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ये है संत रविदास मंदिर,जहां प्रियंका और अखिलेश ने टेका मत्था,PM Modi, राहुल और केजरीवाल भी कर चुके हैं दर्शन
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सप्ताह भर तक नहीं बुझता है चूल्हा
बताते चले कि संत रविवाद जी की जयंती पर हर साल पांच से सात दिन का अटूट लंगर चलाया जाता है। लंगर के लिए एक बार चूल्हा जलता है तो जयंती तक बुझता ही नहीं। लंगर का लगातार काम सीर गोवर्धन में चलता रहता है, जैसा कि इस बार 23 फरवरी से चल रहा है।
एक साथ 2 हजार लोग कर सकते हैं लंगर
लंगर की रसोइ में मिठाई और मठरी बनाने का काम काफी तेजी से चल रहा है। ट्रस्टी के एल सरोए ने बताते हैं कि इस बार संगत कम होने के कारण 1500-2000 सेवादार लगे हैं। श्रद्धालुओं के लिए तीन लंगर हॉल बनाए गए हैं, जिसमें एक साथ 2000 लोग बैठकर खाना खा सकते हैं। मैनेजर निर्मल सिंह ने बताते कि आटा, चावल, दाल, चीनी, घी, तेल, रिफाइंड, देशी घी भी पंजाब से आ चुका है।
कोरोना काल में भी नहीं बंद हुआ था लंगर
संत की जन्मस्थली पर अब तो साल भर लंगर चलता रहता है। यहां आने वाले भक्त और श्रद्धालुओं को प्रेम से लंगर छकाया जाता है। कोरोना काल मे भी यहां पर लंगर चलता रहा। मैनेजर निर्मल सिंह ने बताते कि कोरोना काल में आसपास की बस्ती और जरूरतमंद लोगों के खाने की व्यवस्था की गई थी। यहां साल भर 50 से लेकर हजार लोगों के लंगर की व्यवस्था की जाती है।
दूसरी बार प्रियंका तो पहली बार अखिलेश टेंकें मत्था
संत रविदास की जन्म स्थली सीरगोवर्धन में उनकी 644वीं जयंती के दिन शनिवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी दर्शन पूजन करने पहुंचीं। बता दें कि वो साल 2020 में भी यहां आई थी और लंगर भी किया था। वहीं, पहली बार सपा मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मत्था टेकने पहुंचें। दोनों ही अलग अलग समयों पर रैदासियों और संत निरंजनदास से मुलाकात भी किए।
(फाइल फोटो)
बताते चले कि 22 फरवरी 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी अलग-अलग दर्शन करने पहुंचे थे।
(फाइल फोटो)
नवंबर 2011 में राहुल गांधी दर्शन पूजन करने आए थे और लंगर भी खाए थे। जबकि इसके पहले 21 फरवरी 2008 को बसपा प्रमुख मायावती संत रविदास मंदिर में दर्शन पूजन को पहुंची थी। तब उन्होंने सोने की पालकी का अनावरण किया था।
(फाइल फोटो)