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कोरोना पर रिसर्चः11 दिन बाद मरीजों को दे सकते हैं छुट्टी, नहीं फैलता संक्रमण, भले जांच रिपोर्ट हो पॉजिटिव

सिंगापुर. दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। संक्रमण को रोकने के लिए एक ओर जहां वैक्सीन बनाने का काम जारी है।  वहीं, दूसरी ओर लगातार वायरस पर रिसर्च किया जा रहा है। इसी क्रम में सिंगापुर के संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ.अशोक कुरुप ने कहा है कि कोरोना से संक्रमित होने के 11 दिन बाद मरीज से दूसरों को संक्रमण का खतरा नहीं है। 11 दिन बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा सकता है भले ही उसका टेस्ट पॉजिटिव क्यों न हो। उन्होंने बताया कि कोरोना के 73 मरीजों पर यह रिसर्च की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये नतीजे हॉस्पिटल में मरीज को जल्द डिस्चार्ज करने में मददगार साबित होंगे और मेडिकल सुविधाएं मिलने से ज्यादा लोगों को फायदा हो सकेगा। 

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Asianet News Hindi
Published : May 26 2020, 09:16 AM IST
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7-10 दिन तक रहता है संक्रमण का खतरा
वर्तमान में हॉस्पिटल में दो बार निगेटिव टेस्ट आने पर डिस्चार्ज करने की अनुमति मिलती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च का डाटा कोरोना महामारी की शुरुआत से ही इकट्‌ठा किया गया है। नतीजों के रूप में सामने आया कि मरीज में लक्षण दिखने का समय संक्रमण के 7 से 10 दिन का रहता है।

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इलाज के दो हफ्ते बाद तक पॉजिटिव आ सकती है रिपोर्ट 
नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिसीज ने हाल ही में रिसर्च रिपोर्ट रिलीज की है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मरीजों की जांच में कई बार वायरस के सूक्ष्म हिस्से यानी डेड पार्टिकल मिलने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है जबकि इससे संक्रमण का खतरा नहीं होता है। मरीज की इलाज के दो हफ्ते बाद तक रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। 

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पहले हफ्ते तक रहता है वायरल के बढ़ने का खतरा
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरल के संख्या बढ़ने का खतरा बीमारी के पहले ही हफ्ते में होता है। बीमारी के दूसरे हफ्ते में वायरस रेप्लिकेशन की स्थिति में नहीं पाया गया। संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुरुप का कहना है कि रिसर्च अभी भी जारी है और अधिक डाटा सामने लाने की कोशिश की जा रही है। 
 

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दो बार पॉजिटिव रिपोर्ट आना, वायरस के मृत कण हो सकते हैं 
साउथ कोरिया के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने हाल ही में अपनी रिसर्च में दावा किया है कि इलाज के बाद जिन मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उसका कारण शरीर में मौजूद कोरोना वायरस के मृत कण हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इनसे संक्रमण नहीं फैल सकता। यह रिसर्च 285 ऐसे कोरोना सर्वाइवर पर की गई है जो इलाज के बाद पॉजिटिव मिले थे।

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पीसीआर टेस्ट में जांचा, वायरस जिंदा है या उसका कोई हिस्सा है 
शोधकर्ताओं का कहना है कि 285 मरीजों के सैम्पल में कोरोना वायरस के न्यूक्लिक एसिड की पुष्टि के लिए पीसीआर टेस्ट किया गया। जांच के जरिए यह समझने की कोशिश की गई कि दोबारा पॉजिटिव आने वाले मरीजों में वायरस जिंदा है या उसका कोई हिस्सा है। रिसर्च में साबित हुआ कि पॉजिटिव आने वाले मरीजों में वायरस संक्रमण फैलाने के लिए सक्रिय नहीं होता। 

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दुनिया में कोरोना का हाल
दुनिया में कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है।  संक्रमित मरीजों की संख्या 55 लाख 88 हजार 356 हो गई है। जबकि अब तक 3 लाख 47 हजार 873 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि राहत की बात है कि संक्रमण के शिकार 23 लाख 65 हजार 719 लोग ठीक भी हो चुके हैं। कोरोना के कहर से अमेरिका का बुरा हाल है। यहां सबसे अधिक 17 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर ब्राजील पहुंच गया है। यहां कोरोना शिकार मरीजों की संख्या 3 लाख 76 हजार 669 है, जो किसी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है। 

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