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सीरिया में गृहयुद्ध: सिर पर मंडराती मौत के बीच 'जीवन' की तलाश, 10 साल में मारे गए 3.80 लाख लोग

पिछले 10 साल से गृहयुद्ध झेल रहा सीरिया पूरी तरह बर्बाद हो गया है। अब यहां वो ही लोग रह गए हैं, जो कहीं जा नहीं सकते या आखिरी दम तक अपना देश छोड़ना नहीं चाहते। सीरिया खंडहरों का देश बन चुका है। लोगों को पेट भरने कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इन सबके बावजूद गहरे जख्म झेलते आ रहे सीरिया वासी अपने लिए खुशियों की तलाश करते रहते हैं। खंडहरों में बदल चुके घरों में युवा बॉक्सिंग सीखते देखे जा सकते हैं। मकसद दिलो-दिमाग में बने गहरे जख्मों को कुछ हद तक भुलाया जा सके। बता दें कि अरब क्रांति के बाद मार्च, 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में भी लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुए थे। इसके बाद तानाशाह बशर अल असाद ने विरोधियों को कुचलना शुरू किया। 2012 में सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर पहुंच गया। अब यह देश बर्बाद हो चुका है। 

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Asianet News Hindi
Published : Feb 22 2021, 11:30 AM IST
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पहली तस्वीर सीरिया के शहर अतारिब की है। यहां रहने वाले 31 वर्षीय टीचर अहमदा द्वार ने खंडहर घरों को बॉक्सिंग रिंग बना दिया है। ये घर मिसाइलों के हमले के बाद खंडहर हुए। अब यहां 100 से ज्यादा बच्चे बॉक्सिंग सीखते हैं। दूसरी तस्वीर सीरिया के हालात बयां करती है। इस देश में अब स्कूल-कॉलेज जैसी कोई चीज नहीं बची। लोगों के लिए सबसे बड़ी लड़ाई अब दो वक्त की रोटी की है। यह उनका अब जीवन है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, गृहयुद्ध में सीरिया में पिछले 10 साल में 3.80 लाख लोग मारे जा चुके हैं।

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संयुक्त राष्ट्र की दो बड़ी एजेंसियों विश्व खाद्य कार्यक्रम(WFP) और यूनिसेफ ने बताया कि सीरिया में सवा करोड़ लोग खाने को तरस रहे हैं। यह संख्या यहां की कुल आबादी की 60 प्रतिशत है।


फोटो क्रेडिट- Ibrahim Chalhoub/AFP/Getty

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WFP के अनुसार, बच्चों की हाल बुरी खराब है। वे भूखों मरने की स्थिति में हैं। यह तस्वीर बताती है कि सीरिया में बच्चों की हालत क्या है।

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पूरी तरह बर्बाद हो चुके सीरिया में काम-धंधा कुछ नहीं बचा। बड़ी संख्या में लोग खासकर बच्चे कचरे से जरूरी चीजें निकालकर उन्हें बेचकर रोटी की जुगाड़ कर रहे हैं।

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हाल में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने चेतावनी दी थी कि सीरियर में मौजूद आंतकी संगठनों तक रासायनिक हथियार पहुंच गए हैं। इससे सिर्फ भारत ही नहीं, सारी दुनिया के सामने संकट खड़ा हो गया है। सीरिया दक्षिण-पश्चिम एशिया का राष्ट्र है। इजरायल और इराक के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का महत्वपूर्ण देश है। अप्रैल, 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहां बाथ पार्टी ने शासन किया। लेकिन 1963 से यहां इमरजेंसी लागू है। 1970 के बाद से यहां असर के परिजन ही शासन करते हैं। इस परिवार के खिलाफ लोगों ने विद्रोह किया हुआ है।

कचरे में जीवन की तलाश करते सीरिया के लोग।

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सीरिया की आबादी करीब 1.7 करोड़ रही है। यहां 87 प्रतिशत मुसलमान और 10 प्रतिशत क्रिश्चियन रहते हैं। यहां अरबी के अलावा इंग्लिश और फ्रेंच बोली जाती है। सीरिया एक ऐसा देश है, जिसने रोम, मंगोल और तुर्कों तक के हमले झेले। यहां रहने वालीं कुर्द, सुन्नी, शिया, ईसाई सहित अन्य कौमें आपस में लड़ती रहीं। इसका फायदा उठाकर यूरोप ने इस पर कब्जा कर लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सीरिया भी फ्रांस के चंगुल से मुक्त हुआ, लेकिन राजनीतिक परेशानियों में उलझ गया। इसने 160 में इजिप्ट के साथ मिलकर यूनाइटेड अरब रिपब्लिक बनाया। फिर 1967 में जॉर्डन और इजिप्ट के साथ मिलकर युद्ध किया। इसमें यह हार गया। इसके बाद सीरिया के हालत बिगड़ते चले गए

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1970 में हाफिज अल असद ने सीरिया पर तानाशाही तरीके से अपनी सरकार बना ली। ये शिया कौम से हैं और बाथ पार्टी चलाते थे। बाथ का अर्थ होता है पुनर्जारण। 1982 में मुस्लिम ब्रदरहुड ने असद के खिलाफ जंग छेड़ दी। इसमें हजारों सीरियन मारे गए। 2000 में हाफिज असद भी मारा गया। इसके बाद उसके बेटे अल असद तानाशाह बनकर देश पर काबिज हो गया। 2011 में असद के खिलाफ डेमोक्रेसी की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन होने लगे। यहां असद ने विद्रोहियों पर सेरीन नामक गैस का इस्तेमाल किया। यह गैस दिमाग पर असर करती है। इसके बाद उग्रवादी लोगों ने असद के खिलाफ हथियार उठा लिए।

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सीरिया के गृहयुद्ध में तमाम देश अपनी सुविधा के हिसाब से असद या विद्रोहियों की मदद कर रहे हैं। अमेरिका जहां असद को हटाने के लिए विद्रोहियों को सपोर्ट कर रहा है, वहीं रूस असद के सपोर्ट में है। अमेरिका ने 2014 से लेकर अब तक सीरिया में असद के खिलाफ कई  हवाई हमले किए। सीरिया की लड़ाई अब ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी है, जिसका असर सारी दुनिया पर पड़ सकता है।

फोटो क्रेडिट-Ibrahim Chalhoub/AFP/Getty, Delil Souleiman/AFP, AP Photo/Felipe Dana और  Handout/Reuters

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