सार
कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोनावायरस की यह नई लहर पहले की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। इसमें कई नए लक्षण भी सामने आ रहे हैं।
हेल्थ डेस्क। कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोनावायरस की यह नई लहर पहले की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। इसमें कई नए लक्षण भी सामने आ रहे हैं। पहले ये लक्षण नहीं दिखे थे, इसलिए इसे लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है। इस बार ज्यादा बड़ी संख्या में लोग कोरोना के शिकार हो रहे हैं। वहीं, डेथ रेट भी पहले से ज्यादा है। काफी लोग संक्रमण के बाद होम आइसोलेशन में रहकर ट्रीटमेंट करा रहे हैं, वहीं गंभीर लक्षणों के सामने आने पर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराए बिना इससे छुटाकारा नहीं मिल सकता। ऐसे में, यह जानना जरूरी है कि किन लक्षणों के उभरने पर अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।
1. सांस की तकलीफ
अगर बुखार और दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है, तो इसका मतलब है कि इन्फेक्शन ज्यादा है और कोरोना का संक्रमण बढ़ गया है। कोरोनावायरस एक तरह का रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है और इससे छाती में दर्द होता है। इसके फेफड़े पर भी असर होता है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में मरीज को भर्ती करा देना चाहिए।
2. ऑक्सीजन लेवल
कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज के ऑक्सीजन लेवल की जांच ऑक्सीमीटर से करते रहना चाहिए। अगर ऑक्सीजन लेवल सामान्य यानी 95 फीसदी से ज्यादा कम हो जाता है, तो अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी। फेफड़ों में फ्लूड भर जाने से ऑक्सीजन लेवल में कमी आ जाती है। हॉस्पिटल में ऑक्सीजन दिए जाने की व्यवस्था होती है, जबकि घर में इसे मैनेज नहीं किया जा सकता।
3. बेहोशी की स्थिति
कई बार कोरोना संक्रमित मरीजों के बेन के फंक्शन में दिक्कत आने लगती है। इसकी वजह यह है कि इन्फेक्शन से नर्वस सिस्टम का प्रभावित होने लगता है। इससे मरीज बेचैनी महसूस करने के साथ बेहोश भी हो सकता है। यह एक क्रिटिकल स्थिति होती है। ऐसी स्थिति आने पर तत्काल मरीज को हॉस्पिटल से जाना चाहिए।
4. छाती में दर्द
अगर कोरोनावायस संक्रमित मरीजों की छाती में दर्द होता हो, तो उस स्थिति में भी उन्हें अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए। दरअसल, इस संक्रमण के बाद वायरस फेफड़ों की म्यूकोसल लाइनिंग को प्रभावित करता है। इससे मरीज को छाती में जलन और दर्द की समस्या होती है।
5. हाइपोक्सिया की स्थिति में
अगर कोरोनावायरस मरीज के चेहरे और होठों का रंग बदल रहा हो और उनमें नीलापन आ रहा हो, तो इसका मतलब है कि ऑक्सीजन लेवल बहुत ही कम हो गया है। इसे ही हाइपोक्सिया कहते हैं। इस स्थिति में शरीर के कई अंगों की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है। ऐसे में, मरीज को तत्काल हॉस्पिटल में दाखिल कराना चाहिए।