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एक्सपेरिमेंट के नाम पर गर्भवती बंदरियों को खिलाई जा रही सूअर की चर्बी, इन तस्वीरों ने उड़ाई PETA की नींद
हटके डेस्क: दुनिया अभी कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लगी है। इस वायरस के लिए कई देश वैक्सीन तैयार कर रहे हैं। आज तक जब भी रिसर्चर्स कोई नया एक्सपेरिमेंट करते हैं तो उसे इंसान के ऊपर यूज करने से पहले जानवरों पर किया जाता है। इनमें चूहों से लेकर बन्दर और दूसरे जानवर शामिल हैं। लेकिन कई बार ये मामला सामने आया है कि इन लैब्स में एक्सपेरिमेंट के नाम पर जानवरों को टॉर्चर किया जाता है। हाल ही में यूएस के ऑरेगोन के हिल्सबोरो में स्थित नेशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर से कुछ खौफनाक तस्वीरें सामने आईं। यहां लैब में एक्सपेरिमेंट के नाम पर बंदरों पर कहर बरपाया जा रहा है। खासकर प्रेग्नेंट बंदरियों पर। पेटा ने इन तस्वीरों के आधार पर लैब रिसर्चर्स को फटकार लगाते हुए जांच शुरू कर दी है।
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जानवरों से दुर्व्यवहार के इतिहास वाली एक ऑरेगोन लैब पर गर्भवती बंदरों पर 'क्रूर' प्रयोग करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें उन्हें लार्ड खाने और उन्हें निकोटीन और शराब की लत लगवाने के लिए मजबूर किया गया है। लार्ड सूअर की चर्बी होती है, जिसमें काफी मात्रा में फैट होता है।
ऑरेगोन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (ओएचएसयू) में स्थित हिल्सबोरो में नेशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर में जापानी बंदरों पर अपने प्रयोगशाला में किये जा रहे प्रयोगों के लिए पशु अधिकार का हनन किया जा रहा है। इसके कारण पेटा ने उन्हें जमकर फटकार लगाई।
इस लैब पर बीते 1 साल में जानवरों पर अत्याचार को लेकर तीन बार मामले दर्ज हो चुके हैं। इसके बावजूद फिर से इस लैब से ये तस्वीरें सामने आई हैं। इस लैब में कई बंदरों की जान इन एक्सपेरिमेंट्स के दौरान जा चुकी हैं।
रिकार्ड्स के मुताबिक, इस लैब में अभी गर्भवती बंदरियों को हाइ फैट डाइट दिया जा रहा है। इस डाइट के कारण उनका और बन्दर के बच्चों पर क्या असर पड़ेगा, ये जानने की कोशिश की जा रही है।
साथ ही इन बंदरों को जानकर टॉर्चर किया जा रहा है। इसके बाद रिसर्चर्स ये पता लगाते हैं कि इन जानवरों पर टॉर्चर का कितना स्ट्रेस और एंजाइटी देखा जा सकता है।
पेटा ने लैब पर इल्जाम लगाया कि एक्सपेरिमेंट के नाम पर अब लैब ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी है। जानवरों को जो फैट खिलाया जा रहा है, उससे ना सिर्फ इनपर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि बच्चों पर भी प्रभाव डाल रहा है।
ऐसा कई बार सामने आ चुका है कि एक्सपेरिमेंट के नाम पर इन बेजुबानों को दर्द दिया जाता है। हाल ही में कोरोना की वैक्सीन का भी पहला ट्रायल बंदरों पर ही किया गया। जब ये ट्रायल बंदरों पर सक्सेसफुल हुआ, तब जाकर इसे इंसान पर किया गया।