सार

भारत में तेजी से जीका वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई है। पुणे के बाद कर्नाटक में 5 साल की बच्ची में इस वायरस की पुष्टि हुई है।

हेल्थ डेस्क : जैसे तैसे 2-3 साल के बाद हम कोरोना वायरस की चपेट से मुक्ति पा पाए हैं, लेकिन अब दूसरे वायरस चिंता बढ़ा रहे हैं। दरअसल, भारत में कोरोना के बाद डेंगू और जीका वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पुणे के बाद अब कर्नाटक में भी जीका वायरस का केस मिला है। स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने इसकी पुष्टि की और बताया कि 5 साल की लड़की इस समय जीका वायरस की चपेट में है। यह कर्नाटक का पहला मामला है। बताया जा रहा है कि 5 दिसंबर को 3 लोगों के सैंपल से पुणे लैब भेजे गए थे। जिसमें 2 की रिपोर्ट नेगेटिव आई, वहीं 5 साल की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। फिलहाल बच्ची स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में है। बता दें कि जीका वायरस का यह पहला केस नहीं है कुछ महीने पहले केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में भी इसके मामले पाए गए थे। ऐसे में इससे सावधानी बरतने की बहुत जरूरत है।

क्या होता है जीका वायरस
जीका डेंगू की तरह ही होती है, जो ज्यादातर एक संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर  के काटने से फैलता है। ये मच्छर दिन और रात के समय काटते हैं। जीका एक गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में जा सकता है। जिसके कारण बच्चों जन्म दोष होने की संभावना बढ़ जाती है। फिलहाल जीका के लिए कोई टीका या दवा नहीं है।

जीका वायरस के लक्षण
वैसे तो जीका वायरस के कोई खास लक्षण नहीं होते हैं, इसके लक्षण आमतौर पर डेंगू जैसे ही होते हैं, जैसे बुखार आना, शरीर पर चकत्ते पड़ना और जोड़ों में दर्द होना। इन लक्षणों को कभी नजर अंदाज ना करें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

जीका वायरस का इलाज
जीका वायरस के लिए कोई विशिष्ट दवा या टीका नहीं है। लेकिन आप इन चीजों को ध्यान पर रखकर इसका इलाज ले सकते हैं-

- लक्षणों का उपचार करें।

- ज्यादा से ज्यादा आराम करें।

- डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए तरल पदार्थ पिएं।

- बुखार और दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन  जैसी दवा लें।

- रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिए एस्पिरिन और अन्य गैर-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स न लें।

- यदि आप किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति के लिए दवा ले रहे हैं, तो अतिरिक्त दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

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