इस एक गलती की वजह से अमेरिका में बिछ गईं लाशें, 1 लाख लोगों की हुई मौत, पसरा मातम
वाशिंगटन. दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। अब तक 58 लाख 3 हजार 785 लोग संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। जबकि 3 लाख 57 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, अमेरिका दुनिया का पहला देश है, जहां मरने वालों की संख्या सबसे अधिक 1 लाख से अधिक हो गई है। जबकि यहां संक्रमितों की संख्या 17 लाख के करीब पहुंच चुकी है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश में कहर बरपा रहे कोरोना से हर कोई हैरान है कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सुपरपावर अमेरिका की आखिर ये हालत कैसे हो गई। दुनिया के तमाम देश यह सोचने के लिए मजबूर है कि सभी आधुनिक संसाधनों से लैस इस देश में मरने वालों और संक्रमण का असर क्यों नहीं रूक रहा है। अमेरिका ने शुरुआत में इस वायरस को गंभीरता से नहीं लिया साथ ही टेस्टिंग पर भी जोर नहीं दिया। जिसका नतीजा है कि कोरोना वायरस ने यहां तेजी से पांव पसारे। इसके साथ ही अमेरिका ने और भी गलतियां की जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
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वायरस को सिरियस नहीं लेना
अमेरिका ने शुरूआत में कोरोना वायरस के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। राष्ट्रपति ट्रंप लगातार कहते रहे कि कोरोना वायरस का अमेरिका के लोगों पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। अमेरिका के अलावा दुनिया के अन्य देश शुरू में केस आने के बाद ही एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए थे। वहीं, अमेरिकी सरकार ने कोई भी पाबंदी नहीं लगाई थी।
टेस्टिंग में लापरवाही
चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना ने जनवरी महीने में अमेरिका में दस्तक दी थी। यहां पहला मामला जनवरी में आया था इसके बावजूद यहां टेंस्टिंग की रफ्तार बहुत धीमी थी। दो महीनों में तेजी से मामले बढ़ने के बाद यहां कोरोना की टेस्टिंग ने रफ्तार पकड़ी। कुछ दिनों पहले ट्रंप ने भी ट्वीट कर कहा था कि अमेरिका इकलौता देश है, जिसने 1.5 करोड़ से अधिक टेस्ट करवाए हैं। वहीं न्यूयॉर्क के नेताओं ने कोरोना वायरस फैलने के लिए ट्रंप और टेस्टिंग सिस्टम की असफलता को जिम्मेदार ठहराया है।
रक्षात्मक उपकरण की कमी
सुपरपावर अमेरिका के इमरजेंसी मेडिकल किट भी कोरोना वायरस पर बेअसर साबित हुईं। जिसका नतीजा है कि कोरोना महामारी का सामना करने में यह देश नाकाम दिखा। यहां तक कि मेडिकल सप्लाई, मास्क और वेंटिलेटर की कमी के खिलाफ यहां डॉक्टरों ने कई बार प्रदर्शन भी किया। यहां सीडीसी के डायग्नोस्टिक किट में भी कई तरह की खामियां पाई गईं थीं जिसका असर टेस्टिंग पर पड़ा और कोरोना को फैलने का और मौका मिल गया।
सोशल डिस्टेंसिंग का देर से पालन
बाकी देशों की तुलना में अमेरिका में सोशल डिस्टेंसिंग देर से शुरू हुई। कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक स्टडी के अनुसार अमेरिका ने दो सप्ताह पहले ही सोशल डिस्टेंसिंग शुरू की है। अगर ये निर्णय थोड़ा पहले ले लिया जाता तो कम से कम 36,000 लोगों की जान बच सकती थी।
मास्क पहनना अनिवार्य नहीं
जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए मास्क पहनने का महत्व समझ चुकी है वहीं अमेरिका में कई लोग अभी भी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि मास्क पहनना जरूरी है या नहीं। यहां लोग व्यक्तिगत आजादी के नाम पर सार्वजिनक स्थानों पर मास्क लगाकर कर नहीं जा रहे हैं, जिससे कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यहां तक कि राष्ट्रपति ट्रंप खुद भी कई बार सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने से इंकार कर चुके हैं।
देर से लॉकडाउन
अमेरिका में लॉकडाउन लगाने का फैसला बहुत देर से किया, तब तक कोरोना वहां के ज्यादातर क्षेत्रों में फैल चुका था। हालांकि ये लॉकडाउन भी बहुत सख्त तरीक से नहीं लगाया गया था और इसमें छूट की इजाजत भी बहुत जल्द दे दी गई। अमेरिका के कई राज्यों में सिनेमा घर, बार, रेस्टोरेंट और सैलून उस समय ही खुलने शुरू हो गए थे जब कोरोना वहां फैलने की चरण में था।
उड़ानों पर देर से प्रतिबंध
अमेरिका में उड़ानों पर प्रतिबंध का भी फैसला बहुत देर से लिया गया। जनवरी में पहला मामला सामने आने के बाद मार्च महीने में यहां ट्रैवल बैन हुआ। ब्राजील में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में वहां से आने-जाने वाले यात्रियों पर रोक लगाई गई है।
चीन, इटली और स्पेन से नहीं ली सीख
अमेरिका का मानना है कि कोरोना वायरस से देश में कुल 2 लाख से ज्यादा मौतें होंगी। लेकिन जब इटली और स्पेन में हर रोज मौत का आंकड़ा बढ़ रहा था, उस वक्त अमेरिका ने समय रहते इन सबसे से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यहां ना तो अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद की गईं ना ही लॉकडाउन जैसा कोई कदम उठाया गया।
ट्रम्प का रवैया
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि कोरोना को गंभीरता से ना लेना ट्रम्प प्रशासन की सबसे बड़ी भूल है। अमेरिका में ट्रम्प और उनकी सरकार के मंत्री अफसर लगातार बयान बदलते रहे। इस महामारी के दौरान वे खुद कभी गंभीर नजर नहीं आए। यहां तक की जब बीमारी ने महामारी का रूप लिया, तब ट्रम्प ने कहा, अगर अमेरिकी प्रशासन मौतों को 1 लाख तक रोक लेता है तो यह बहुत बड़ी बात होगी।
क्या है मौजूदा स्थिति
दुनिया में कोरोना के शिकार मरीजों की संख्या 58 लाख 3 हजार 785 हो गई है। जबकि अब तक 3 लाख 57 हजार 717 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि अब तक 25 लाख 8 हजार 944 लोग ठीक भी हो चुके हैं।
अमेरिका में क्या है हालात-
अमेरिका में कोरोना वायरस 17 लाख 45 हजार 803 लोगों अब तक कोरोना के शिकार पाए गए हैं। जबकि अब तक 1 लाख 2 हजार 107 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब तक 4 लाख 90 हजार 130 लोग ठीक भी हो चुके हैं। अमेरिका का न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी कोरोना के कहर से सबसे ज्यादा प्रभावित है। न्यूयॉर्क में अब तक 3 लाख 74 हजार 672 लोग कोरोना से संक्रमित है, जबकि न्यूजर्सी में अब तक 1 लाख 57 हजार 818 लोग कोरोना से पीड़ित हैं।