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इस मस्जिद के अंदर रखे हैं ताबूत ही ताबूत, हो चुकी हैं इतनी मौतें कि लाशों को रखने की नहीं बची है जगह
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बर्मिघंम के स्मॉल हीथ स्थित सेंट्रल जामिया मस्जिद घमकोल शरीफ में कोरोना से मौत का शिकार हो चुके लोगों के शवों को रखने के लिए कॉफीन रखता मास्क और ग्लव्ज पहना एक वॉलन्टियर।
मस्जिद में हर तरफ कॉफीन ही कॉफीन दिख रहे हैं। ब्रिटेन में कोरोना से अल्पसंख्यक लोगों की काफी मौतें हुई हैं।
कोरोना से मौत का शिकार हुए लोगों के शवों को रखने के लिए टेंट का मुर्दाघर बनाया गया है। यहां चारों तरफ कॉफीन ही दिखाई पड़ रहे हैं।
मस्जिद के बाहर शवों को रखने के लिए टेंट का मुर्दाघर बनाया गया है। इसमें सैकड़ों लाशें रखी गई हैं।
लाशों को सुरक्षित रखने के लिए फ्रिज का इंतजाम किया गया है। मॉस्क और ग्लव्ज पहने एक वॉलन्टियर काम में व्यस्त नजर आ रहा है।
ऐसा बुरी हालत पहले कभी पैदा नहीं हुई थी। कोरोना से इतनी ज्यादा मौतें होने से लोगों में खौफ है।
टेंट में कॉफीन को रखने के इंतजाम में वॉलन्टियर्स लगे हैं। कोरोना से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है।
मस्जिद में बनाए गए टेंट के मुर्दाघर के अंदर जा रहा एक वॉलन्टियर। लाशों को सुरक्षित रखना एक बड़ी समस्या है। इसके लिए कई तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं।
टेंट के बनाए गए टेम्पररी मुर्दाघर से बाहर निकलता एक वॉलन्टियर। ये वॉलन्टियर यहां दिन-रात काम में लगे हैं। अपनी सुरक्षा का भी इन्हें काफी ख्याल रखना पड़ता है।
टेंट का बना यह मुर्दाघर काफी बड़ा है। यहां कॉफीन में शवों को रखा गया है। हर तरफ मौत का भयावह सन्नाटा पसरा हुआ है।
इतने शवों को दफनाने का इंतजाम करना आसान नहीं है। इस काम के लिए ज्यादा वॉलन्टियर भी नहीं हैं।
बर्मिंघम के वेस्ट मिडलैंड स्थित मस्जिद और उसके बाहर बने टेंट के मुर्दाघर का एक दृश्य। इस संकट से जूझना अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए आसान नहीं है।