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सैल्यूट करने वाली कहानी: पति की मौत एक दिन बाद ही गरीबों खाना बांटने जाने लगी पत्नी, कहा-कोई भूखा ना रहे
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दरअसल, किशोर कांत तिवारी गरीब और असहाय लोगों की मदद करने के लिए जाने जाते थे। लोग उनको रोटी वाले भैया के नाम से पुकारते थे। लेकिन कोरोना की चपेट में वह भी आ गए। तबीयत बिगड़ने के बद उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया था। आखिर में वह जिंदगी की जंग हार गए।
पत्नी निहारिका ने बताया कि किशोर ने मेरी गोद में दम तोड़ा है। उनके आखिर शब्द थे कि गरीबों को की जा रही सेवा बंद नहीं होना चाहिए। कोई भी भूखा नहीं सोना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि आपके सपने को मैं पूरा करूंगी। 15 अप्रैल की मौत के एक दिन बाद ही निहारिका ने सेवा भाव की सारी जिम्मेदारियों को कंधे पर ले लिया। वह काशी के अस्पतालों, सड़को, घाटों, रेलवे स्टेशन पर भूखे लोगों को खाना बांटने लगीं। इतना ही नहीं किशोर के नेपाल में रहना वाला एक दोस्त रोशन पटेल नौकरी छोड़कर काशी आ गए और निहारिका का साथ देने लगे। (फाइल फोटो, किशोर कांत तिवारी)
निहारिका ने कहा कि मैंने किशोर के अंतिम संस्कार के बाद ही फैसला कर लिया था कि शहर में कोई आदमी भूखा नहीं रहेगा। जब मैं इस काम को करने लगी तो पड़ोसी और समाज के लोगों ने ताना भी मारे। किसी ने कहा कि कैसी पत्नी है, पति को मरे 24 घंटे भी नही बीते और वह खाना बांटने जा रही है। निहारिका ने कहा कि हमारी शादी 2018 में हुई थी। किशोर ने अस्सी घाट पर एक भूखे को कचरे से उठा कर खाना खाते देखा था। तो उन्होंने ठान लिया था कि ऐसे लोगों को वह खाना खिलाएंगे। इसके लिए किशोर ने शादी, बर्थ डे-पार्टीट का बचा हुआ खाना लाकर बांटना शुरू कर दिया था। (फाइल फोटो, किशोर कांत तिवारी)
किशोर को इस काम में शहर के लोगों ने भी मदद की। सोशल मीडिया पर लोगों का सपोर्ट मिलता गया और किशोर ने इस तरह रोटी बैंक बनाया। रोटी बैंक के लिए BHU के पूर्व प्रोफेसर ने रामनगर में किचन भी बनवा दिया है। अब इस टीम से कई लोग जुड़ चुके हैं। रोजाना शाम को करीब 300 से 400 लोगो का भोजन बाटा जाता है। (फाइल फोटो, किशोर कांत तिवारी)
काशी में लॉकडाउन के दौरान गरीबों को खाना खिलाते हुए अपनी टीम के साथ किशोर कांत तिवारी (फाइल फोटो)