सार
हॉस्पिटल के फॉर्मेसी विभाग की एक गलती मासूम बच्चे की जिंदगी पर भारी पड़ गई। स्टाफ ने बगैर पर्चा ठीक से देखे, जिंक की बजाय नींद की गोली दे दी। मामला हरियाणा के जींद के नागरिक हॉस्पिटल का है।
जींद, हरियाणा. यहां के नागरिक हॉस्पिटल के फॉर्मेसी विभाग की गलती ने 10 महीने के बच्चे की जान संकट में डाल दी। उसे बुखार होने पर डॉक्टर को दिखाया गया था। डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं। इनमें जिंक की गोली भी थी। हॉस्पिटल के फॉर्मेसी विभाग ने जिंक के बजाय नींद की गोली दे दी। वो गोली भी 10 MG की थी। घर आकर परिजनों ने बच्चे को यह गोली खिला दी। कुछ देर बाद बच्चे को नींद आने लगी। धीरे-धीरे उसने आंखें मूंद ली। कुछ घंटे बाद जब बच्चा नींद से नहीं उठा..तो परिजन घबरा गए। वे भागे-भागे उसे हॉस्पिटल ले गए। गनीमत रही कि अब बच्चे की हालत सामान्य है। फिलहाल बच्चे का स्कीम नंबर-19 स्थित एक निजी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
बच्चे की जान को खतरा हो सकता था
बच्चे के परिजन कौशिक नगर में रहते हैं। बच्चे के चाचा निशांत ने बताया कि पर्व को बुखार होने पर नागरिक हॉस्पिटल में दिखाया गया था। वहां फॉर्मेसी विभाग ने जिंक के बजाय नींद की गोली ओलान्जापाइन दे दी। शुक्रवार दोपहर बच्चे को यह गोली खिला दी। परिजनों को नहीं मालूम था कि यह नींद की गोली है। इसके बाद बच्चा सो गया। डॉक्टर के मुताबिक, 10 MG की गोली बड़ों के लिए भी घातक साबित हो सकती है। आमतौर पर बड़ी उम्र के लोग भी इसे आधा ही लेते हैं। शुक्र रहा कि परिजनों को कुछ आभास हुआ और फौरन हॉस्पिटल पहुंचे। बच्चे का इलाज कर रहे डॉ. सुरेश जैन ने बताया कि बच्चा बीच-बीच में उठ रहा है। उसने दूध भी पीया।