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यह है एशिया की सबसे लंबी टू-वे टनल की कहानी, यहां ऊंचाई है 1578 फीट और टेम्परेचर -20 से नीचे
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के बाद बॉर्डर पर सड़कें बिछाने का काम जारी है। वहीं, श्रीनगर और लद्दाख को जोड़ने वाले दुनिया के खतरनाक रास्ते में से एक जोजिला दर्रा पर एशिया की सबसे लंबी टनल तैयार हो रही है। उम्मीद है कि टनल का एक हिस्सा इसी साल तक खोल दिया जाएगा। बता दें कि अभी लद्दाख तक पहुंचना आसान नहीं होता। कश्मीर की द्रास घाटी और लद्दाख को जोड़ने वाला 108 किमी जोजिल दर्रा बेहद खतरनाक है। कुछ जगहों पर तो यह मौत के किसी सरकस से कम नहीं है। यह 443 किमी लंबे श्रीनगर-लेह राजमार्ग का हिस्सा है। यह मार्ग आधे साल बंद रहता है। एक तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, तो दूसरी ओर गहरी खाइयां..इस मार्ग का हिस्सा हैं। यहां चलने वालीं बर्फीली हवाएं अच्छे-खासों का जोश ठंडा कर देती हैं। फिर भी देखिए कि भारतीय सेना जोखिम उठाकर सरहद की सुरक्षा करने वहां पहुंचती है। चीन की हरकतों को देखते हुए टनल के निर्माण को जल्द पूरा करने की योजना है। इस टनल के निर्माण पर करीब 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। करीब 14.150 किमी लंबी इस टनल के निर्माण के बाद भारी बर्फबारी के बावजूद लद्दाख पहुंचना आसान होगा। जिस मार्ग को पार करने में अभी 3.30 मिनट लगते हैं, उसे सिर्फ 15 मिनट में पार किया जा सकेगा। आइए जानते हैं जोजिला टनल के बारे में....
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यह टनल 1,578 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस समय यहां टेम्परेचर माइनस 20 डिग्री है। जोजिला टनल को पूरा करने इस समय यहां 150 इंजीनियर साजो-सामान के साथ मौजूद हैं।
सोनमर्ग में 6.5 किमी लंबी जेड मोड़ टनल का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। यहां 70 से अधिक अफसर तैनात हैं। चीन की हरकतों को देखते हुए टनल को तीन साल के बजाय इसी साल पूरा करने का लक्ष्य है।
इस टनल का 70 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है। यह टनल श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग को सोनमर्ग से गगनगिर को जोड़ेगी। यह मार्ग दुनिया के खतरनाक रास्तें में शामिल है। यहां अकसर हिमस्खलन होता रहता है।
मई, 2015 में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, लेकिन आर्थिक संकट के चलते 2018 में काम रोकना पड़ा था। 2019 में एप्को इंफ्राटेक ने यह प्रोजेक्ट अपने हाथ लिया और अब जुलाई 2020 में फिर से कार्य प्रगति पर है।
इस टनल के पहले हिस्से में 2.5 किमी लंबी सुरंग इसी साल बनकर तैयार हो जाएगी। जबकि पूरी सुरंग बनने का टारगेट 2024 रखा गया है।
टनल के सिर्फ इतने हिस्से के निर्माण पर 33,000 टन स्टील के साथ 4250 टन विस्फोटक और 3.5 लाख मीट्रिक टन कंक्रीट लगेगा। इस टनल के बनने के बाद भारत की सरहद पर चौकसी आसान हो जाएगी।
अभी देखिए किस तरह रेंगते हुए निकलते हैं यहां से वाहन। जरा-सी चूक हुई कि गाड़ी गई गहरी खाई में।
यह रास्ता साल में आधे दिन बंद रहता है। यहां एक तरफ ऊंची पहाड़ियां हैं, तो दूसरी तरह गहरी खाई।