सार
करीब 7 साल पहले यह लंगूर यानी राजाबाबू झज्जर जिले के एक स्कूल में लाया गया था। उद्देश्य..दूसरे लंगूरों के उत्पात से स्कूली बच्चों का बचाना। लेकिन अब वन विभाग ने स्कूल मैनेजमेंट पर शिकंजा कस दिया है।
झज्जर, हरियाणा. इस लंगूर यानी राजा बाबू के चलते दुजाना का 'रणसिंह ब्रिगेडियर स्कूल' प्रबंधन मुसीबत में फंस गया है। वाइल्फ लाइफ विभाग ने स्कूल प्रबंधन पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने राजाबाबू को बंधक बनाकर रखा हुआ था। हालांकि प्रबंधन इससे इनकार कर रहा है। स्कूल प्रबंधन कहना है कि वो 7 साल पहले राजाबाबू को 6000 रुपए में खरीदकर लाया था। दरअसल, यहां लंगूरों का बड़ा आतंक है। लंगूरों के उत्पात से स्कूली बच्चों को खतरा देखकर स्कूल प्रबंधन ने राजाबाबू को खरीदा था। राजाबाबू अपनी जमात को उत्पात करने पर भगा देता था। लेकिन जब वाइल्ड लाइफ की टीम को इसकी खबर मिली, तो वो स्कूल पहुंची और राजाबाबू को अपने साथ ले गई। उसे झज्जर के वैट लैंड में रखा गया है।
स्कूल में थे राजाबाबू के ठाठ
हरियाणा स्काउट एंड गाइड्स एनिमल बर्ड्स के चीफ कमिश्नर नरेश कादयान ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ स्कूलों में बंदरों को बांधकर रखा गया है। इसके बाद झज्जर वाइल्ड लाइफ विभाग के इंस्पेक्टर देवेंद्र हुड्डा ने स्कूल में छापा मारा। स्कूल प्रबंधन के पास राजाबाबू से संबंधित कागज नहीं थे। इसके बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। करीब 12 एकड़ एरिया में फैले इस स्कूल में 2500 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल के प्रिंसिपल बीके शर्मा ने कहा कि राजाबाबू को स्कूल में घर जैसा माहौल दिया गया था। उसके लिए एक अलग से व्यक्ति की ड्यूटी लगाई गई थी। बच्चों से भी राजाबाबू का लगाव हो गया था। बच्चे उसके लिए खाने-पीने की चीजें लाते थे। अब राजाबाबू के जाने से बच्चे उदास हैं। प्रिंसिपल ने कहा कि वे कागजात तैयार कर रहे हैं, ताकि राजाबाबू को दुबारा स्कूल में लाया जा सके।
बंदर पालने के लिए लेनी पड़ती है अनुमति
नरेश कादयान ने बताया कि लंगूर और बंदरों आदि को पालने के लिए वाइल्ड लाइफ एनिमल एक्ट की धारा 62 के तहत परमिशन लेनी पड़ती है। इसमें उन्हें पालने की वजह..उनके रहने-खाने के इंतजाम आदि के बारे में बताना पड़ता है।