालने में जुट गई है । तय समय में रिपोर्ट देने की मंशा को एसआईटी ने गठन होने के अगले ही दिन घटनास्थल पर पहुंचकर जाहिर कर दिया है। विकास दुबे और उसके साथियों की काली कमाई से जुटाई गई संपत्तियों का ब्योरा जुटाने के लिए ईडी की एक टीम दोबारा कानपुर जाने की तैयारी में है।
विकास दुबे के खौफ के साए में जी रहे लोगों को सुरक्षा का भरोसा देने के बाद SIT के सामने ग्रामीणों का दर्द सामने आने लगा है। किसी ने अपनी जमीन पर कब्जे की शिकायत की तो किसी ने थाने में पीटने की जानकारी दी। SIT ने ग्रामीणों से भी विकास की करतूतों पर चर्चा की। विकास और उसके गुर्गे नहीं हैं तो गांव के लोगों ने खुलकर बात रखी।
ग्रामीण गफूर ने बताया कि 1993-94 में उन्होंने राशन नहीं मिलने की शिकायत की थी। इसके बाद विकास ने शिवली थाने बुलवाया। पुलिस की मौजूदगी में उसे थाने के भीतर पीटा गया। सुशील पांडेय ने बताया कि पहले उनके पिता अटल बिहारी पांडेय ग्राम प्रधान हुआ करते थे। विकास ने बूथ कैप्चरिंग कराकर प्रधानी पर कब्जा किया तो अभी तक उसके चंगुल से मुक्त नहीं हो पाई। उसके भय से लोग वोट डालने से कतराते थे।
एसटीएफ ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो मददगारों से पूछताछ की। इनमें से एक ने विकास की एक मुकदमे में जमानत भी ली थी। दोनों ने एसटीएफ को बताया कि बिकरू कांड के बाद विकास दुबे से उनका सम्पर्क नहीं हुआ था। इन दोनों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। इन दोनों को लखनऊ के कृष्णानगर और बंथरा से बुलाया गया था। यह लोग विकास के सम्पर्क में पिछले दस वर्ष से थे।
विकास दुबे की अकूत संपत्ति के मामले में राजस्व विभाग की टीम भी एसआईटी के रडार पर है। कानपुर को साथ लखनऊ में जमीनों पर कब्जे और उसकी खरीद-फरोख्त में प्रशासनिक अमले के सहयोग से इनकार नहीं किया जा सकता।
विकास दुबे के काले कारोबार को दबाने के मामले के साथ ही उसको पुलिस की दबिश की जानकारी देने के मामले में पुलिस ने आठ जुलाई को ही चौबेपुर के तत्कालीन थानेदार विनय तिवारी व बीट इंचार्ज दारोगा केके शर्मा को 120बी के तहत गिरफ्तार किया था। विनय तिवारी पर विकास दुबे के बचाव का आरोप है। इसके साथ केके शर्मा को विकास ने फोन पर पुलिस टीम गांव में ना भेजने की हिदायत दी थी। केके शर्मा को डर है कि पुलिस कहीं उसका भी एनकाउंटर न कर दे।