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कहीं छूने की इजाजत नहीं,कहीं बिना बताए जलाए जा रहें शव... कोरोना से कुछ यूं बदला मौत के बाद का रिवाज
नई दिल्ली. दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। अब तक 37 लाख 30 हजार लोग संक्रमित हैं। जबकि 2 लाख 58 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के संकट के बीच देश दुनिया से हैरान करने वाली खबरें भी सामने आ रही है। वहीं, दुनिया में कई परंपराएं कोरोना की वजह से बदलनी पड़ी हैं। इसी क्रम में कोरोना के संकट के दौरान यह देखने को मिला है कि कई देशों में परिवारवालों को बिना बताए उनके शवों को जला दिया हया। जबकि कई देशों में लोग मृतक को छू तक नहीं पा रहे हैं। वहीं, कई परंपराओं को रोक दिया गया है। कोरोना से हो रही मौतें के बाद जिन देशों ने रिवाजों में बदलाव किए हैं उनमें चीन, इटली, अमेरिका और श्रीलंका जैसे अन्य देश शामिल हैं।
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चीन में सभी धर्मों के लोगों के शवों को जलाया जा रहा
चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने 2 फरवरी को एक आदेश जारी किया था, इसमें स्थानीय प्रशासन को कोरोना के मरीजों (चाहे वे किसी भी धर्म के हों) के शवों को जलाने के निर्देश दिए थे। इसमें शवों को हॉस्पिटल से ले जाकर अंतिम संस्कार करने तक क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं, वह भी बताया गया था।
इस आदेश से पहले ही चीन के वुहान शहर में कोरोना से हो रही मौतों के बाद शवों को फौरन जला दिया जा रहा था। यहां तक कि वहां मृत व्यक्ति के परिवार के बिना ही अंतिम संस्कार किया जा रहा था। यहां घर के लोग अपनों की अस्थियां तक लेने हॉस्पिटल नहीं जा सकते थे।कोरोना के प्रकोप का असर था कि चीन में सभी धर्म के लोगों का अंतिम संस्कार जलाकर ही किया जा रहा था।
सरकार तय कर रही कैसे हो अंतिम संस्कार
हर देश में चीन की तरह ही कोरोना संक्रमित व्यक्ति (जिंदा या मुर्दा) सरकार की प्रॉपर्टी हो गया। कोरोना संक्रमण का पता लगते ही व्यक्ति के सारे अधिकार खत्म कर दिए जाते हैं, उन्हें घर से उठाकर तुरंत क्वारंटाइन कर दिया जाता है और इलाज के दौरान यदि उसकी मौत हो रही है तो यह सरकार तय कर रही है कि उसका अंतिम संस्कार कैसे किया जाएगा।
आमतौर पर अंतिम संस्कार में घरवालों को ढांढस बंधाती तस्वीरें नजर आती थीं यानी परिजन मृत व्यक्ति के घरवालों को गले लगाते या आंसू पोछते दिखाई देते थे लेकिन अब ये लोग करीब 6-6 फीट दूर खड़े नजर आते हैं। किसी-किसी देश में तो रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार करने की भी मनाही है।
श्रीलंका में भी शवों को जलाने का आदेश
चीन की तरह ही श्रीलंका में भी कोरोना मरीज के शव को जलाने का ही आदेश है। मृत व्यक्ति अगर कोरोना नेगेटिव पाया गया हो लेकिन उसमें लक्षण इसी महामारी के हो तो भी उसे जलाया ही जा रहा है। यहां मुस्लिमों ने इस आदेश का विरोध भी किया लेकिन सरकार अपने आदेश पर कायम रही।
भारत में दफनाने या जलाने की छूट
भारत सरकार कोरोना संक्रमित शव को जलाने और दफनाने दोनों की परमिशन देती है। हालांकि अंतिम संस्कार के लिए कुछ सख्त गाइडलाइन्स हैं। यहां कोरोना संक्रमित का शव प्रशिक्षित हेल्थ प्रोफेशनल ही ले जाते हैं। ये हेल्थ प्रोफेशनल पीपीई किट में होते हैं।
घर वाले शव देख सकते हैं, छू नहीं सकते
शव भी एक प्लास्टिक बैग में होता है। घर वाले शव को देख तो सकते हैं, लेकिन छू नहीं सकते। अंतिम संस्कार में शव को बिना छूए जो रिवाज हो सकते हैं, बस वही किए जा रहे हैं। इसके बाद सीधे शव को या तो जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है। यहां सिर्फ परिवार के लोगों को ही अंतिम संस्कार में आने की अनुमति होती है और सभी को पीपीई किट पहनना जरूरी है।
WHO ने जारी की है गाइडलाइन
कोरोना संक्रमित शव के अंतिम संस्कार के लिए हर देश की अपनी गाइडलाइन्स हैं। वैसे डब्लूएचओ की गाइडलाइन्स के मुताबिक, रिवाजों के हिसाब से शव को दफनाया भी जा सकता है और जलाया भी। परिवार वाले मृत व्यक्ति को देख भी सकते हैं लेकिन उन्हें छू नहीं सकते।
जो टीम शव को कब्र में डालती है या लकड़ी पर लेटाती है, उन्हें पीपीई किट में होना चाहिए और पूरी प्रक्रिया के बाद पीपीई किट फेंककर अपने हाथों को धोना चाहिए। इसमें अंतिम संस्कार के दौरान ज्यादा लोगों की भीड़ न करने की भी सलाह दी गई है।
अमेरिका में अपने रिति रिवाज से अंतिम संस्कार करने की छूट
अमेरिका इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां फ्यूनरल के लिए सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की गाइडलाइन्स के मुताबिक, लोगों को अपने रिवाजों के हिसाब से अंतिम संस्कार करने की परमिशन है लेकिन 10 से ज्यादा लोगों की भीड़ न करने की सलाह दी गई है। अमेरिका में नियम अन्य देशों के मुकाबले थोड़े लचीले हैं।
सीडीसी के मुताबिक, कोरोना संक्रमित शव को छूने से बचना चाहिए। वैसे हाथ-पैर को छूने से कोरोना फैलने का खतरा इतना ज्यादा नहीं है। लेकिन छूने के बाद अपने हाथ साबुन से 20 सेकंड तक धोने का कहा गया है। किसिंग, बॉडी को नहलाने जैसी चीजों को न करने की सलाह दी गई है।
यहां अगर किसी सभ्यता में नहलाने, बाल बांधने जैसी रिवाज जरूरी है, तो पीपीई किट पहनने की सलाह दी गई है। जिसमें गॉगल्स, फेस मास्क, ग्लव्स सभी शामिल हैं।
जल्द से जल्द अंतिम संस्कार करने का आदेश
कोरोना के दूसरे सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्रिटेन में भी मृत व्यक्ति के परिवार वालों को ही फ्यूनरल में जाने की परमिशन होती है। हर देश की तरह यहां भी संक्रमित शव का जल्द से जल्द अंतिम संस्कार करने की एडवायजरी है।
इटली में सिर्फ 2-4 रिश्तेदार ही हो सकते हैं शामिल
मार्च में जब इटली में कोरोना से मौतें बढ़ने लगी तो यहां अंतिम संस्कार के लिए सख्त नियम बने। हॉस्पिटल से ही डेड बॉडी को कॉफिन में रखकर बाहर निकाला जाता है। परिवार के 2 से 4 रिश्तेदार ही इस दौरान साथ होते हैं। किसी को शव देखने की भी अनुमति नहीं है।
इटली में आमतौर पर मृत व्यक्ति को उसकी पसंद के कपड़े पहनाकर अंतिम विदाई देने की परंपरा रही है लेकिन कोरोना मरीजों को हॉस्पिटल के गाउन में ही दफनाया जा रहा है। यहां फ्यूनरल हाउसेस के लोग ही परिवार वालों द्वारा दिए गए कपड़े शव के ऊपर रख देते हैं।
ईरान में बिना रिवाजों के ही किया जा रहा था दफन
ईरान में तो यह हालत थी कि लाशें ट्रकों में आ रहीं थीं और इन्हें बिना इस्लामी रिवाज पूरे किए सीधे दफनाया जा रहा था। हालांकि बाद में परिजनों के सामने गहरा गड्ढा खोदकर शव को दफनाया जाने लगा।
दक्षिण कोरिया में किसी की मौत हो जाने पर तीन दिन तक प्रार्थना सभाएं और दावतें होती हैं। आमतौर पर हॉस्पिटल में ही अंतिम संस्कार होता है। लेकिन कोरोना के संक्रमण को देखते हुए इन सब पर रोक लगा दिया गया है। यहां अब मुठ्ठीभर लोग ही शोक सभाओं में आते हैं और अपनी संवेदना देकर चले जाते हैं।
यहूदियों में भी शवों को नहलाकर नए कपड़े पहनाने का रिवाज होता है। इजरायल में पहले इस रिवाज पर बैन लगाया गया लेकिन बाद में कोरोना संक्रमितों के शवों को नहलाने और कपड़े पहनाने की परमिशन दी गई लेकिन ये काम घर के लोग नहीं बल्कि वॉलंटियरों द्वारा किया जाता है।
इजरायल की हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन्स के मुताबिक अंतिम संस्कार के लिए यहां महिला और पुरुष वॉलेंटियरों को तैयार किया गया है। यहां घर वालों को मृत व्यक्ति का चेहरा देखने की परमिशन है। फ्यूनरल में आने वाले लोगों को भी पीपीई किट पहनना जरूरी है।
तुर्की में भी कुछ इसी तरह का नजारा दिखता है। यहां कोविड मरीज के शव को दफनाने से पहले नहलाए जाने की परमिशन तो है लेकिन ये काम परिवार वाले नहीं बल्कि कब्रिस्तान वालों के जिम्मे ही होता है। ये पूरी सतर्कता के साथ अंतिम रिवाज पूरे करवाते हैं। इमाम भी मास्क लगाकर बहुत दूर से प्रार्थना करते हैं।