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हिंद महासागर में ड्रैगन की हर चाल नाकाम करेगा राफेल, वायुसेना के बाद अब नेवी को भी मिलने जा रहा यह फाइटर प्लेन
पेरिस। हिंद महासागर में पिछले कुछ समय में चीन की नौसेना की एक्टिविटी बढ़ी है। इसे देखते हुए भारत सरकार इंडियन नेवी की क्षमता बढ़ा रही है। पिछले साल भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत नौसेना में शामिल हुआ था। अब फ्रांस की मीडिया से खबर आ रही है कि इस युद्धपोत पर राफेल लड़ाकू विमान की तैनाती हो सकती है। नौसेना में राफेल तैनात होता है तो यह ड्रैगन की हर चाल को नाकाम करने में सक्षम होगा। आगे पढ़ें पूरी खबर...
| Published : Jan 05 2023, 10:56 AM IST / Updated: Jan 05 2023, 11:03 AM IST
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फ्रांस से खबर आई है कि नेवी के लिए राफेल एम विमान खरीदने का फैसला हो सकता है। इससे पहले भारत ने वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया था। तय सौदे के अनुसार सभी 36 राफेल विमान भारत को मिल गए हैं। राफेल एम विमान नौसेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला वर्जन है। इसे विमान वाहक पोत से ऑपरेट किया जा सकता है।
फ्रांस की मीडिया के अनुसार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मार्च में भारत की यात्रा करने वाले हैं। इसी दौरान दोनों देशों के बीच राफेल एम को लेकर डील हो सकती है। इंडियन नेवी ने आईएनएस विक्रांत पर तैनात करने के लिए अमेरिकी फाइटर प्लेन F/A-18 और राफेल एम का टेस्ट लिया था। राफेल एम के लिए सौदा होता है तो यह भारत और फ्रांस के संबंधों में मील का पत्थर साबित होगा।
रक्षा सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार भारतीय नौसेना फ्रांस से 26 राफेल एम विमानों की खरीद के लिए अरबों डॉलर की डील करने वाली है। राफेल विमान को फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाया जाता है। यह 4.5 प्लस जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। फ्रांस की नौसेना भी राफेल एम का इस्तेमाल करती है। इसके साथ ही ग्रीस, इंडोनेशिया और UAE की नौसेना भी इसका इस्तेमाल करती है।
भारतीय नौसेना 48 पुराने MiG-29K और MiG-29KUB को अपने बेड़े से हटाना चाहती है। नौसेना ने कई लड़ाकू विमानों को खरीदने पर विचार किया। अंत में रेस में राफेल एम और F/A-18 विमान बचे थे। गोवा स्थित नौसेना के बेस पर दोनों विमानों को टेस्ट किया गया था।
फ्रांसीसी नौसेना के पास वर्तमान में 240 राफेल एम जेट हैं। डसॉल्ट ने इन विमानों का निर्माण वर्ष 1986 से शुरू किया था। राफेल एम और F/A-18 दोनों विमान पहले से ही एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात हैं। दोनों जेट CATOBARs सिस्टम से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए फिट हैं।
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भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में एक नया विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और एक पुराना आईएनएस विक्रमादित्य है। आईएनएस विक्रमादित्य सोवियत संघ का कीव श्रेणी का विमानवाहक पोत है। इसका भारत में आधुनिकीकरण किया गया है। ये दोनों युद्धपोत STOBAR एयरक्राफ्ट कैरियर हैं।
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