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चीन को तगड़ा झटका, ताकत कम करने की कोशिश; हांगकांग के 30 लाख लोगों को बुलाएगा ब्रिटेन, देगा नौकरी
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डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि अगर चीन हॉन्ग कॉन्ग में मानवाधिकार का हनन करता है तो उनके पास हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को ब्रिटेन की नागरिकता देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।
चीन को सौंपे जाने से पहले हॉन्ग कॉन्ग ब्रिटिश कॉलोनी था। बोरिस जॉनसन ने कहा कि नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून आश्चर्यजनक रूप से हॉन्ग कॉन्ग की ऑटोनॉमी छीन लेगा। चीन के ऐसा करने से ब्रिटेन के साथ किया गया करार भी टूट जाएगा।
पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि चीन के दमन की वजह से वे ब्रिटेन के वीजा सिस्टम में बदलाव करेंगे। यह ब्रिटेन के इतिहास में वीजा प्रक्रिया में किया गया सबसे बड़ा बदलाव होगा।
28 मई को चीन की संसद ने हॉन्ग कॉन्ग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इस कानून के लागू होने के बाद चीन की सुरक्षा एजेंसियों को हॉन्ग कॉन्ग में तमाम कार्रवाई करने की इजाजत मिल जाएगी। इसके बाद अमेरिका ने भी हॉन्ग कॉन्ग के साथ विशेष संबंध को खत्म करने का ऐलान कर दिया था।
हॉन्ग कॉन्ग के करीब 3 लाख 50 हजार लोगों के पास ब्रिटेन का नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट है। जबकि अन्य 25 लाख लोग इस पासपोर्ट के लिए एलिजिबल हैं। फिलहाल इस पासपोर्ट के साथ लोग बिना वीजा के 6 महीने तक ब्रिटेन में रह सकते हैं।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि चीन अगर हॉन्ग कॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करता है तो ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट वाले लोगों को 12 महीने के लिए वीजा देगा और उन्हें काम करने का भी अधिकार मिलेगा। 12 महीने बाद उनके वीजा को रिन्यू कर दिया जाएगा। इस तरह वे नागरिकता हासिल करने के दायरे में आ जाएंगे।
चीन के विदेश मंत्रालय ने बीते महीने ब्रिटेन के ऐसे प्रस्ताव का विरोध किया था। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा था कि BNO पासपोर्ट हासिल करने वाले सभी लोग चीनी नागरिक हैं। अगर ब्रिटेन प्रक्रिया में बदलाव करता है तो उसके अपने नियम और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा। चीन इसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेगा।
क्या है पूरा मामला
चीनी संसद ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने को मंजूरी दे दी है। इस कानून में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध-प्रदर्शन जैसे गतिविधियों को रोकने का प्रावधान होगा। इसके अलावा, अब चीनी सुरक्षा एजेंसियां हांगकांग में काम भी कर पाएंगी। मौजूदा व्यवस्था के तहत उन्हें इसकी इजाजत नहीं है। साथ ही चीन के राष्ट्रगान का अपमान करना भी अपराध के दायरे में आ जाएगा। बीजिंग की यह कवायद एक तरह से हांगकांग के अर्ध-स्वायत्त दर्जे को समाप्त करने के लिए है।