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हिंसा की आग में जल रहा US, 17 हजार नेशनल गार्ड तैनात, ह्यूस्टन पुलिस चीफ बोले...तो अपना मुंह बंद रखें ट्रंप
वॉशिंगटन. अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद देश हिंसा की आग में झुलस रहा है। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 राज्यों में 17 हजार नेशनल गार्ड की तैनाती कर दी है। नेशनल गार्ड को हिंसा रोकने और राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हिंसक प्रदर्शनों को घरेलू आतंकवाद करार दिया है। फ्लॉयड की मौत के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों की आग अमेरिका के 140 शहरों तक पहुंच गई है। इसे देश में पिछले कई दशकों में सबसे खराब नागरिक अशांति माना जा रहा है।
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, मैं कानून व्यवस्था वाला राष्ट्रपति हूं. हिंसा, लूटपाट, बर्बरता, हमले और अपमान को रोकने के लिए हजारों सशस्त्र सैनिकों को भेज रहा हूं। सैन्य कर्मी उन लोगों पर कार्रवाई करेंगे, जो संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा है कि हिंसा, लूट, अराजकता और अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रेस सचिव कैली मैकनैनी ने कहा, 'राष्ट्रपति ने साफ कर दिया है कि हम अमेरिका की सड़कों पर जो देख रहे हैं, वह मंजूर नहीं है। ये आपराधिक कृत्य प्रदर्शन नहीं हैं और न ही अभिव्यक्ति हैं। ये महज अपराध हैं जो बेकसूर अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।'
गवर्नरों को करनी होगी कार्रवाई, नहीं तो तैनात करेंगे सेना
प्रेस सचिव ने बताया कि 24 राज्यों में नेशनल गार्ड के करीब 17,000 सैनिकों की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा, 'कुल 3,50,000 नैशनल गार्ड उपलब्ध हैं और अराजकता के लिए और कदम उठाए जाएंगे। देशभर के गवर्नरों को कार्रवाई करनी होगी। उन्हें नेशनल गार्ड की तैनाती करनी होगी क्योंकि यह अमेरिकी समुदायों को बचाने के लिए जरूरी है।'
राष्ट्रपति ने कहा कि अगर राज्यों के गवर्नर हिंसक प्रदर्शनकारियों को काबू करने में नेशनल गार्ड का इस्तेमाल नहीं करते हैं और शांति कायम रखने में असफल रहते हैं, तो वह सड़कों पर सेना की तैनाती का आदेश देंगे।
सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च पहुंचे ट्रंप
प्रदर्शनकारियों ने 'चर्च ऑफ प्रेजिडेंट्स' के नाम से मशहूर ऐतिहासिक सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च को आग तक लगा दी है। सोमवार को भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने चर्च का दौरा किया। व्हाइट हाउस के आसपास से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने रबर की गोली का इस्तेमाल किया। इस दौरान अमेरिकी सेना-पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प हुई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने ड्रम बजाते हुए सड़कों पर रैली निकाली और 'Black Lives Matter' के नारे लगाए।
अमेरिका के 24 शहरों में हिंसा के बाद हुई गिरफ्तारी
खबरों के मुताबिक 24 शहरों में कम-से-कम 4 हजार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 20 प्रतिशत गिरफ्तारी लॉस एंजिलिस में हुई हैं। बोस्टन में पुलिस की एसयूवी को स्टेट हाउस के पास आग के हवाले कर दिया गया। उधर, पुलिस अधिकारी दंगों के समय इस्तेमाल होने वाले हथियारों और बख्तरबंद वाहन में प्रदर्शनकारियों और लुटेरों को तितर-बितर करने के लिए मिर्च स्प्रे इस्तेमाल करते दिखे। यूनियन स्कॉयर में कबाड़ में पड़े कैन और सड़क पर पड़े कूड़े को आग लगा दी गई, जिससे आग की लपटें दो मंजिला इमारत की ऊंचाई तक उठती दिखी।
मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद इतनी ज्यादा हिंसा
खबरों में कहा गया कि यह पहली बार है जब 1968 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद से इतने सारे अधिकारियों ने नागरिक अशांति को देखते हुए एक साथ ऐसे आदेश पारित किए हों। इस बीच जॉर्ज फ्लॉयड प्रकरण में भड़की हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का गुस्सा एंटीफा संगठन पर फूटा है। ट्रंप ने इसे आतंकी संगठन की श्रेणी में भी रखना चाहते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया है कि इस प्रदर्शन को हाइजैक कर लिया गया है।
ह्यूस्टन पुलिस चीफ ने कहा, '...तो अपना मुंह बंद रखें ट्रंप'
अमेरिका में हिंसक प्रदर्शनों के बीच ह्यूस्टन के पुलिस चीफ ने राष्ट्रपति ट्रंप से अपना मुंह बंद रखने के लिए कहा है। ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना की तैनाती की चेतावनी दी है। इससे पहले उन्होंने गोली मारने की बात कही थी। इस पर ह्यूस्टन के पुलिस चीफ ने कहा कि अगर आपके पास इस मुद्दे से निपटने का कोई अच्छा सुझाव नहीं है, तो कृपया अपना मुंह बंद रखें।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, 'आप लोगों को खतरे में डाल रहे हैं। यह समय लोगों का दिल जीतने का है न कि उन्हें धमकी देने का। पूरे देश में पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं, लोग जख्मी हुए हैं। लेकिन नेतृत्व हमें दुखी कर रहा है। अगर कुछ अच्छा बोलने के लिए नहीं है तो कृपया अपना मुंह बंद रखिए। आप एक राष्ट्रपति हैं और उस हिसाब से फैसले लीजिए। यह वास्तविक जीवन है और यह खतरे में है।'
कौन था जार्ज फ्लॉयड?
जॉर्ज फ्लॉयड 46 साल के थे। उनका जन्म उत्तरी कैरोलीना में हुआ था। वे ह्यूस्टन में रहते थे। लेकिन काम के सिलसिले में वह मिनियापोलिस आ गया। फ्लॉयड मिनियापोलिस के एक रेस्टोरेंट में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करता था। 5 साल से जॉर्ज उस रेस्टोरेंट में काम कर रहे थे। वे मालिक के घर पर किराए से रहते थे। उनकी 6 साल की बेटी भी है। जॉर्ज की पत्नी के मुताबिक, उन्हें मिनियापोलिस काफी पसंद था। वे इसलिए यहां रह रहे थे।
क्या है मामला?
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें एक अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड जमीन पर लेटा नजर आ रहा है और उसके गर्दन के ऊपर एक पुलिस अफसर घुटना रखकर दबाता है। कुछ मिनटों के बाद फ्लॉयड की मौत हो जाती है। वीडियो में जॉर्ज कहते दिख रहे हैं, प्लीज आई कान्ट ब्रीद (मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं)। यही उनके आखिरी शब्द थे। अब अमेरिका में प्रदर्शनकारी आई कॉन्ट ब्रीद का बैनर लिए विरोध कर रहे हैं।