सार

जिंदगी में सुख-दु:ख लगे रहते हैं। इस समय सब लोग कोरोना संकट से जूझ रहे हैं। खासकर गरीब और मजदूर परिवारों को अधिक दिक्कतें हो रही हैं। लेकिन खुशियां अमीरी-गरीबी नहीं देखतीं। कल तक यह महिला मायूस थी, अब गोद में बेटा आने पर खुश है। यह महिला 700 किमी दूर अपने घर के लिए पैदल ही निकली थी, लेकिन रास्ते में पुलिस ने रोककर शेल्टर होम में पहुंचा दिया था।

रोहतक, हरियाणा. कोरोना संक्रमण ने सारी दुनिया में संकट पैदा कर दिया है। लोग परेशान हैं। खासकर, गरीबों और मजदूरों को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। वहीं, हजारों दिहाड़ी मजदूर अपने घरों से मीलों दूर फंसे हुए हैं। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने इनके रहने और खाने का प्रबंध किया है, लेकिन अपना घर-अपना होता है। अपने घर से दूर रहने की पीड़ा अलग होती है। यह महिला भी अपने घर से 650 किमी दूर एक शेल्टर होम में रुकी हुई है। गुड्डी नामक यह महिला मायूस थी। लेकिन बुधवार रात से अचानक इसके आंखों में चमक आ गई है। चेहरे खिल उठा है। इस मायूसीभरे समय में उसने एक बेटे को जन्म दिया है। महिला अपने बेटे का चेहरा देखकर सारी तकलीफें मानों भूल गई है।

पैदल ही घर के लिए चल पड़ी थी 9 महीने की गर्भवती..
गुड्डी का परिवार मूलत: मध्य प्रदेश का रहने वाला है। ये लोग चरखी दादरी के रानीला में रहकर मेहनत-मजदूरी करते थे। अचानक लॉकडाउन के चलते काम-धंधा बंद हो गया। लिहाजा, मायूस होकर गुड्डी और उसका परिवार 22 दिन पहले पैदल ही 700 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा। लेकिन ये लोग अभी 60 किमी ही चल पाए थे कि रोहतक जिले के सांपला नाके पर पुलिस ने इन्हें और बाकी मजदूरों को आगे जाने से रोक दिया। इन लोगों को प्रवासी मजदूरों के लिए तैयार किए गए अस्थायी शेल्टर होम में पहुंचा दिया गया। गुड्डी के पति अशोक ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि वे पैदल अपने घर तक पहुंच जाएंगे। हालांकि, तब रोके जाने पर वे दु:खी हुए थे, लेकिन अब खुश हैं।

दयानंद मठ ने मनाई खुशियां..
गुड्डी और उसके पति को दयानंद मठ में बने शेल्टर होम में  रुकवाया गया है। बुधवार देर रात अशोक ने डायल 100 को कॉल करके बताया कि उसकी पत्नी को लेबर पेन हो रहा है। पुलिस ने एम्बुलेंस पहुंचवाई। इसके बाद रेडक्रॉस और महिला बाल विकास विभाग की मदद से गुड्डी को पीजीआईएमएस में ले जाया गया। यहां रात करीब 11 बजे गुड्डी ने बेटे को जन्म दिया। बेटा का चेहरा देखकर गुड्डी और अशोक अपनी सारी तकलीफें भूल गए।

इस मौके पर बाल कल्याण परिषद की चेयरपर्सन पुष्पा वर्मा ने परिवार को साड़ियां, घी व दूध के डिब्बे, सूखा राशन और बच्चे को शगुन दिया। दयानंद मठ ने परिवार के लिए अलग से कमरा दिया है। गुड्डी के पिता बिहारीलाल ने बताया कि उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे पोते के जन्म का जश्न मना सकें, लेकिन वे बहुत खुश हैं। लोगों ने उनकी बहू को इतनी तवज्जो दी..यह देखकर बड़ा अच्छा लगा।