सार

इंसान और जानवरों में काफी गहरा रिश्ता होता है। ऐसा ही एक रिश्ता गुरुग्राम में देखने को मिला। यह बच्ची एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। गाय की नस ने इसे जीवनदान दे दिया।
 

गुरुग्राम, हरियाणा. यह जगजाहिर है कि इंसान और जानवरों में काफी गहरा रिश्ता होता है। वे एक-दूसरे को पूरक हैं। ऐसा ही एक रिश्ता गुरुग्राम में देखने को मिला। यहां एक गाय की बदौलत इस मासूम बच्ची को नई जिंदगी मिल गई। यह बच्ची एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। गाय की नस ने इसे जीवनदान दे दिया। यहां के एक निजी हॉस्पिटल में अनोखा लिवर ट्रांसप्लांट हुआ। कहा जा रहा है कि दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ। बच्ची के मां-बाप सऊदी अरब से उसे यहां लेकर पहुंचे थे। करीब 14 घंटे चली सर्जरी के बाद बच्ची को नई जिंदगी नसीब हो गई। सर्जरी के बाद करीब दो हफ्ते तक बच्ची को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। बुधवार को बच्ची डिस्चार्ज कर दी गई।

बगैर बाइल डक्टस के पैदा हुई थी बच्ची
बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले सर्जन डॉ. गिरिराज बोरा के मुताबिक बच्ची बाइल डक्ट्स(पित्ता वाहिका) के पैदा हुई थी। यह बीमारी 16 हजार नवजातों में से किसी एक को होती है। बच्ची की पित्त नलिका पूरी तरह विकसित नहीं हुई थी। डॉक्टरों ने बोवाइन जग्युलर नस यानी गाय के गले की नस को सर्जरी में इस्तेमाल किया। यह नस लिवर में रक्त पहुंचाने में काम आएगी। इस बच्ची का नाम हूर है। हूर साराह और अहमद की तीसरी संतान है। जन्म के तीन महीने बाद ही उसे इस गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था। हैरानी की बात यह है कि सऊदी अरब के डॉक्टरों ने अपने हाथ खींच लिए थे। उन्हें भारत में सर्जरी कराने की सलाह दी गई थी। अपनी बच्ची की जान बचने के बाद अहमद ने भारत के डॉक्टरों की काफी तारीफ की। उल्लेखनीय है कि इस बच्ची को बिलियरी एट्रेसिया नाम की बीमारी थी।  इससे बाइल डक्ट्स का विकास नहीं हो पाया था। बच्ची का वजन 5.2 किलो था। ऐसी स्थिति में भी सर्जरी करना रिस्की था। लेकिन अब बच्ची ठीक है।