सार
विधानसभा चुनाव के सियासी मैदान में बीजेपी ने हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से अपने 78 उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट सोमवार को जारी कर दी है, लेकिन अभी भी 12 सीटें बची हुई हैं।
चंडीगढ़ (Chandigarh). हरियाणा की सत्ता में वापसी के लिए भारतीय जनता पार्टी हर संभव कोशिशों में जुटी है। विधानसभा चुनाव के सियासी मैदान में बीजेपी ने हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से अपने 78 उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट सोमवार को जारी कर दी है, लेकिन अभी भी 12 सीटें बची हुई हैं। ये ऐसी सीटें हैं जहां पर पेंच फंसा हुआ है, जिसके चलते नामों की घोषणा में देर हो रही है।
12 सीटें जिन पर नामों का इंतजार
हरियाणा की रेवाड़ी, गुरुग्राम, तोशाम, गन्नौर, कोसली, नारायणगढ़, पलवल, फतेहाबाद, पानीपत सिटी, खरखौदा, आदमपुर और महम शामिल हैं। इन पर बीजेपी की टिकट पाने और कटवाने की जंग चरम पर है।
रेवाड़ी और कोसली केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के प्रभाव वाली सीटें हैं। जो अपनी बेटी आरती राव के टिकट के लिए अड़े हुए हैं। इसी के चलते इस सीट पर अभी तक कैंडिडेट के नाम पर मुहर नहीं लग सकी है। वहीं, तोशाम विधानसभा सीट ऐसी है, जहां से कांग्रेस की किरण चौधरी विधायक है। बीजेपी इस सीट को इस बार जीतना चाहती है, ऐसे में उसे भारी भरकम प्रत्याशी की तलाश में है।
हरियाणा की ये ऐसी सीटें है, जिन पर कुछ नेताओं ने अपने परिवार के लिए टिकट मांगा है। उन लोगों का तर्क है कि यह सीट उनके परिवार की परंपरागत सीटें रहीं है इसलिए हमारे परिवार के ही किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाया जाए। दूसरी पार्टियों से आए कुछ नेताओं ने भी उन सीटों पर अपना दावा जता रखा है। ऐसे में बीजेपी आलाकमान चुनाव से ठीक पहले किसी तरह की गुटबाजी से बचने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
हालांकि हरियाणा में अभी तक के टिकट बंटवारे से प्रदेश बीजेपी का एक भी नेता ऐसा नहीं है जो ये कहे कि उसकी चली है। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को टिकट नहीं दिला पाए, लेकिन उन्होंने पार्टी में ही मौजूदा समय में धुर विरोधी विपुल गोयल का भी टिकट कटवाने में जरूर सफल रहे हैं।
ऐसे में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी अभी तक अपनी बेटी आरती राव को टिकट नहीं दिला पा रहे हैं। इसी के चलते बीजेपी में उनके धुर विरोधी राव नरबीर सिंह को भी बीजेपी ने अभी तक टिकट नहीं दिया है। जबकि नरबीर सिंह सीएम मनोहर लाल खट्टर के काफी करीबी माने जाते हैं।
राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में शामिल हुए थे। साल 2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इंद्रजीत सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। दक्षिण हरियाणा में अच्छी खासी पकड़ है, जिसके चलते लगातार वो गुरुग्राम सीट से सांसद चुनकर आ रहे हैं। बेटी को टिकट न जिए जाने से नाराज माने जा रहे हैं। हालांकि पार्टी उन्हें साधने में लगी हुई है।