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दावाः चीन के लैब से ही फैला कोरोना, वहीं काम करने वाला वर्कर बना था पहला मरीज, 2018 से ही चल रही थी साजिश
| Published : Apr 16 2020, 01:09 PM IST / Updated: Apr 16 2020, 05:12 PM IST
दावाः चीन के लैब से ही फैला कोरोना, वहीं काम करने वाला वर्कर बना था पहला मरीज, 2018 से ही चल रही थी साजिश
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यही है वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी। यह चीन के सबसे बड़े रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में एक है। कहा जा रहा है कि इसी इंस्टीट्यूट में कोरोना वायरस को बनाया गया।
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वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में साइंटिस्ट्स एक्सपेरिमेंट मे लगे हैं। यहां काम करने वालों को बेहद कड़ी सुरक्षा में रहना होता है।
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काफी ताकतवर माइक्रोस्कोप से कोरोना वायरस को देखा जा सकता है। यह कुछ इस तरह का दिखता है। अमेरिका को यह संदेह है कि इसे चीन ने किसी खास मकसद से बनाया है।
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वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में लैब में एक्सपेरिमेंट में लगी एक साइंटिस्ट। ये वैज्ञानिक कई तरह के सुरक्षा उपकरणों से लैस रहते हैं।
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अमेरिका का कहना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोरोना के खतरे के बारे में दुनिया के दूसरे देशों को देर से जानकारी दी।
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अमेरिका की आर्मी के ज्वाइंट चीफ चेयरमैन जनरल मार्क मिले वर्जीनिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए। उनके साथ डिफेंस सेक्रेटरी मार्क एस्पर दिख रहे हैं। इनका मानना है कि चीन ने कोरोना के बारे में सच्चाई दुनिया से छिपाई है।
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वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में एक्पेरिमेंट का काम कर रहे दो साइंटिस्ट। कहा जा रहा है कि इन वैज्ञानिकों ने ही कोरोना वायरस को लैब में बनाया।
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वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में एक्सपेरिमेंट में लगा एक साइंटिस्ट। इन लोगों को काफी सावधानी के साथ काम करना पड़ता है और पूरी सेक्रेसी मेंटेन करनी होती है।
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वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम कर रही दो महिला वैज्ञानिक। इन्हें अपनी सुरक्षा के लिए कई तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
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लैब में हर काम बहुत ही गोपनीय तरीके से किया जाता है। वहां से किसी जानकारी का बाहर निकल पाना आसान नहीं।
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वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी चीन के सबसे बड़े संस्थानों में से एक है। इसे बनाने में 15 साल का समय लगा और अरबों रुपए खर्च किए गए।