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जर्मनी में 'नमो' क्रेज की कुछ अद्भुत तस्वीरें: मोदी के साथ फोटो-सेल्फी लेने मीलों दूर से बर्लिन पहुंचे भारतीय
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बर्लिन के बाद प्रधानमंत्री मोदी डेनिश समकक्ष मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर 3-4 मई को कोपेनहेगन की यात्रा पर रहेंगे। यहां द्विपक्षीय कार्यक्रम आयोजित और दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
बर्लिन जाने से पहले मोदी ने कहा था-"मेरी यूरोप यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों और विकल्पों का सामना कर रहा है। मैं अपने यूरोपीय भागीदारों के साथ सहयोग की भावना को मजबूत करने का इरादा रखता हूं। वे भारत की शांति और समृद्धि की खोज में महत्वपूर्ण साथी हैं।"
दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद 1951 में जर्मनी के संघीय गणराज्य को मान्यता देने वाले पहले राज्यों में भारत एक है। 1990 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण और शीत युद्ध के अंत में दोनों देशों के बीच रिश्तों में काफी मजबूती आई है।
भारत और जर्मनी में शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की एक लंबी परंपरा रही है। मैक्समूलर भारती-यूरोपीय भाषाओं के पहले विद्वान थे, जिन्होंने उपनिषदों और ऋगवेद का अनुवाद किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 6 महीने बाद विदेशी दौरे पर हैं। वे पिछले साल 29 अक्टूबर से लेकर 2 नवंबर तक इटली और यूके की यात्रा पर गए थे। कोरोनाकाल में मोदी चौथी बार विदेश दौरे पर हैं। 2021 में मोदी ने तीन विदेश यात्राएं की थीं, जबकि 2020 में कोरोना के चरम पर होने से कोई विदेश यात्रा नहीं की थी।
बता दें कि यूरोप महाद्वीप में भारतीय मूल के करीब 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। इनकी बड़ी संख्या जर्मनी में है।
बर्लिन में जब पीएम मोदी का काफिला निकला, तब भी लोग वहां मौजूद रहे। अपनी इस यूरोप यात्रा को लेकर काफी आशांवित हैं मोदी।
मोदी के स्वागत में जगह-जगह होर्डिंग लगाए गए। उनके स्वागत के लिए पहले से ही भारतीय समुदाय के लोग पहुंच गए थे।