इस देश में पानी की जगह यूज करते हैं टॉयलेट पेपर, अब दिन में 36 बार कोरोना करवा रहा हैंडवॉश
हटके डेस्क। दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो टॉयलेट जाने के बाद भी हाथ नहीं धोते। अमेरिका और यूरोप के देशों मे लोग शौच के बाद पानी की जगह टॉयलेट पेपर का यूज करते हैं। वेस्टर्न कल्चर के बढ़ते प्रभाव के चलते अब भारत और चीन जैसे देशों के बड़े-बड़े शहरों में लोग टॉयलेट पेपर का यूज करने लगे हैं, लेकिन यह हाइजीन के लिहाज से ठीक नहीं होता। इससे कई तरह के जर्म्स शरीर से चिपके रहते हैं, जिनका हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। साफ-सफाई को लेकर सिर्फ आम लोग ही लापरवाही नहीं बरतते, बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी ऐसा करते पाए गए हैं। साल 2015 में अमेरिकी एक्ट्रेस जेनिफर लॉरेंस ने यह कह कर लोगों को चौंका दिया था कि वे टॉयलेट जाने के बाद कभी हाथ नहीं धोतीं। वहीं, अमेरिकी न्यूज चैनल पॉक्स न्यूज के एंकर पीट हेगसेथ ने यह कहा था कि उन्हें याद नहीं पड़ता कि पिछले 10 सालों में उन्होंने कभी टॉयलेट जाने के बाद हाथ धोए हैं या नहीं। जब सेलिब्रिटीज का ये हाल है तो आम लोगों की हालत के बारे में अंदाजा लगया जा सकता है। 2015 में की गई एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया में करीब 26.2 फीसदी लोग टॉयलेट जाने के बाद साबुन स हाथ नहीं धोते हैं। इंग्लैड, फ्रांस और यूरोप के दूसरे देशों में ऐस लोगों की काफी संख्या है, जो टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ का कहना है कि दुनिया में क़रीब 3 अरब लोग ऐसे हैं, जिनके पास हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की सुविधा नहीं है। तस्वीरों में देखें और जानें कि हाथ नहीं धोने से कितने नुकसान हैं और ऐसा लोग क्यों करते हैं।
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अमेरिका और यूरोप के देशों में ज्यादातर लोगों की आदत है कि वे टॉयलेट का यूज करने के बाद साबुन से हाथ नहीं धोते, लेकिन कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद वे हाथ धोने की आदत अपना रहे हैं।
यूरोप और अमेरिका में कोरोना महामारी फैलने के बाद अब लोग हाथों की सफाई को लेकर सजग हो गए हैं। वे बार-बार हाथ धो रहे हैं।
साल 2015 में अमेरिकी एक्ट्रेस जेनिफर लॉरेंस ने यह कह कर लोगों को चौंका दिया था कि वे टॉयलेट जाने के बाद कभी हाथ नहीं धोतीं।
ज्यादातर भारतीय लोग टॉयलेट पेपर का यूज नहीं करते हैं। वे टॉयलेट जाने के बाद पानी का ही इस्तेमाल करते हैं। इसलिए उन्हें उन जगहों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है, जहां टॉयलेट में पानी का इंतजाम नहीं होता।
ब्रिटेन में अब लोगों की औसत उम्र 80 साल है। 1850 में ब्रिटेन के लोगों की औसत उम्र 40 वर्ष हुआ करती थी। इसी समय हाथ धोने के फायदे के बारे में सबसे पहले प्रचार शुरू हुआ था।
ये यूरोप की मॉडल और सोशलाइट जैकी हांग हैं। इनका कहना है कि वे भी टॉयलेट जाने के बाद सोप से हाथ नहीं धोतीं और ना ही रोज नहाना जरूरी समझती हैं।
ये फ्रांस के सेलिब्रिटी और सोशल वर्कर किट वॉलेन रसेल हैं। इनका कहना है कि वे भी टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोते।
अमेरिका में रहने वाले ब्लैक लोगों में भी साफ-सफाई की आदत नहीं पाई जाती। अब कोरोना वायरस महामारी के चलते ये अपनी आदत में सुधार लाने को मजबूर हो गए हैं।
अमेरिका में अफ्रीकी मूल के लोग ज्यादातर स्लम बस्तियों में रहते हैं। यहां साफ-सफाई की सुविधा की कमी होती है। कोरोना महामारी फैलने के बाद इन स्लम बस्तियों में साफ-सफाई के लिए सार्वजनिक तौर पर हैंड सैनेटाइजर की सुविधा मुहैया कराई गई है।
अरब कंट्रीज में लोग साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं। यह उनकी परंपरा और धार्मिक रीति-रिवाजों से जुड़ा हुआ है।