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राम मंदिर की नींव होगी 200 फीट गहरी, दुनिया के किसी मंदिरों से नहीं हो सकती तुलना, ये है तैयारी
अयोध्या ( Uttar Pradesh) । राम मंदिर की तुलना दुनिया के अन्य किसी मंदिर से न हो को लेकर तैयारी की गई है, जिसकी भव्यता देखते ही बनेगी। भूमि पूजन के बाद सबसे पहले मूल मंदिर का ढांचा खड़ा करने पर ही फोकस है। इसके लिए दो सौ फुट गहराई में नींव की खुदाई की जाएगी और स्तम्भ खड़े किए जाएंगे। जानकार बता रहे हैं कि टीले पर स्थित रामजन्मभूमि के निर्माणाधीन मंदिर को भूकंप रोधी बनाने के लिए गहराई में नींव खोदी जाएगी। नींव भरने के बाद मंदिर का ढांचा खड़ा किया जाएगा।
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राम मंदिर मॉडल के शिल्पकार निखिल सोमपुरा का कहना है कि रामजन्मभूमि की तुलना दुनिया के दूसरे मंदिरों से नहीं हो सकती है। हर मंदिर की अपनी शैली व कलात्मकता के स्थापत्य कला भी अलग है। मंदिर की ऊंचाई भी मायने नहीं रखती, क्योंकि शास्त्रीय मर्यादा के अन्तर्गंत निर्माण की बाध्यता का अपना महत्व है।
वास्तुविद सोमपुरा ने बताया कि राम जन्मभूमि का मंदिर मॉडल नागर शैली में बना है। उत्तर भारत में यही शैली प्रचलित है। इस मंदिर के निर्माण में प्राचीन वैदिक परम्परा के सभी मानकों का पालन किया गया जाएगा।
राम मंदिर के निर्माण के बाद यह अपने आप में अदभुत होगा और उस समय तुलनात्मक समीक्षा करने वाले करेंगे। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि मंदिर के शिखर की परछाई कभी जमीन पर नहीं आनी चाहिए। इसका शास्त्रीय निषेध है।
राम मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ जमीन मिली है। जिसके हिसाब से मंदिर क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है।
मास्टर प्लान में मंदिर की भूमि को छोड़कर शेष भूमि पर यात्री सुविधाओं का विकास दर्शनीय स्थल एवं भगवान के जीवन चरित्र का गुणगान करते हुई कहानियों के चलचित्र भी डिजिटल से संचालित होंगे।
मंदिर परिसर में कथा सत्संग के लिए भी स्थान तय किया जाएगा। पुजारियों व कर्मचारियों के आवास की व्यवस्था भी परिसर में होगी।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तय किया है कि राम मंदिर का निर्माण होने में जो निर्धारित समय है, वह तो लगेगा ही। लेकिन, जो कार्य हो, वह विधिक प्रक्रिया के तहत हो। इसके लिए ट्रस्ट ने मंदिर का नक्शा भी स्वीकृत कराने का निर्णय लिया है।
मास्टर प्लान का ले-आउट जल्द ही तैयार कर नक्शा स्वीकृत कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। अनुमान है कि मंदिर का विधिक रीति से शुल्क एक से डेढ़ करोड़ रुपये होगा।