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दुनिया की सबसे खूंखार प्राइवेट सेना को ऑपरेट करता है राष्ट्रपति पुतिन का पूर्व रसोइया, जाने कैसे होती भर्ती?
World's most dangerous Private army: दुनिया के देशों के पास एक से बड़ी एक ताकतवर सेनाएं हैं लेकिन रूस ऐसा देश है जिसके पास एक खूंखार प्राइवेट आर्मी भी है। यह आर्मी, रूसी सेना के पैरलल है। दुनिया की इस खूंखार आर्मी के जवान यूक्रेन युद्ध में बड़े ही बर्बर तरीके से हिस्सा लिए। हैरत की बात यह कि इस प्राइवेट आर्मी को विभिन्न टुकड़ियों में बांटकर टारगेट दिया गया था। काम पूरा होने के बाद बाकायदा इनको सम्मानित कर वापस सामान्य जीवन में भेजा भी गया। आईए जानते हैं कौन है इस प्राइवेट आर्मी का कर्ताधर्ता और क्यों इसको रूस ने दे रखी है मान्यता...
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किसको शामिल किया जा रहा था इस प्राइवेट सेना में...
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूसी सेना का साथ देने के लिए एक सैन्य ग्रुप को युद्ध के मैदान में भेजा गया था। बताया गया कि इनमें तमाम दूसरे देशों के सैनिक और तमाम आतंकी भी शामिल हैं। दरअसल, यह रूसी प्राइवेट सेना थी। इसे एक प्राइवेट कंपनी Wagner Group द्वारा संचालित किया जा रहा था। रूस की प्राइवेट सेना Wagner Group में जेल में बंद खूंखार अपराधियों, हत्यारों आदि को शामिल किया जा रहा था। इनकी बाकायदा ट्रेनिंग कराई गई। इस प्राइवेट सेना की भर्ती रूसी जेलों में चली जहां एक से बढ़कर एक खतरनाक अपराधी कैद थे।
भाड़े के सैनिकों को कैडर दिया गया
वैगनर सैनिकों को शामिल करने के बाद उनको रैंक दिया गया। इन भाड़े के सैनिकों के यूक्रेन युद्ध में उतारा गया। यहां इन लोगों ने हजारों यूक्रेनी सैनिकों को बर्बरतापूर्वक हत्याएं की। रूसी सैनिकों के साथ मिलकर युद्ध किया। इन सैनिकों को भरोसा दिलाया गया कि वह जब लौटेंगे तो उनको सामान्य जीवन जीने का मौका दिया जाएगा।
व्हाइट हाउस ने पिछले महीने के अंत में कहा था कि वैगनर ग्रुप ने यूक्रेन में रूसी सेना को मजबूत करने में मदद करने के लिए उत्तर कोरिया से हथियारों की खेप भेजी थी।
5 जनवरी को फर्स्ट ग्रुप को कर दिया गया आजाद
कांट्रैक्ट के अनुसार जब वैगनर सैनिकों की पहली खेप वापस यूक्रेन से आई तो उनको जेल से स्थायी आजादी तो मिली ही साथ ही उनको सामान्य जीवन जीने के लिए विदाई भी दी गई। वैगनर के बॉस ने इन सैनिकों को सामान्य नागरिक की तरह रूस में रहने का संदेश दिया। साथ ही सामान्य जीवन में आने पर हत्या या अन्य अपराध से बचने को भी कहा।
कौन है रूसी प्राइवेट सेना का कमांडर?
रूसी प्राइवेट सेना वैगनर ग्रुप के संचालक येवगेनी प्रिग्रोजिन है। येवगेनी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे विश्वासपात्र और करीबी हैं। एक रसोइयां से रूस के सबसे ताकतवर इंसान बनने के सफर में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का सबसे बड़ा योगदान है। 61 साल के येवगेनी के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वह पुतिन के उत्तराधिकारी हैं।
हालांकि, पुतिन की बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि वह येवगेनी को जल्द राष्ट्रपति पद सौंप सकते हैं। येवगेनी कभी एक हॉटडॉग स्टाल लगाया करते थे। बाद के दिनों में वह पुतिन के शेफ बन गए। येवगेनी प्रिगोजिन का जन्म 1 जून 1961 को सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ। पुतिन की तरह येवगेनी सेंट पीटर्सबर्ग में पले-बढ़े।
कैसे आए पुतिन के संपर्क में येवगेनी?
हॉटडॉग स्टॉल लगाने वाले येवगेनी ने अपने पार्टनर के साथ मिलकर एक रेस्टोरेंट खोली। जल्द ही इस रेस्टोरेंट की पापुलैरिटी बढ़ी और यह सेंट पीटर्सबर्ग का सबसे उम्दा रेस्त्रां बन गया। पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पुतिन खुद वर्ल्ड लीडर्स के साथ इस रेस्तरां में गए। सबसे अहम यह कि अपने मेहमानों को सर्व किए जाने के दौरान येवगेनी स्वयं मौजूद रहते। इसी दौरान उनकी पुतिन से जान पहचान हुई।
पुतिन उनके प्रभावित हुए और फिर तो येवगेनी के दिन ही फिर गए। पुतिन के संपर्क में आने के बाद येवगेनी ने कॉनकॉर्ड कैटरिंग की शुरुआत की। इसके बाद येवगेनी को रूस के स्कूलों और सेना को खिलाने के लिए बड़े गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट मिलने लगे। उन्हें राष्ट्रपति के भोज की मेजबानी करने का अवसर भी मिला। इसी के बाद से उन्हें पुतिन का रसोइया या शेफ कहा जाने लगा। एंटी-करप्शन फाउंडेशन के मुताबिक, पिछले 5 सालों में येवगेनी को 3.1 अरब डॉलर यानी 26 हजार करोड़ रुपए के गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं।
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