सार
चीन के हुबेई प्रोविन्स के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस का कहर अब दुनिया के 100 देशों में फैल गया है। दिन-ब-दिन इसके मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इस वायरस से एशिया और यूरोप के देश तो बुरी तरह प्रभावित हैं ही, अमेरिका में भी इसका संक्रमण फैल गया है। अगर कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित नहीं किया, तो जल्दी ही पूरी दुनिया में लॉकडाउन की स्थिति बन सकती है।
हेल्थ डेस्क। चीन के हुबेई प्रोविन्स के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस का कहर अब दुनिया के 100 देशों में फैल गया है। दिन-ब-दिन इसके मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इस वायरस से एशिया और यूरोप के देश तो बुरी तरह प्रभावित हैं ही, अमेरिका में भी इसका संक्रमण फैल गया है। अगर कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित नहीं किया, तो जल्दी ही पूरी दुनिया में लॉकडाउन की स्थिति बन सकती है। इसलिए अभी सबसे जरूरी है कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करना। इसके लिए आम लोगों के साथ ही राजनीतिज्ञों, अलग-अलग समुदायों के नेताओं और बिजनेस लीडर्स को एकजुट हो कर कोशिश करनी होगी, तभी इस खतरे से जूझा जा सकता है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कोरोना वायरस इस साल की शुरुआत में ही पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर सामने आया है। इससे हजारों की संख्या में लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग संक्रमित हैं, वहीं इससे बचाव के लिए कोई कारगर दवा या टीका अभी तक सामने नहीं आ सका है। कोरोना वायरस को लेकर लोगों को जागरूक होना होगा और यह पता करना होगा कि उनके इलाके में इससे संक्रमित लोग हैं या नहीं और हैं तो कितने। तभी वे उनकी जान बचाने के लिए कोई कोशिश कर सकते हैं। जानते हैं, अलग-अलग देशों में इसका फैलाव कितना हुआ है और कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या कितनी हो गई है।
1. दुनिया भर में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या
कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई। जब तक चीन इस पर नियंत्रण करने के उपाय करता, इसका प्रसार दूसरे देशों में होने लगा। 22 जनवरी से लेकर 10 मार्च तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख, 25 हजार हो चुकी है। यह एकबारगी नहीं हुआ। चीन में जब तक इसका पूरा जोर रहा, दुनिया के दूसरे देशों में संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या 25 हजार से बढ़ कर 50 हजार, फिर 75 हजार, 1 लाख और फिर 1 लाख, 25 हजार हो गई।
2. इटली, ईरान और साउथ कोरिया में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले
चीन के बाद इटली, ईरान और साउथ कोरिया में कोराना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इटली में कोरोना संक्रमण के 4000 मामले सामने आए तो ईरान में 2000 और सबसे ज्यादा साउथ कोरिया में 7000 मामले प्रकाश में आ चुके हैं।
3. यूरोप के देशों, अमेरिका और जापान में कोरोना के मामले
ऐसे देशों की संख्या दर्जनों में है, जहां कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से फैला है। विश्वसनीय आंकड़ों के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम में कोरोना के 373, इटली में 10,149, अमेरिका में 1,039, स्विट्जरलैंड में 476, जापान में 488, स्पेन में 1639, जर्मनी में 1296 और फ्रांस में 1784 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। वहीं बेल्जियम में 267, स्वीडन में 248, नॉर्वे में 147 और नीदरलैंड्स में 382 लोग कोरोना से संक्रमित हैं। अगर आप यह समझना चाहते हैं कि इसका परिणाम क्या होगा और इसे कैसे रोका जा सकता है तो चीन और पूर्वी एशियाई देशों में सार्स के अनुभवों को ध्यान में रखना होगा। सार्स के संक्रमण ने भी कम कहर नहीं बरपाया था।
4. चीन के हुबेई में किस तरह फैला कोरोना वायरस
21 जनवरी से कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में तेजी आई। अचानक इसके 100 नए मामले सामने आ गए। लेकिन वास्तव में उस दिन कोरोना संक्रमण के 1,500 नए मामले सामने आए थे, जिनके बारे में अथॉरिटीज को पता नहीं था। वे सोच रहे थे कि सिर्फ 100 नए मामले सामने आए हैं। दो दिन के बाद ही कोरोना संक्रमण के मामलों में इतनी तेजी आई कि अधिकारियों को वुहान शहर बंद करना पड़ा। अधिकारियों के मुताबिक, रोज कोरोना संक्रमण के 400 नए मामले सामने आ रहे थे। लेकिन सच्चाई यह थी कि रोज 2,500 नए मामले आ रहे थे, जिनके बारे में अधिकारी अनजान थे। इसके अगले ही दिन हुबेई प्रोविन्स के 15 शहरों में बंद घोषित करना पड़ा। 23 जनवरी को वुहान में बंद की घोषणा हुई और 24 जनवरी को 15 दूसरे शहरों में बंद की घोषणा करनी पड़ी। इसके बाद कोरोना ने महामारी का रूप ले लिया। इसके बाद कोरोना के लक्षण उभरने पर लोग बड़ी संख्या में डॉक्टरों के पास जाने लगे। चीन के दूसरे राज्यों ने केंद्रीय सरकार से को-ऑर्डिनेट कर के इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए तत्काल गंभीर उपाय शुरू किए। इसका परिणाम बेहतर रहा। हुबेई को छोड़ कर दूसरे प्रोविन्स में कोरोना का ज्यादा प्रसार नहीं हो सका। साउथ कोरिया, इटली और ईरान को कोरोना के प्रसार को समझने में ही एक महीने का वक्त लग गया। तब तक वहां यह वायरस काफी फैल चुका था।
5. पूर्वी एशियाई देश
साउथ कोरिया में यह वायरस जापान, ताइवान, सिंगापुर, थाईलैंड और जापान के मुकाबले बहुत तेजी से फैला। ये देश 2003 में सार्स वायरस के शिकार हुए थे और उन्हें इसके अनुभव का फायदा मिला। वहां की सरकारों ने इसके खतरे को जल्दी महसूस किया और इसकी रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाए। यही वजह है कि इन देशों में कोरोना का खतरा उतना नहीं फैल सका, जितना पश्चिम के देशों में फैला।
6. अमेरिका में सबसे ज्यादा प्रभावित है वॉशिंगटन
अमेरिका में कोरोना वायरस सबसे ज्यादा वॉशिंगटन राज्य में फैला। इस चीन के वुहान जैसा माना जा सकता है। यहां कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। यह संख्या अभी यह 140 है। लेकिन यहां इससे मौत कम हुई है। कोरोना से मौत के सिर्फ 3 मामले सामने आए हैं। सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में इससे एक भी मौत नहीं हुई है। यहां आधिकारिक तौर पर कोरोना के 86 मामले बताए गए हैं। अमेरिका कोरोना के मामलों की ठीक तरह से जांच नहीं कर पा रहा है, क्योंकि वहां जांच के लिए पर्याप्त संख्या में किट उपलब्ध नहीं हैं। तुर्की जैसा देश जहां कोरोना वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया है, अमेरिका के मुकाबले कोरोना की जांच करने में 10 गुना आगे है।
7. फ्रांस और पेरिस
बतलाया गया है कि फ्रांस में कोरोना संक्रमण के 1,400 मामले सामने आए और 30 लोगों की इससे मौत हुई है। लेकिन दूसरे स्रोतों के मुताबिक, फ्रांस में कोरोना के 24,000 से ज्यादा मामले बताए जा रहे हैं। वहीं, स्पेन और मैड्रिड में फ्रांस की तरह ही संक्रमित लोगों की संख्या बताई जा रही है। वहां भी संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या 1,400 और मृतकों की संख्या 30 बताई गई है। लेकिन अन्य स्रोत संक्रमित लोगों की संख्या 20,000 से ज्यादा ही बता रहे हैं। मैड्रिड क्षेत्र में संक्रमण के मामले ऑफिशियली 600 और मौतों की संख्या 17 बताई गई है, लेकिन वास्तव में संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या 10,000 से ज्यादा हो सकती है।
8. सिस्टम पर क्या है दबाव
जहां तक कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज का सवाल है, सिर्फ 20 प्रतिशत मामलों में संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है। 5 प्रतिशत मामलों में मरीजों के इन्टेंसिव केयर यूनिट में रखने की जरूरत है, वहीं 1 प्रतिशत संक्रमित मरीजों को और भी गहन चिकित्सा की जरूरत है, जहां उन्हें वेन्टिलेटर पर रख कर ऑक्सीजन दिया जा सके। कुल मिला कर 80.9 प्रतिशत संक्रमण के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की कोई जरूरत नहीं है। उन मरीजों की देखभाल घर पर ही हो सकती है। संक्रमण के 13.8 प्रतिशत मामले गंभीर हैं, जिनमें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है और 4.7 प्रतिशत मामले बेहद गंभीर माने जा सकते हैं।
9. लोगों का दूरी बनाए रखना जरूरी
बहराहल, इस वायरस के प्रसार को देखते हुए सबसे जरूरी है कि लोग एक जगह ज्यादा संख्या में इकट्टे नहीं हों और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें। यह वायरस दो मीटर की दूरी तक फैल सकता है। इसलिए जो लोग इससे संक्रमित हैं या जिनमें जुकाम-खांसी और फ्लू जैसे लक्षण दिख रहे हों, उनसे करीब 6 फीट की दूरी बना कर रखनी चाहिए। कोरोना वायरस हवा के जरिए ही फैल सकता है। जमीन की सतह पर इसका कोई असर नहीं होता। जिन लोगों में इसका कोई लक्षण सामने आ रहा हो, उन्हें घरों से नहीं निकलना चाहिए। कंपनियों को भी अपने स्टाफ को घर से ही काम करने की सुविधा देनी चाहिए।
10. क्या कर सकते हैं पॉलिटिशियन्स
कोरोना वायरस पर नियंत्रण करने के लिए पॉलिटिशियन्स कई कदम उठा सकते हैं। वे आदेश जारी कर सकते हैं कि कोई भी लॉकडाउन इलाके में नहीं आएगा और ना ही वहां से जाएगा, जब तक कि यह बहुत जरूरी नहीं हो। लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाई जा सकती है। जिन लोगों में कोरोना के लक्षण दिखें, उनके घर से निकलने पर रोक लगाई जा सकती है। हेल्थ वर्कर्स को ज्यादा समय तक काम करने के लिए कहा जा सकता है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, जिम, कल्चरल-सोशल सेंटर, स्विमिंग पूल और थिएटर बंद किए जा सकते हैं। बार और रेस्तरां सीमित समय के लिए खोले जा सकते हैं और वहां लोगों के बैठने का ऐसा इंतजाम किया जा सकता है कि उनके बीच कम से कम 3 फीट की दूरी रहे। सभी पब और क्लब बंद किए जा सकते हैं। व्यापारिक गतिविधियों के दौरान इसका ध्यान रखना अनिवार्य किया जा सकता है कि कस्टमर्स दुकानदारों और दूसरे लोगों से एक मीटर की दूरी बनाए रखें। सभी स्पोर्ट्स और कॉम्पिटीशन के प्रोग्राम स्थगित किए जा सकते हैं। इस तरह लोगों की इस खतरनाक वायरस से एक हद तक सुरक्षा हो सकती है।