सार
यह तस्वीर एक ऐसी मजदूर की है, जो अपना गांव छोड़कर फरीदाबाद काम-धंधे की तलाश में आया था। यहां सब ठीक चल रहा था। दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो गया था। लेकिन उसे क्या मालूम था कि 12 साल बाद जिंदगीभर वही दिन दिखाएगी। इस बार उसे काम-धंधा बंद होने पर फिर घर वापस लौटना पड़ेगा। यह मजदूर मध्य प्रदेश से हरियाणा आया था।
फरीदाबाद, हरियाणा. यह तस्वीर एक ऐसे मजदूर की है, जो अपना गांव छोड़कर फरीदाबाद काम-धंधे की तलाश में आया था। लेकिन लॉकडाउन ने उसे फिर उसी हालत में ला दिया है। फरीदाबाद में मजदूर का सब ठीक चल रहा था। दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो गया था। लेकिन उसे क्या मालूम था कि 12 साल बाद जिंदगीभर वही दिन दिखाएगी। इस बार उसे काम-धंधा बंद होने पर फिर घर वापस लौटना पड़ेगा। यह मजदूर मध्य प्रदेश से हरियाणा आया था।
घर वापसी में रो पड़ा मजदूर..
अपना घर सबको प्यार होता है। सबको अपने शहर-गांव की याद आती है, लेकिन इस तरह कोई वापस जाना नहीं चाहता। बुधवार को जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन फरीदाबाद से रवाना हुई, तो उसे एक परिवार मध्य प्रदेश के छतरपुर का भी था। जब यहां से ट्रेन रवाना हुई, तो अपनी गोद में मासूम बेटी को बैठाये मजदूर की आंखों में आंसू आ गए। उसे उम्मीद नहीं थी कि 12 साल बाद उसे इस तरह दर-बदर होकर घर लौटना पड़ेगा। लॉकडाउन के चलते काम-धंधा बंद होने के बाद मजदूर की फैमिली के लिए खाने का संकट खड़ा हो गया था। उनके पास घर लौटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था।
मेहनत-मजदूरी के बावजूद खुश था परिवार...
अजय कुमार फरीदाबाद में मजदूरी करते थे। उनके परिवार में पत्नी पूनम, बहन रजनी, जीजा बसंत लाल और उनकी एक साल की बेटी नियती है। ये लोग साहूपूरा में किराये के घर में रहते थे। सब बड़े लोग मजदूरी करते थे। उनका जीवन ठीकठाक चल रहा था। लेकिन लॉकडाउन के बाद सबकुछ जैसे तहस-नहस हो गया।
सरकारी इंतजाम ने रुलाया
अजय ने बताया कि पिछले कई दिनों से खाने तक के लाले पड़े हुए थे। उन्होंने एक दिन छतरपुर कलेक्टर के कार्यालय में कॉल किया। उनसे दिल्ली जाकर ऑनलाइन आवेदन करने को कहा गया। अजय ने बताया कि वे जैसे-तैसे पुलिस से बचते-बचाते दिल्ली गए। लेकिन वहां आवेदन नहीं कर सके। इसके बाद उनके जीजा ने ऑनलाइन आवेदन किया। जब उन्हें ट्रेन की जानकारी मिली, तो राहत मिली। अजय ने बताया कि मजबूरी में उन्हें घर-गृहस्थी का सारा सामान छोड़ना पड़ा।