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अमेरिका, जहां परिंदा भी नहीं मार सकता पर, इन 7 गलतियों की वजह से एक वायरस के सामने हुआ बेबस
न्यूयॉर्क. कोरोना वायरस ने दुनिया में महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका की कमर तोड़ दी है। यहां पिछले 24 घंटे में 1321 (दुनिया में सबसे ज्यादा) लोगों ने इस महामारी से अपनी जान गंवाई है। अमेरिका में कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा 2.77 लाख मामले सामने आए हैं। यहां अब तक करीब 7400 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के संक्रमण का असर सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था पर ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी बुरी तरह पड़ा है। अमेरिका में पिछले 1 हफ्ते में 30 लाख से अधिक लोगों ने बेरोजगार के तौर पर रजिस्टर कराया है। अमेरिका में आज जो हालात बन रहे हैं, उसके लिए खुद अमेरिका ही जिम्मेदार है। जानते हैं आखिर अमेरिका से कहां चूक हुई...
| Published : Apr 04 2020, 12:54 PM IST / Updated: Apr 04 2020, 12:56 PM IST
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1- कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया: माना जा रहा है कि अमेरिका के लिए उसका अति आत्मविश्वास ही बड़ी वजह बना। अमेरिका ने कोरोना वायरस को भांपने में चूक कर दी। अमेरिका ने कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं लिया। अमेरिका का मानना था कि यह बीमारी चीन से निकली है, ऐसे में इसका ज्यादा असर सिर्फ एशिया के बाकी देशों तक ही होगा।
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इसलिए अमेरिका ने कोरोना से निपटने में पहले से कोई मजबूत तैयारी नहीं की और वह यह मानता रहा कि थोड़ा बहुत असर अगर उसपर होगा तो वहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं इससे निपट लेंगी।
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2- चीन, इटली और स्पेन से नहीं ली सीख- अमेरिका का मानना है कि कोरोना वायरस से देश में कुल 2 लाख से ज्यादा मौतें होंगी। लेकिन जब इटली और स्पेन में हर रोज मौत का आंकड़ा बढ़ रहा था, उस वक्त अमेरिका ने समय रहते इन सबसे से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यहां ना तो अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद की गईं ना ही लॉकडाउन जैसा कोई कदम उठाया गया।
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3- स्क्रीनिंग में कमी- अमेरिका की सबसे बड़ी चूक स्क्रीनिंग को लेकर हुई। यहां सिर्फ चीन से आने वाले यात्रियों की जांच की गई या उन लोगों की जांच की गई, जो हाल ही में चीन से लौटे थे। इसके अलावा अमेरिका ने ना तो अन्य देशों से आने वाले नागरिकों की जांच की और ना ही यात्रियों के संबंधों की जांच की।
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4- टेस्ट की संख्या में कमी: अमेरिका में मार्च में संक्रमण के काफी कम मामले सामने आए। इसका प्रमुख कारण जांचों की संख्या थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुरुआत में 50 लाख जांचों का लक्ष्य रखा था, लेकिन अंत तक सिर्फ 10 लाख टेस्ट हुए। जब इन टेस्टों के रिजल्ट आए तो एकदम से मामले ज्यादा हो गए।
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5- लॉकडाउन में देरी: WHO ने जब सभी देशों को लॉकडाउन की सलाह दी। तो अमेरिका ने खुद इसे नहीं माना। अमेरिका ने लॉकडाउन का ऐलान करने में काफी वक्त लगा दिया। इससे यहां ना तो सोशल डिस्टेंसिंग मानी गई और ना ही गतिविधियां रुकीं।
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अमेरिका में कई जगहों पर चर्चों में भारी भीड़ जुटती रही। लोग खुले में घूमते दिखे। साफ तौर पर नजर आ रहा था कि राज्य और स्थानीय सरकारें भी सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर गंभीर नहीं थीं। इसलिए यहां कोई सख्ती भी नहीं की गई।
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6- ट्रम्प का रवैया: अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि कोरोना को गंभीरता से ना लेना ट्रम्प प्रशासन की सबसे बड़ी भूल है। अमेरिका में ट्रम्प और उनकी सरकार के मंत्री अफसर लगातार बयान बदलते रहे। इस महामारी के दौरान वे खुद कभी गंभीर नजर नहीं आए। यहां तक की जब बीमारी ने महामारी का रूप लिया, तब ट्रम्प ने कहा, अगर अमेरिकी प्रशासन मौतों को 1 लाख तक रोक लेता है तो यह बहुत बड़ी बात होगी।
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7- मेडिकल उपकरणों की कमी: लगातार संक्रमण के मामलों में हो रहे इजाफे से यहां मेडिकल उपकरणों की भी भारी कमी हो गई है। अमेरिका में इन दिनों वेंटिलेटर्स, मास्क और गाउन्स की भी कमी है। यहां डॉक्टरों के पास संक्रमण से बचाव करने के पर्याप्त सुरक्षा उपकरण भी नहीं हैं।
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क्या है मौजूदा स्थिति? कोरोना का कहर दुनिया के 200 से ज्यादा देशों पर है। अब तक 59 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में दुनियाभर में करीब 6 हजार लोगों की मौत हुई है। वहीं, संक्रमण के मामले भी 1 मिलियन यानी 10 लाख से ज्यादा हो चुके हैं।
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पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका और फ्रांस में हुई हैं। अमेरिका में 1 दिन में 1321 तो फ्रांस में 1120 लोगों ने अपनी जान गंवाई। फ्रांस में अब तक 6507 लोगों की मौत हो चुकी है।
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दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें इटली में हुई हैं। यहां अब तक कुल 14 हजार 681 लोगों की मौत हो चुकी है। 766 लोगों की मौत पिछले 24 घंटे में हुई है।
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उधर, ब्रिटेन में हालत बिगड़ते जा रहे हैं। यहां अब तक 3605 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्रिटेन में 684 लोगों ने पिछले 24 घंटे में अपनी जान गंवाई है।