बातचीत की आड़ में चीन की धोखेबाजी, भारत के खिलाफ अब सीमा पर चली ये बड़ी चाल
बीजिंग. अभी चीन से निकले कोरोना वायरस से दुनिया की परेशानी कम हुई नहीं थी कि ड्रैगन ने एक बार फिर नई चाल चलना शुरू कर दिया है। चीन भारत के खिलाफ सीमा विवाद को निपटाने के लिए चल रही बातचीत की आड़ में अलग ही चाल चल रहा है। दरअसल, चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की सीमा से थोड़ी दूर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया है। इसके अलावा चीन ने युद्धाभ्यास भी किया है। इसी बहाने से चीन ने सीमा के पास अपने इलाके में बड़े हथियार भी तैनात कर रखे हैं। इस तनाव के माहौल में चीन काफी तैयारी से चल रहा है।
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चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने चीन के हुबेई प्रांत में चीन ने उत्तर पश्चिमी इलाके में हजारों पैराट्रूपर्स और बख्तरबंद वाहनों के साथ युद्धाभ्यास किया है। इस दौरान भारत की सीमा के करीब तेजी से भारी हथियारों को ना केवल तैनात किया गया है, बल्कि तैयारियों को परखा भी गया है। (फाइल फोटो)
चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया कुछ ही घंटों में पूरी की गई। इसमें सैनिकों ने अभ्यास किया कि किस तरह से सीमा पर जरूरत पड़ने पर कैसे सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
चीन की सेंट्रल टेलीविजन ने बताया कि भारत से लगी सीमा के पास एक जगह पर शनिवार को चीनी वायुसेना ने हजारों पैराट्रूपर्स को एयरलाइंस, लॉजिस्टिक ट्रांसपोर्ट और ट्रेनों के जरिए तैनात किया है।
चीन ने उतारे टैंक
टेलीविजन के मुताबिक, हुबेई प्रांत कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। इसके बावजूद यहां सैनिकों को युद्धाभ्यास के लिए उतारा गया है। चीनी थलसेना ने रविवार को युद्धाभ्यास किया। इसके अलावा सैकड़ों बख्तरबंद वाहन, टैंक, तोप और मिसाइल एक स्थान से दूसरे स्थान पर तैनात किए गए।
1 जून को तिब्बत में किया था युद्धाभ्यास
इससे पहले चीन की सेना ने 1 जून को तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाके में आधी रात को युद्धाभ्यास किया था। चीन की आर्मी ने अपनी सेना को मुश्किल हालातों का सामना करने के लिए 4700 मीटर की ऊंचाई पर भेजा था। इससे उनकी क्षमताओं का परीक्षण किया जा सके।
अंधेरे में हुआ था युद्धाभ्यास
चीन ने यह युद्धाभ्यास अंधेरे में किया था। ड्रोन और सैटेलाइट की नजर से बचने के लिए ये पूरा यद्धाभ्यास वाहनों की लाइटें बंद कर किया गया था। इस युद्धाभ्यास में नाइट विजन डिवाइस का इस्तेमाल किया गया। स्नाइपर यूनिट और कॉम्बैट टेस्ट भी किए गए थे।
दूसरी ओर चीन इस विवाद को बातचीत से खत्म करने पर भी जोर दे रहा है। विवाद को खत्म करने के लिए शनिवार को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बैठक हुई। हालांकि, इसस पहले भी इस विवाद को सुलझाने के लिए 12 लोकल कमांडर-3 मेजर जनरल स्तर की बैठक भी हो चुकी हैं।
भारत की ओर से 14 वीं कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने मेजर जनरल लियू लिन के साथ बातचीत की। लिन चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के दक्षिण झिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं।
बैठक में भारत ने अपनी सीमा के भीतर निर्माण कार्य रोकने से साफ इनकार कर दिया। इसके अलावा भारत ने चीन सेना को अप्रैल वाली स्थिति पर वापस लौटने के लिए कहा है। ऐसे में यह बातचीत सफल होती नहीं दिख रही है।
क्या है विवाद?
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है।
बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।
एक महीने में तीन बार आमने सामने आए सैनिक
भारतीय सैनिकों और चीन के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। पहली बार पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 5 मई को झड़प हुई। तब भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। पूरी रात टकराव की स्थिति बनी रही। सुबह होते ही सैनिकों में झड़प हुई। हालांकि बाद में अफसरों ने मामला शांत करवाया।
दूसरी झड़प 9 मई को उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर नाकू ला सेक्टर में हुई। यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से अटैक किया।
तीसरी झड़प भी 9 मई को ही हुई। सैनिकों के बीच झड़प होने पर चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टर सीमा तो पार नहीं कर पाए, लेकिन जवाब में भारत ने एयरबेस से अपने सुखोई 30 फाइटर प्लेन से खदेड़ दिया।