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महंगाई के खिलाफ कजाकिस्तान में विद्रोह; पुलिस ने फिल्मी स्टाइल में गोलियों से आंदोलनकारियों को भून डाला
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मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान में प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने पुलिसकर्मियों ने दनादन गोलियां दागी। हिंसक भीड़ ने भी 18 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया। एक पुलिसकर्मी का सिर काटकर फेंक दिया।
(photo credit: REUTERS/PAVEL MIKHEYEV)
हिंसा के चलते सरकार ने इस्तीफा तक दे दिया है, बावजूद लोगों का आक्रोश कम नहीं हो रहा है। हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन और महापौर के निवास में भी घुस गई। फोटो क्रेडिट: Reuters
हालांकि राजधानी नूर-सुल्तान अभी इस हिंसा से बचा हुआ है। मामले को संभालने रूस ने अपने सैनिक भेजे हैं। लेकिन भीड़ ने उन्हे घेर लिया। इस पर उन्होंने गोलियां दाग दीं।
राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव(Kassym-Jomart Tokayev) ने प्रदर्शनों को शांत करने ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। उन्होंने सरकार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वहीं, प्रदर्शन को कुचलने का संकल्प भी दुहराया है।
राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव(Kassym-Jomart Tokayev) ने इस हिंसक प्रदर्शक के लिए आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है। अलमाती और अन्य शहरों के हवाई अड्डे बंद कर दिए गए हैं।
रूस के नेतृत्व वाले गठबंधन ‘सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन’ (सीएसटीओ) ने कहा कि वह राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव के अनुरोध पर कजाखस्तान में शांति सैनिक भेज रहा है। CSTO के एक अन्य सदस्य किर्गिस्तान भी अपनी सेना भेजने को तैयार है।
राष्ट्रपति तोकायेव ने पूरे देश में दो हफ्ते के लिए इमरजेंसी लगा दी है। इसके तहत रात में कर्फ्यू लागू रहेगा और धार्मिक प्राथर्नाओं पर रोक रहेगी। प्रदर्शनकारी ‘पुराने लोग जाओ’ के नारे लगाते देखे गए। यानी वे देश के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजरबेयेव का हवाला दे रहे हैं। उन्होंने 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया था।
कजाकिस्तान में मंहगाई के खिलाफ कई हफ्तों से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। मंगलवार को प्रदर्शन तब और तेज हो गए, जब अधिकारियों ने एलपीजी की कीमतों पर लगी सीमा हटा ली, जिसके बाद ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि देखने को मिली।