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शायद ही कभी खत्म हो पाए कोरोना! दुनिया में फैला इस वायरस का 35 हजार रूप, अभी तक नहीं बना 1 का भी वैक्सीन
हटके डेस्क: दुनिया को कोरोना ने तबाह कर दिया है। हर दिन के साथ इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अभी तक इससे संक्रमित लोगों की संख्या 20 लाख 91 हजार पार कर चुकी है। साथ ही मरने वालों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ते हुए 1 लाख 35 हजार पार कर चुका है। दुनिया के कई देश, जिसमें भारत भी शामिल है, इस वायरस का इलाज ढूंढने में जुटा है। लेकिन किसी को भी अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। साथ ही अब एक ऐसी बात सामने आई है, जिसकी वजह से इसके इलाज मिलने के चान्सेस और कम हो गया है। दरअसल, एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि चीन से शुरू हुए इस वायरस ने अभी तक अपना रूप 35 हजार बार बदला है। हर एक तरह का इलाज अलग ढंग से होगा। लेकिन अभी तक एक भी प्रकार का इंजेक्शन तैयार नहीं हुआ है। ऐसे में इस वायरस के खत्म होने के चान्सेस पर सवाल है।
| Published : Apr 16 2020, 04:13 PM IST
शायद ही कभी खत्म हो पाए कोरोना! दुनिया में फैला इस वायरस का 35 हजार रूप, अभी तक नहीं बना 1 का भी वैक्सीन
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दुनिया के कई देश कोरोना का इलाज ढूंढने में जुटे हैं लेकिन अभी तक किसी को कामयाबी नहीं मिली है। कई तरह के रिसर्च जारी हैं लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च ने साइंटिस्ट्स के साथ दुनिया को चिंता में डाल दिया है।
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ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के रिसर्चर्स ने पाया कि चीन के वुहान से शुरू हुए इस वायरस के रूप बदलते जा रहे हैं। शुरुआत के वायरस के स्वरुप और अब के वायरस के रूप में काफी अंतर आ चुका है।
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अभी तक इस वायरस ने 35 हजार बार स्वरुप बदला है। हर रूप का इलाज अलग ढंग से होगा। लेकिन चिंता की बात तो ये है कि अभी तक इसके एक भी रूप का इलाज नहीं मिला है।
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स्टडी में कहा गया कि ये वायरस अपना रूप बदल रहा है। इसका पहला मामला भारत के केरल के पहले पेशेंट में दिखा था। वो वुहान से डॉक्टरी पढ़ लौटा था। उसमें कोरोना का जो रूप मिला वो वुहान के कोरोना सैंपल से अलग था।
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तब जाकर साइंटिस्ट्स ने कोरोना के स्वरुप पर शोध किया। जिसमें पता चला कि कोरोना अपना रूप बदल रहा है। ये चिंता की बात है। ऐसे तो अभी तक इसके इलाज को ढूंढने की सारी कोशिशें बेकार हो जाएगी।
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कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के हिस्से में देखा गया है। इसी प्रोटीन के जरिए वायरस शरीर की कुछ कोशिकाओं को जकड़ लेता है। कोरोना वायरस की कंटीली संरचना ही ACE2 एंजाइम युक्त कोशिकाओं को निशाना बनाती है। ये एंजाइम फेफड़ों में पाया जाता है।
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इसी संरचना के हिसाब से इसका वैक्सीन बनाया जा रहा था। लेकिन अब इसकी संरचना में बदलाव से सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी।
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इस बात को पता करने में जो टीम में ताइवान के नेशनल चेंग्गुआ यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन के वी-लुंग वांग और ऑस्ट्रेलिया में मर्डोक विश्वविद्यालय के सहयोगी शामिल हैं।
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चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोइन्फॉर्मेशन के मुताबिक़ अब तक यह वायरस अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में पहुंच चुका है और अब तक इसके 3,500 से अधिक बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं। ऐसे में अब इसके वैक्सीन बनने को लेकर हो रही देरी शायद और बढ़ जाएगी। क्यूंकि अभी सिर्फ वुहान से मिले वायरस की संरचना के आधार पर वैक्सीन बनाया जा रहा था।