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कौन हैं धर्मांतरण का पाठ पढ़ाने वाले IAS इफ्तिखारुद्दीन, कैसा रहा 36 साल तक रुतबा, जानिए चर्चित किस्से
कानपुर। उत्तर प्रदेश के Senior IAS अफसर मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन धर्मांतरण का पाठ पढ़ाने के वीडियो वायरल होने के बाद चर्चा में हैं। इन वीडियो में वे कथित सरकारी आवास पर धर्म परिवर्तन को लेकर तकरीरें की जा रही हैं। धर्मांतरण के फायदे गिनाए जा रहे हैं। मामला सामने आने के बाद इफ्तिखारुद्दीन पर सवालिया निशान लग रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसआईटी की टीम जांच कर रही है। इसे 7 दिन के अंदर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। लेकिन, यह Senior IAS अफसर इफ्तिखारुद्दीन आखिर हैं कौन? कहां के रहने वाले हैं? और कब से यूपी में तैनात हैं ? आइए, हम आपको बताते हैं।
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दरअसल, IAS इफ्तिखारुद्दीन वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Transport Corporation) में चेयरमैन के तौर पर पदस्थ हैं। वे यहां पिछले साल 14 फरवरी 2020 को तैनात किए गए थे। इफ्तिखारुद्दीन मूल रूप से बिहार के सिवान जिले के रहने वाले हैं। शुरुआत में पटना में रहकर पढ़ाई की। बीए ऑनर्स के बाद उन्होंने IAS का एग्जाम दिया और 26 अगस्त 1985 को उनका IAS में सेलेक्शन हुआ। उन्हें यूपी कैडर मिला, तब से वे 36 साल से लगातार बड़े और महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टेड रहे। 7 अगस्त 1989 को सीनियर स्केल मिला। इससे पहले करीब 36 से ज्यादा महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रह चुके हैं।
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बताते हैं कि इफ्तिखारुद्दीन बहुत शांत और सरल स्वभाव के दिखने वाले अफसर हैं, मगर धर्म को लेकर उनकी कट्टरता किसी से छिपी नहीं है। ये उनके पहनावे और रहन-सहन से भी देखने को मिलता है। उनके कपड़े पहनने से लेकर दाढ़ी रखने का तरीका बाकी IAS अफसरों से अलग बनाता है। चेहरे पर लंबी दाढ़ी और टखने से थोड़ी ऊपर पैंट उठी देखने को मिलती है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इफ्तिखारुद्दीन लोगों से ज्यादा घुलते-मिलते नहीं थे। किसी भी सवाल के जवाब में वे नपे-तुले शब्दों में बात करते थे। 3 साल पहले तक कानपुर में तैनाती के दौरान उनके सरकारी आवास पर बहुत कम लोगों की एंट्री थी। यूपी के एक पत्रकार दावा करते हैं कि इफ्तिखारुद्दीन अखिलेश सरकार के वक्त काफी ताकतवर रहे। तब उन्हें हमेशा बड़ी पोस्टिंग मिली। कानपुर में ही वे करीब 8 साल तक अलग-अलग पदों पर रहे।
कानपुर में जिला प्रशासन कवर करने वाले एक सीनियर पत्रकार के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में एक दावा किया गया है। ‘साल 2015 में इफ्तिखारुद्दीन कानपुर के कमिश्नर थे। वे रमजान में रोजा रखे थे। ऐसे में उनके दफ्तर और सरकारी आवास पर किसी भी कर्मचारी को कुछ भी खाने-पीने की इजाजत नहीं होती थी। यहां तैनात कर्मचारी को आवास के अंदर एक सीमा से आगे नहीं जाने दिया जाता था। जिसे भी कुछ खाना होता था तो वह आवास परिसर के बाहर जाकर ही खाता था।
शुक्रवार को कमिश्नर कार्यालय के कर्मचारियों ने एसआईटी के सामने बयान दर्ज कराए। बताया कि इफ्तिखारुद्दीन हनुमानजी को बंदर कहकर बुलाते थे। वे पूजा करने पर भी जलील किया करते थे। कहते थे कि एक जानवर की पूजा करने से तुम लोगों का इंसान बने रहना मुश्किल है। पद के आगे कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। एक अन्य कर्मचारी ने बताया था कि इफ्तिखारुद्दीन के पास एक ग्वाल टोली का युवक आता-जाता था। वह उनके (इफ्तिखारुद्दीन) साहित्य का प्रचार-प्रसार करता था। उसकी कैंप कार्यालय से लेकर दफ्तर तक हनक थी।
IAS इफ्तिखारुद्दीन का कानपुर के ग्वालटोली इलाके में आना-जाना रहता था। यहां इस्लाम को लेकर बैठकें होती थी। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में रमईपुर मेगा लेदर क्लस्टर से जुड़े एक बड़े चमड़ा कारोबारी ने भी इफ्तिखारुद्दीन से नजदीकियों का खूब फायदा उठाया। गंगा में दूषित जल प्रवाहित करने पर कार्रवाई हुई तो उसने इफ्तिखारुद्दीन से पैरवी करवाई। तब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी को IAS ने फटकार लगाई थी।
• सबसे पहली पोस्टिंग 1989 में देहरादून डेवलपमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन के रूप में हुई।
• इसके बाद 1990 में मेडिकल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट में जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर तैनाती मिली।
• साल 1992 में प्रयागराज भेजा गया और एक्साइज डिपार्टमेंट में एडिशनल कमिश्नर बनाया गया।
• साल 1993 में आगरा आए। यहां यूपी स्टेट लेदर डिवेलपमेंट एंड मार्केटिंग कॉर्पोरेशन में मैनेजिंग डायरेक्टर बने।
• 1993 में ही इरीगेशन डिपार्टमेंट में जॉइंट सेक्रेटरी बनाया गया। बाद में प्रमोशन मिला और स्पेशल सेक्रेट्री बन गए।
• साल 1994 में सुल्तानपुर के डीएम बनाए गए। 2 साल तैनात रहे।
• 1995 में टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में स्पेशल सेक्रेटरी बनाए गए। कुछ दिन बाद बहराइच के डीएम बने।
• 5 महीने बाद माइनॉरिटी वेलफेयर के डायरेक्टर नियुक्त हुए।
• 1996 में उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बने। कुछ दिनों बाद फर्रुखाबाद के डीएम बनाए गए।
• बाद के दिनों में इफ्तिखारुद्दीन आजमगढ़ और सुल्तानपुर के कमिश्नर भी रहे।
• साल 2007 में कमिश्नर एंड डायरेक्टर इंडस्ट्रीज के रूप में कानपुर आए। फिर लगातार कानपुर में ही विभिन्न पदों पर 2017 तक तैनाती रही।
• 14 फरवरी 2014 से लेकर 22 अप्रैल 2017 के आखिर तक इफ्तिखारुद्दीन कानपुर में मंडलायुक्त बनकर रहे।
• योगी सरकार आने के बाद उनका लखनऊ ट्रांस्फर किया गया।
• सचिवालय में खेलकूद और आरईएस विभाग में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बनाए गए।
• 14 फरवरी 2020 को उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन बनाए गए।
सोशल मीडिया पर 27 सितंबर को सबसे पहले एक वीडियो सामने आया। इसमें सफेद कपड़े पहने कुछ लोग तकरीर करते देखे जा रहे हैं। एक शख्स धर्मांतरण के फायदे गिना रहा है। बाद में पता चला कि ये शख्स सीनियर IAS अफसर इफ्तिखारुद्दीन (Iftikharuddin)हैं। बाद में दो और वीडियो वायरल हुए। इनमें कुछ ऐसी बातें भी कही जा रही हैं जो समुदाय विशेष की भावनाएं आहत कर सकती हैं। पहले वीडियो में एक सुसज्जित कमरे में सफेद कुर्ता-पजामा पहने शख्स बैठा है। बाकी अन्य लोग जमीन पर बैठे हैं। ये शख्स संबोधित कर रहा है- ‘अल्लाह ने हमें उत्तर प्रदेश के तौर पर ऐसा सेंटर दिया है, जहां से पूरे देश-दुनिया में काम कर सकते हैं।’ उसके बाद वे इस्लाम में होने के फायदे गिनाते हैं। कहते हैं- ‘ऐलान करो दुनिया के इंसानों से कि अल्लाह की बादशाहत और निजामियत पूरी दुनिया में कायम करनी है।’ दूसरे वीडियो में वे जमीन पर बैठे दिखते हैं। एक वक्ता कहता है- ‘पंजाब में एक व्यक्ति ने इस्लाम कबूल कर लिया। मैंने उनको इस्लाम कबूल करने के लिए दावत नहीं दी थी। मैंने उनसे इस्लाम कबूल करने की वजह पूछी।’ये वक्ता कई मनगढ़ंत कहानियां भी सुनाता है। वह कहता है- ‘इस्लाम में बहन-बेटियों को जलाया नहीं जाता।’तीसरे वीडियो में IAS इफ्तिखारुद्दीन पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की किताब का जिक्र करते हैं। वह कहते हैं- ‘ऐलान करो बताओ पूरी दुनिया के इंसानों को कि अल्लाह और रसूल के मिशन को आगे बढ़ाएं।’ अल्लाह के नूर का ईद नाम होना है। पूरे ज़मीं पर अल्लाह का निज़ाम दाखिल होना है। कैसे होगा- यहां पर जो इंसान बैठे हैं, इनको यह काम करना चाहिए। जरूर करना चाहिए नहीं तो अल्लाह इनको पकड़ेगा।’ हालांकि Asianet News किसी वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता।