सार
हिसार (हरियाण). एक दुल्हन की अभी हाथों की मेहंदी अभी उतर भी नहीं पाई थी कि उसके माथे का सिंदूर उजड़ गया। वह एक सप्ताह पहले ही दोनों हिमाचल प्रदेश में हनीमून मनाकर लौटे थे। लेकिन उनकी बुरी किस्मत तो देखों वह अपनी ही शादी के वीडियो-एल्बम भी नहीं देख पाए थे।
हिसार (हरियाण). एक दुल्हन की अभी हाथों की मेहंदी अभी उतर भी नहीं पाई थी कि उसके माथे का सिंदूर उजड़ गया। वह एक सप्ताह पहले ही दोनों हिमाचल प्रदेश में हनीमून मनाकर लौटे थे। लेकिन उनकी बुरी किस्मत तो देखों वह अपनी ही शादी के वीडियो-एल्बम भी नहीं देख पाए थे।
हंसती-खेलती जिंदगी पूरी तरह से तबाह हो गई
वह हम बात कर रह हैं नवदंपती दिव्या मेहता की, जिनके पति संजीव मेहता की रविवार के दिन नहाते समय बाथरूम में करंट लगने से हो गई। दोनों की शादी डेढ़ महीना पहले यानी 19 नवंबर को हिसार में हुई थी। दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे, सोशल मीडिया पर अपने फोटो शेयर करते रहते थे। लेकिन एक हादसे ने उनकी हंसती-खेलती जिंदगी पूरी तरह से तबाह हो गई। जहां हादसे में संजीव की मौत हो गई तो वहीं दिव्या की हालत गंभीर है जो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।
ऐसे हो गये हादसे के शिकार
पुलिस के मुताबिक, हांसी के फीका पीर चौक पर रहने वाले संजीव के पिता दुकान पर बैठे थे। मां उन्हें खाना देने गई थी। संजीव बाथरूम में नहा रहा था। वहीं दिव्या समीप रखी वॉशिंग मशीन में कपड़े धो रही थी। माना जा रहा है कि तभी अर्थिंग से करंट फैल गया और दोनों इसकी चपेट में आ गए।
मां लौटी तो बेटा-बहू पड़े थे बेसुध
जब मां दुकान से लौटी, तो काफी देर तक घंटी बजाने के बावजूद किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद उन्होंने पड़ोसियों की मदद से छत पर जाकर दरवाजा खोला। अंदर देखा, तो दोनों बेसुध पड़े थे। उन्हें फौरन हास्पिटल ले जाया गया। वहां संजीव को मृत घोषित कर दिया गया। दिव्या की हालत गंभीर है। संजीव के पिता वेदप्रकाश ने भी माना कि करंट फैलने से हादसा हुआ।
एक वीक पहले मनाई थी मंथली एनिवर्सरी
दिव्या व संजीव एक दूजे से बेहद प्यार करते थे। उन्होंने शादी का एक महीना पूरा होने पर केक काटकर अपनी मंथली एनिवर्सरी भी मनाई थी। 31 दिसंबर की फेसबुक पोस्ट में नवदंपती ने एक गाने 'मिले हो तुम हमको बड़े नसीबों से चुराया है मैंने किस्मत की लकीरों से' के साथ अपनी फोटो भी शेयर की थी।
बुजुर्ग माता-पिता का इकलौता बेटा था संजीव
संजीव वेदप्रकाश और मां लीलावती का इकलौता बेटा था। बताया जाता है कि काफी मन्नतों के बाद उनके घर एक चिराग आया था। जो हमेशा-हमेशा के लिए बुझ गया। संजीव के परिवार में एक बड़ी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है। वहीं उसकी दिव्या एक प्राइबेट स्कूल मे पढ़ाने जाया करती थी। मृतक के माता-पिता दोनों बुजुर्ग हो चुके हैं, ऐसे में उनका बुढ़ापे का एक मात्र सहारा बेटा था। जो इस दुनिया को छोड़कर चला गया।