गजब जुगाड़: एक गड्ढा खोदकर पैदा कर दी बिजली...पूरे गांव में मिल रही 24 घंटे फ्री
लोहरदगा, झारखंड. यूट्यूब पर फालतू वीडियो देखकर अपना समय बर्बाद करने वाले यही सोचते हैं कि इंटरनेट लोगों को बिगाड़ता है। लेकिन जिनमें कुछ अलग करने का जुनून होता है, वे यूट्यूब को अपना गुरु मान लेते हैं। 28 साल के एक युवक ने देसी जुगाड़ (Desi jugaad science) के जरिये बिजली पैदा करने की ठानी। उसने टरबाइन तकनीक सीखने के लिए यूट्यूब का सहारा लिया। इसके बाद उसने गांव की ढलान वाली जगह पर एक गड्ढा खोदा। उसमें टरबाइन स्थापित किया और आज गांव में 24 घंटे मुफ्त बिजली मिल रही है। रखरखाव पर जो थोड़ा-बहुत खर्चा होता है, वो सब मिलकर भर देते हैं। हैरानी की बात यह है कि यह युवक कोई इंजीनियर नहीं हैं। यह हैं इंटर पास कमिल टोपनो। इस प्रोजेक्ट में करीब 12 हजार रुपए खर्च हुए। यह 2500 बॉट की बिजली का उत्पादन करता है। पढ़िए देसी जुगाड़ की यह अद्भुत कहानी...
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आपको बता दें कि देश के थर्मल पॉवर प्लांट्स को सबसे ज्यादा कोयला झारखंड से ही मिलता है। बावजूद यहां के कई गांव आज भी बिजली के लिए परेशान होते हैं। खैर, कमिल टोपनो ने इसके लिए किसी का मुंह नहीं तांका। उसने खुद टरबाइन बनाया और पानी से बिजली पैदा कर दी।
खड़िया गांव के ठकुराइन डेरा टोले में करीब 100 परिवार रहते हैं। उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि कभी उनके गांव तक बिजली पहुंचेगी। लेकिन कमिल के जुगाड़ के कमाल ने पूरा गांव रोशन कर दिया।
कमिल के प्रोजेक्ट को देखकर अफसर भी हैरान हैं। किस्को के बीडीओ संदीप भगत ने कहा है कि पहाड़ी इलाकों में बिजली पहुंचाना वाकई टेड़ी खीर है। लेकिन कमिल के इस प्रोजेक्ट ने एक आस जगाई है। अफसर उसका अवलोकन करके ऐसे ही टरबाइन अन्य गांवों में लगाएंगे।
कमिल ने बिरसा मुंडा कॉलेज खूंटी से इंटर सांइस की पढ़ाई की है। वे बीसीसीएल धनबाद में पैथोलॉजी के टेक्नीशियन हैं। कमिल ने बताया कि उन्होंने किताबों में पढ़ा था कि पानी के प्रेशर से कैसे टरबाइन से बिजली पैदा की जा सकती है? बस उसी पर अमल किया।
कमिल ने यूट्यूब पर टरबाइन बनाने की तकनीक पढ़ी। 2014 में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। फिर दोस्तों के साथ मिलकर गांव के पास कच्चा बांध बनाकर ऑयरा झरिया नदी का पानी रोका। करीब 100 फीट का गड्ढा बनाया और उसमें टरबाइन स्थापित किया। आगे पढ़ें-बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली...
रांची, झारखंड. इसे कहते हैं दिमाग की बत्ती जल जाना! ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं। केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था।