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नेपाल की जमीन पर चीन ने बनाई 9 इमारतें, कब्जे से गुस्साए लोग सड़कों पर उतरे, बोले- 'बैक ऑफ चाइना'
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मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि नेपाल के हुम्ला जिले में सीमा स्तम्भ से दो किमी भीतर नेपाली भूमि कब्जा करके चीन के सैनिकों ने 9 भवनों का निर्माण किया है। इतना ही नहीं, वहां नेपाली नागरिकों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
इस खबर के बाहर आने के साथ ही नेपाल सरकार ने सभी सुरक्षा निकाय और प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी के लिए ग्राउंड पर भेजा था। हुला जिले के मुख्यालय से दो किमी की दूरी पर रहे लाप्चा क्षेत्र में चीन के तरफ से अनाधिकृत तरीके से इमारतें बनाई गई है।
चीन दावा कर रहा है कि उसने वो इमारतें जहां बनाई है, वह चीन के ही भूभाग में पड़ता है जबकि नेपाली पक्ष का दावा है कि 11 नवंबर की सीमा स्तम्भ ही गायब कर दी गई है और चीन ने नेपाली भूमि अतिक्रमण करते हुए इन भवनों का निर्माण किया है।
बताया जा रहा है कि जब नेपाली अधिकारी वहां पहुंचे तो चीन ने इमारत वाली जगह पर बात करने से इनकार कर दिया। चीन के सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सीमा संबंधी कोई भी बात सिर्फ सीमा क्षेत्र में ही होगी। इधर चीनी दूतावास की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया। इसमें उनकी तरफ से कहा गया कि नेपाल की जमीन पर उनकी तरफ से कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है। इतना ही नहीं उसने ये भी कहा कि अगर नेपाल के पास प्रमाण है तो चीन बातचीत के लिए तैयार है।
दो महीने पहले ही चीन द्वारा नेपाल के गोरखा जिले के रूई गांव को अपने में मिला लेने की खबर आई थी। इसके बाद नेपाल में काफी हंगामा हुआ था। जून में विपक्ष की नेपाली कांग्रेस ने नेपाली संसद के निचले सदन में रिजॉल्यूशन भी पेश किया था, जिसमें ओली सरकार से चीन की छीनी हुई जमीन वापस लेने के लिए कहा गया था। पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया था कि चीन ने दोलका, हुमला, सिंधुपालचौक, संखूवसाभा, गोरखा और रसूवा जिलों में 64 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है।
विपक्ष ने ये भी आरोप लगाया है कि नेपाल और चीन के बीच 1414.88 किमी की सीमा पर करीब 98 पिलर गायब हैं और कइयों को नेपाल के अंदर खिसका दिया गया है। हालांकि, नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने चीन के द्वारा नेपाल के किसी भी भूभाग पर कब्जे से साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि चीन के साथ नेपाल का कोई सीमा विवाद नहीं है।
नेपाल में चीन के खिलाफ इससे पहले भी कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं। हाल ही में नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीनी राजदूत होउ यान्की के बढ़ते दखल को लेकर भी नेपाली छात्रों ने काठमांडू में प्रदर्शन किया था। विश्लेषकों का कहना है कि पिछले पांच-छह सालों में नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन का दखल बढ़ता गया है और ये क्षेत्र में चीन की आर्थिक और सैन्य ताकत का भी सबूत है।