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क्या मिल गई कोरोना की दवा? अमेरिका में तो लोग ठीक भी होने लगे हैं, भारत में भी दिख रहा है असर
वाशिंगटन. कोरोना वायरस के कहर को रोकने के लिए दवा की खोज में दुनिया भर के तमाम वैज्ञानिक जी जान से जुटे हुए हैं। एक ओर जहां ब्रिटेन में ट्रायल चल रहा है। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका से राहत देने वाली खबर सामने आई है। अमेरिका में इबोला वायरस के मरीजों के लिए बनाई गई रेमडेसिवीर दवा कोरोना के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हुई है। इसके साथ ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि इन दवाओं से कोरोना के संक्रमण पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा। इन सब के बीच अमेरिकी सरकार ने इलाज के लिए इन दवाओं को मंजूरी दे दी है।
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गंभीर रूप से बीमार लोग औसतन 11 दिन में हो रहे स्वस्थ
बताया जा रहा है कि जिन लोगों को रेमेडेसिविर दवा दी गई उन्हें औसतन 11 दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इससे पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के एंथनी फॉसी ने बताया था कि यह दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कारगर होगी।
अभी इस दवा का इस्तेमाल मामूली रूप से बीमार मरीजों पर नहीं किया गया है। एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी।
अमेरिका के शिकागो शहर में कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित 125 लोगों का इलाज रेमडेसिवीर दवाई से किया गया, जिनमें 123 लोग पूरी तरह ठीक हो गए। इसके बाद कोरोना के इलाज के लिए इसे नए खोज के रूप में देखा गया। जिसके बाद इस दवा के इस्तेमाल की हरी झंडी एफडीए ने दे दी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार डॉक्टर एंथनी फाउसी ने पिछले दिनों कहा था, 'आंकड़े बताते हैं कि रेमडेसिविर दवा का मरीजों के ठीक होने के समय में बहुत स्पष्ट, प्रभावी और सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।'
उन्होंने कहा था कि रेमडेसिविर दवा का अमेरिका, यूरोप और एशिया के 68 स्थानों पर 1063 लोगों पर ट्रायल किया गया है। इस ट्रायल के दौरान यह पता चला कि 'रेमडेसिविर दवा इस वायरस को रोक सकती है।'
अमेरिका में कई अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया के उपचार में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सा पत्रिका ‘एमडेज’ में शुक्रवार को प्रकाशित एक खबर के अनुसार, मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) और तोसीलिजुमैब दवा से येल न्यू हेवन हेल्थ सिस्टम के अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है।
भारतीय-अमेरिकी हृदयरोग विशेषज्ञ निहार देसाई ने पत्रिका को बताया, ‘यह सस्ती दवा है, इसका दशकों से इस्तेमाल किया जाता रहा है और लोग इससे आराम महसूस कर रहे हैं।’
देसाई ने कहा, ‘हम अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि हमें फिर से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी जैसी किसी चीज का सामना कभी न करना पड़े।’ देसाई के अस्पताल में लगभग आधे मरीज कोविड-19 के हैं।
गौरतलब है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है। अमेरिका ने इस दवा की मांग की थी। जिसके बाद भारत ने कई देशों को यह दवा निर्यात की थी। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए भारत सरकार ने आवश्यक दवाईयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा था। लेकिन कई देशों की मांग के बाद सरकार ने इसे मंजूरी दी थी।
इबोलो के ड्रग के रूप में किया गया था विकसित
Remdesivir दवा को इबोलो के ड्रग के रूप में विकसित किया गया था लेकिन समझा जाता है कि इससे और भी कई तरह के वायरस मर सकते हैं। अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में कोरोना से जंग जीतने वाली एक महिला ने अपना निजी अनुभव शेयर करते हुए बताया था कि दवा remdesivir की मदद से उनके पति कोरोना से ठीक हो गए थे।
चीन ने पेटेंट कराने के लिए दी थी अर्जी
कोरोना के संक्रमण की शुरूआत चीन के वुहान शहर से हुई। चीन ने कोरोना के संक्रमण को लेकर तमाम कवायदें की। इस बीच चीन ने इबोला से लड़ने के लिए अमेरिका की बनाई हुई Remdesivir को 21 जनवरी को ही पेटेंट कराने की अर्जी दे दी थी। ये अर्जी वुहान की वायरॉलजी लैब और मिलिट्री मेडिसिन इंस्टिट्यूट ने बनाई थी।
भारत की है इस पर नजर
कोरोना के संक्रमण को रोकने लिए दवा बनाने में भारत भी कई देशों के साथ मिलकर लगातार कोशिश कर रहा है। कोरोना के इलाज के लिए वैक्सीन बनाने और उसके ट्रायल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ भारत भी साझेदारी कर रहा है। भारत ने भी रेमडेसिवीर के ट्रायल पर नजर बना रखी है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के निदेशक डॉ. रमण गंगाखेडकर ने कहा है कि इस ट्रायल को करीब से देखा जा रहा है और इससे जुड़े आंकड़ों को जुटाया जा रहा है। उनका कहना है कि अगर यह दवा कोरोना महामारी के इलाज में कारगर साबित होती है तो एक बड़ी उपलब्धि होगी। भारत भी इस दवा का इस्तेमाल कर सकता है।
दुनिया में कोरोना
दुनिया में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 34 लाख 1189 हो गई है। जबकि अब तक 2 लाख 39 हजार 604 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि राहत की बात है कि अब तक 10 लाख 81 हजार 639 लोगों कोरोना के संक्रमण से ठीक भी हो चुके हैं। संक्रमण के कहर से अमेरिका का बुरा हाल है। यहां पिछले 24 घंटे में 1883 लोगों की मौत हुई है।
अमेरिका में अब तक 11 लाख लोग संक्रमित
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में 24 घंटे में 1883 लोगों की मौत हुई है। यहां 11 लाख 31 हजार से अधिक लोग संक्रमित हैं। जबकि अब तक 65 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका दुनिया का इकलौता देश है जहां तीन देशों में 24 हजार से अधिक मौतें के बराबर यहां अकेले उतनी मौतें हुई हैं।