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मंगल पर जीवन की तलाश: सबसे खतरनाक जगह पर लैंड करेगा रोवर, ऐसे रोमांचक होंगे आखिरी 7 मिनट, देख सकेंगे LIVE
मंगल पर आखिर क्या है? यह सवाल वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से पहेली बना हुआ है। क्या मंगल पर कभी जीवन था, या अब भी कुछ अंश मौजूद है? इसे लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार रिसर्च करते आ रहे हैं। अब एक नया इतिहास रचने जा रहा है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का पर्सीवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Rover) गुरुवार को मंगल (Mars) पर लैंड करने जा रहा है। यह मंगल पर जीवन की तलाश करेगा। रोवर देर रात दो से तीन बजे के बीच मंगल की सबसे खतरनाक जगह जजीरो क्रेटर पर उतरेगा। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस जगह पर कभी पानी हुआ करता था। नासा ने दावा किया है कि रोवर एक हिस्ट्री बनाने जा रहा है। क्योंकि रोवर की यह सटीक लैंडिंग होगी। पर्सीवरेंस रोवर लाल ग्रह से चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा। पर्सीवरेंस रोवर के साथ एक हेलिकॉप्टर भी जाएगा। इसका नाम है-इंजीन्यूटी। बता दें कि यह नाम इसे भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी(18) ने दिया है। NASA लोगों को यह ऐतिहासिक घटनाक्रम दिखाने लाइव स्ट्रीमिंग से जोड़ रहा है। इसे NASA के पब्लिक टीवी चैनल, वेबसाइट, ऐप, यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन, ट्विच, डेली मोशन या थीटा.टीवी पर भारतीय समयानुसार रात 12:45 बजे से देखा जा सकेगा।
| Published : Feb 18 2021, 09:51 AM IST / Updated: Feb 18 2021, 04:00 PM IST
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नासा के मुताबिक, पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल पर कार्बन डाई-ऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे। इसके अलावा मंगल की जमीन के नीचे पानी की खोज और जीवन के अंश तलाशेंगे। इसका मार्स एनवायर्नमेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर (MEDA) मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।
ऐसे होंगे आखिरी 7 मिनट
भारतीय समयानुसार रात 12.45 बजे इसे लैंड कराने की कोशिश होगी। इस मिशन पर पिछले 10 साल से काम चल रहा था। इसे पिछले साल कोरोना महामारी के बीच जुलाई में लॉन्च किया गया था। यह अब तक के मिशन का सबसे एडवांस रोवर है। बता दें कि पृथ्वी से मंगल ग्रह की दूरी 29.25 करोड़ मील है।
Perseverance में 23 कैमरे हैं, जो वीडियो और आवाजें रिकॉर्ड करेंगे। इसमें दो माइक्रोफोन भी हैं। लैडिंग से 7 मिनट पहले इसकी स्पीड 12000 मील प्रति घंटे होगी, जिसे जीरो पर आना होगा। इसकी स्पीड घटाने पैराशूट और रेट्रोरॉकेट लगाए गए हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगर मंगल पर कभी जीवन रहा होगा, तो उसके जीवाश्म मिल सकते हैं।
बता दें कि नासा इससे पहले 4 रोवर मंगल पर उतार चुका है। पर्सीवरेंस से पहले 19797 में पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को मंगल पर भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी और फिर 2012 में क्यूरिऑसिटी मंगल पर उतरा था।
नासा के इस मार्स मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है, जो परमाणु ऊर्जा से चलेगा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। रोवर 10 साल तक मंगल पर रहेगा। यह अपने साथ 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन लेकर जा रहा है। इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर का वजन 2 किलोग्राम है।
मंगल मिशन के हेलिकाप्टर नाम के लिए नासा ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी। इसे भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी ने इंजीन्यूटी नाम दिया था। हिंदी में इसे किसी व्यक्ति का आविष्कारी चरित्र कहते हैं। नेम द रोवर नाम से आयोजित इस प्रतियोगिता में 28000 प्रतियोगी शामिल हुए थे।
पिछले साल हुई इस प्रतियोगिता में वनीजा विनर रही थीं। इसमें वनीजा ने एक निबंध लिखा था। इसमें कहा था कि इंजनुइटी वह चीज है जो अद्भुत चीजें सिद्ध करने में लोगों की मदद करता है। यह ब्रह्मांड के हर कोने में हमारे क्षितिजों को विस्तारित करने में मदद करेगा।