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वुहान लैब की शॉकिंग फोटो आईं सामने, जिस रेफ्रिजरेटर में रखे थे कोरोना समेत 1500 वायरस, टूटी थी उसकी सील
वुहान. कोरोना वायरस का कहर दुनिया के 200 से ज्यादा देशों पर है। अब तक इससे 1.60 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वुहान से निकले इस वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार माना जा रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश चीन को कोरोना वायरस फैलने के लिए दोषी ठहरा रहे हैं। चीन और कोरोना वायरस को लेकर रोज ऐसे दावे हो रहे हैं, जिनसे यह आरोप सही सिद्ध होते जा रहे हैं। चीन को लेकर अब एक और खुलासा हुआ है। वुहान की जिस लैब को कोरोना फैलने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है, उसकी कुछ फोटो सामने आईं हैं। वे काफी शॉकिंग हैं।
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वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी के अंदर की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों में दिख रहा है कि जिस रेफ्रिजरेटर में 1500 प्रकार के वायरस रखे थे, जिसमें चमगादड़ से फैलने वाला कोरोना वायरस भी शामिल था, उसकी सील टूटी थी।
ये तस्वीरें सबसे पहले अमेरिका के सरकारी अखबार चाइना डेली में 2018 में छपी थी। इन्हें हाल ही में ट्विटर पर भी शेयर किया गया था। बाद में इन्हें डिलीट कर दिया गया।
इस फोटो पर एक यूजर ने ट्वीट कर लिखा था, इससे ज्यादा अच्छी सील तो मैं किचन में अपने फ्रिज में रखता हूं।
इससे पहले एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि वुहान की लैब से एक इंटर्न की गलती से कोरोना वायरस लीक हुआ।
अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी में काम करने वाली एक इंटर्न से गलती से लीक हुआ था। इस रिपोर्ट पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी प्रतिक्रिया दी थी।
ट्रम्प ने इस मामले की जांच कराने की बात कही थी। चैनल ने दावा किया था कि जिस इंटर्न की गलती से यह वायरस फैला, उससे वह भी संक्रमित हो गई थी। इसके बाद उसका ब्वॉयफ्रेंड संक्रमित हुआ। बाद में यह फैलता चला गया।
इससे पहले डेली मेल ने खुलासा किया था, चीन के वुहान में स्थित जिस लैब से कोरोना फैलने की बात कही जा रही है, उसमें अमेरिकी सरकार द्वारा दी गई आर्थिक मदद से चीन की गुफाओं से निकाले गए चमगादड़ों पर रिसर्च चल रही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी में 1000 मील दूर यूंनान की गुफाओं से लाए गए चमगादड़ों पर रिसर्च चल रही थी। इस रिसर्च के लिए अमेरिकी सरकार से 10 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद भी मिली थी।
वुहान में यह लैब मांस मार्केट के पास है। इस लैब पर पहले भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि यहीं से कोरोना वायरस निकला। पहले यह वायरस यूंनान की गुफाओं के चमगादड़ों में ही पाया गया था। बाद में ऐसा कहा गया कि वुहान के मांस मार्केट से यह जानवरों से इंसानों में पहुंचा।
डेली मेल के मुताबिक, लैब में कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे यह पता चलता है कि उस लैब में चमगादड़ों पर प्रयोग चल रहे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट में पहले भी कहा जा चुका है कि यह वायरस किसी लैब से निकला है।
हालांकि, वुहान इंस्टिट्यूट अपने ऊपर लगे ऐसे आरोपों को हमेशा से नकारता रहा है। इस इंस्टिट्यूट को चीनी सरकार ने 2003 के बाद बनाया था। तब चीन में सार्स वायरस फैला था। सार्स कोरोना का ही एक वायरस था जिसने 775 लोगों की जान ली थी। दुनियाभर में 8 हजार लोग उससे संक्रमित हुए थे।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वुहान की लैब में चमगादड़ों पर प्रयोग चल रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, लैब का एक वैज्ञानिक भी संक्रमित हो गया था। इसके बाद यह अन्य लोगों में फैला।
चीन पर मौत के आंकड़े छिपाने का भी आरोप: इससे पहले चीन ने अचानक वुहान में मरने वालों की संख्या 50% बढ़ा दी थी। यहां मरने वालों की संख्या में 1290 नए नाम जोड़े गए थे।
इस पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी चीन पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि कई देश मौत की संख्या छिपा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कई देशों के मौत के आंकड़ों पर यकीन कर पाना मुश्किल है।
उन्होंने कहा था कि अमेरिका में पूरी दुनिया की 20% मौतें हुईं, जबकि अमेरिका की आबादी पूरी दुनिया में सिर्फ चार फीसदी है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में मीडिया से बात में कहा था, यह सोचना गलत है कि चीन ने कोरोना का मुकाबला अच्छे से किया, स्पष्ट रूप से वहां ऐसी चीजें हुई हैं, जिनके बारे में दुनिया को नहीं पता।