सार
कोरोना का संक्रमण लोगों के लिए जानलेवा तो साबित हो ही रहा है, इससे लोगों में मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से सिर्फ अमेरिका में लाखों की संख्या में लोग मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। कई लोगों में तो पागलपन जैसे लक्षण भी उभर रहे हैं।
हेल्थ डेस्क। कोरोना का संक्रमण लोगों के लिए जानलेवा तो साबित हो ही रहा है, इससे लोगों में मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से सिर्फ अमेरिका में लाखों की संख्या में लोग मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। कई लोगों में तो पागलपन जैसे लक्षण भी उभर रहे हैं। कोरोना के कारण ज्यादातर लोग घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। इससे उनमें अकेलापन बढ़ रहा है। वे चिंता और अवसाद के शिकार तो हो ही रहे हैं, इससे बचने के लिए नशीली चीजों का सेवन भी ज्यादा करने लगे हैं। इससे मेंटल हेल्थ पर और भी ज्यादा खराब असर पड़ता है। यह स्थिति सिर्फ अमेरिका में ही नहीं है, कमोबेश इस समस्या से दुनिया भर के लोग जूझ रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों को बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। उन्हें अपने संबंधियों और दोस्तों के साथ सहानुभूति और प्यार के साथ पेश आना चाहिए और उनकी खास केयर करनी चाहिए। जानें किन समस्याओं के शिकार हो रहे हैं ज्यादा लोग।
1. चिंता और अवसाद
लगातर घरों में बंद रहने के कारण और कोरोना सोशल मीडिया या दूसरे साधनों के जरिए कोरोना से जुड़ी खबरें लगातार पढ़ने या उससे संबंधित वीडियो देखते रहने से लोग इस बात को लेकर काफी चिंता में पड़ जाते है कि आगे पता नहीं क्या होगा। उनमें इनसिक्युरिटी की भावना जड़ जमाने लगती है। वे अपने, रिश्तेदारों और दोस्तों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं। अभी मीडिया में सबसे ज्यादा खबरें कोरोना से ही जुड़ी आ रही हैं। सभी लोग इसी की चर्चा में मशगूल रहते हैं। इससे चिंता और डिप्रेशन होना स्वाभाविक है।
2. कोरोना होने का बना रहता है डर
लोगों को कोरोना के लक्षणों के बारे में मीडिया के जरिए ही जानकारी मिल रही है। कोरोना के लक्षण सर्दी-जुकाम और खांसी से मिलते-जुलते बताए गए हैं। यह ऐसा मौसम है, जिसमें ज्यादातर लोगों को सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या होती है। ऐसा होने पर लोग डर जाते हैं और इस बात को लेकर आशंकित रहते हैं कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं हो गया है। हर जगह इसकी जांच की सुविधा नहीं है और जांच कराने के लिए बाहर निकलना भी आसान नहीं है। इससे लोगों में तनाव और बढ़ जाता है।
3. ओसीडी की समस्या
ओसीडी (ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिजीज) एक मानसिक बीमारी है। इस बीमारी में लोग साफ-सफाई को लेकर असामान्य व्यवहार करने लगते हैं। वे बार-बार अपने हाथों को धोते हैं। किसी बाहरी व्यक्ति के घर में आने के बाद फर्श को साफ कर देते हैं। किसी से हाथ नहीं मिलाते। अगर हाथ मिलाने की नौबत आ ही गई तो इसके बाद अपने हाथ साबुन से धोते हैं। जब यह बीमारी बढ़ जाती है तो लोग किसी से शरीर के छू जाने पर नहा लेते हैं, यहां तक कि ये पब्लिक ट्रासंपोर्ट में चलने से भी परहेज करते हैं। कोरोना से बचने के लिए बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है, ऐसे में इन लोगों की यह बीमारी और भी बढ़ रही है।
4. नशीली चीजों का सेवन
नशीली चीजों का सेवन करने से भी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोगों से अलग-थलग रहने के दौरान काफी लोग शराब के अलावा दूसरी नशीली चीजों का सेवन ज्यादा करने लगे हैं। यह समस्या हर उस देश में देखने को मिल रही है, जहां कोरोना की वजह से लॉकडाउन घोषित किया गया है और सोशल डिस्टेंसिंग की नीति पर सख्ती से अमल किया जा रहा है। लोग नशीली चीजें कहीं न कहीं से हासिल कर ही लेते हैं। वे किसी फार्मेसी वाले से दोस्ती कर उससे नींद की दावइयां और ट्रैंक्युलाइजर ले कर उनका ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने लगते हैं।
5. क्या करें
सवाल है कि ऐसी हालत में क्या करें। ये मानसिक समस्याएं ऐसी हैं, जिनका समाधान आसान नहीं है। कई लोगों में मानसिक समस्या पहले से होती है, जो इन हालत में और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अगर इस पर काबू नहीं पाया गया तो लोग पागलों की तरह व्यवहार करने लग सकते हैं। वे अपने परिवार और दोस्तों के लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं। हर देश की सरकारें इस समस्या को लेकर सजग हैं। यही कारण है कि कोरोना के इस संकट के दौरान लोगों की मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए स्पेशल सेल बनाए गए हैं। अगर आप या आपका कोई संबंधी किसी तरह की मानसिक समस्या से परेशान है तो आप संबंधित सहायता उपलब्ध कराने वाले नंबरों पर संपर्क कर मनोचिकित्सकों और काउंसलरों से सहायता ले सकते हैं। ये नंबर सरकार ने उपलब्ध कराए हैं।