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गजब Politics: रूस का मतलब पुतिन क्यों कहा जाता है, क्योंकि चुनाव कैसे जीता जाता है, ये अच्छे से जानते हैं

मास्को (Moscow). कई सारी धांधलियों के आरोपों के बीच व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने फिर से इलेक्शन जीत लिया है। हालांकि रूस (Russia) के इलेक्शन कमीशन ने किसी भी तरह की धांधली (Fraud Claims) के आरोपों को नकार दिया। रूस में रविवार को खत्म हुए संसदीय चुनाव में पुतिन की सत्ताधारी पार्टी युनाइडेट रशिया को करीबन 50% वोट मिले हैं। यह और बात है कि 2016 में पुतिन की पार्टी को 54% वोट मिले थे, यानी इस बार उनका क्रेज कम हुआ है। उन पर आरोप है कि अपने प्रमुख विरोधियों को तो चुनाव ही नहीं लड़ने दिया गया। जबरन वोट कराने और बैलट से छेड़खानी के भी आरोप लगे हैं। पुतिन 1999 से लगातार रूस की सत्ता में बने हुए हैं। पिछले साल पुतिन ने रूस के संविधान में संशोधन कर ऐसा जुगाड़ किया था, ताकि वो 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रह सकें।

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Asianet News Hindi
Published : Sep 21 2021, 09:11 AM IST| Updated : Sep 21 2021, 09:13 AM IST
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7 मई, 2012 से लगातार रूस के प्रेसिडेंट पद पर जमे व्लादिमीर पुतिन को लेकर जनवरी, 2021 में रूस में जबर्दस्त विद्रोह खड़ा हो गया था। वे कभी प्रधानमंत्री बन जाते हैं, तो कभी राष्ट्रपति। रूस में अब तक एक वाक्य प्रचलित रहा है-'रूस का मलतब पुतिन और पुतिन का मतलब रूस!' 68 साल के पुतिन ने जब 2018 में राष्ट्रपति चुनाव जीता, तब उन्हें 75 प्रतिशत वोट मिले थे। रूस में पहले राष्ट्रपति के चुनाव की अवधि 4 साल थी। लेकिन 2008 में जब दिमित्री मेदवेदेव राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने पुतिन को प्रधानमंत्री बना दिया। सितंबर, 2011 में पुतिन ने कानून में बदलाव करके राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 6 साल कर दिया  और 2012 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। तब भी उनका विरोध हुआ था। आरोप है कि पुतिन अपने विरोधियों को मरवा डालते हैं।

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पुतिन का कार्यकाल 2024 में खत्म होने वाला था। लेकिन संविधान में संशोधन के बाद वे 2036 तक राष्ट्रपति बने रहेंगे। हालांकि रूस का एक बड़ा तबका ऐसा नहीं चाहता। यही वजह है कि रूस के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन जनवरी में हुआ था। तब पुतिन के धुर विरोधी एलेक्सी नवेलनी की गिरफ्तारी के विरोध में 109 शहरों में जबर्दस्त प्रदर्शन हुए थे। एलेक्सी ने 2018 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की कोशिश की थी। लेकिन उन्हें एक केस में उलझाकर जेल भेज दिया गया। 

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पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर, 1952 को हुआ था। पुतिन 16 साल तक सोवियत संघ की गुप्तचर संस्था केजीबी में अधिकारी रहे। वहां वे लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंचे। 1991 में रिटायर्ड होने के बाद पुतिन ने अपने पैतृक शहर सेंट पीटर्सबर्ग से पॉलिटिक्स में कदम रखा।

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पुतिन 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की टीम में शामिल हो गए। लेकिन येल्तसिन के अचानक इस्तीफा देने के बाद पुतिन 31 दिसंबर, 1999 को रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए। पुतिन ने 2000 और 2004 का राष्ट्रपति चुनाव जीता।

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पुतिन का राजनीति ग्राफ
सेंट पीटर्सबर्ग में प्रशासन कार्य (1990–1996)
मास्को में प्रारंभिक कैरियर (1996–1999)
प्रधानमंत्री का पद (1999)
कार्यवाहक राष्ट्रपति (1999-2000)
राष्ट्रपति के रूप में पहला कार्यकाल (2000-2004)
राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल (2004–2008)
प्रधानमन्त्री के रूप में दूसरा कार्यकाल (2008–2012)
राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल (2012–2018)
राष्ट्रपति के रूप में चौथा कार्यकाल (2018–वर्तमान)

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पुतिन के पिता व्लादिमीर स्पिरिदोनोविच पुतिन(1911-1999) सोवियत नेवी में काम करते थे। वहीं मां मारिया इवानोव्ना शेलोमोवा(1911-1998) एक फैक्टरी में मजदूर थीं। पुतिन ने भी कारखाने में फोरमैन की नौकरी की। इसके बाद 1930 के दशक में वे पनडुब्बी बेड़े में सेवाएं देने लगे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वे गुरिल्ला सिपाही बने। घात लगाकर दुश्मनों को मारने में माहिर। युद्ध के बाद वे कारखाने में काम करने लगे।

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पुतिन को फिल्में देखने का बड़ा शौक रहा है। वे जासूसी फिल्में देखा करते थे। पुतिन को रूसी के अलावा पुतिन और जर्मन भाषाओं को ज्ञान है। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अंग्रेजी सीखी।

फोटो साभार- themoscowtimes.com
 

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