सार

पैन्क्रियाटिक कैंसर जो काफी गंभीर होता है। आजकल के समय में ये सबसे ज्यादा लोग इससे ग्रस्त पाए जाते हैं। जिसका मुख्य कारण होता है हमारा लाइफस्टाइल। आज हम आपको बताते हैं कि, ये कैसे बढ़ता है और इसका इलाज क्या है।

नई दिल्ली। पैंक्रियास (Pancreas) जो की हमारी बॉडी का एक पार्ट होता है। जिसका काम होता है, हमारे डाइजेशन को अच्छा रखना, डायबिटीज को मेंटेन करना। लेकिन अगर इसी में ही कुछ दिक्कत हो जाती है तो हमे कई तरह की दिक्कत होनी शुरू हो जाती है। क्योंकि ये हमारी बॉडी में एसिड बनाना शुरू कर देता है। जिससे कैंसर (Pancreatic Cancer) होने का खतरा बढ़ता जाता है। जिसके लिए डॉक्टर हर तरह की जांच करते हैं, ताकि इसका पता लगाया जा सके कि, आखिर ये किस तरह से दिक्कत कर रहा है।

इसके लिए सीटी स्कैन या फिर एमआरआई की जाती है। इससे ये पता लगाया जाता है कि, कही ये और अंगों को तो नुकसान नहीं पहुंचा रहा है। क्योंकि अगर ऐसा होना शुरू हो जाता है तो खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे इसके बढ़ने का कारण और इसका इलाज।

 पैन्क्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) के बढ़ने का कारण

तंबाकू का अधिक सेवन

तंबाकू के सेवन से सभी लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारी का खतरा तो होता ही है। तंबाकू का सेवन पैन्क्रियाटिक कैंसर के सबसे प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। स्मोकिंग न करने वाले लोगों की तुलना में स्मोकिंग करने वाले लोगों में इस तरह के कैंसर का खतरा दोगुना अधिक हो जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 25 प्रतिशत पैन्क्रियाटिक कैंसर तंबाकू के सेवन की वजह से होते हैं। स्मोकिंग बंद करने से आप इस खतरे से बच सकते हैं।

अधिक वजन

ओवरवेट होने से भी शरीर में कई तरह की बीमारियां पनप सकती हैं। वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर अग्नाशय कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स 30 से ज्यादा होता है उनमें इस कैंसर का खतरा 20 गुना अधिक होता है। कमर के आसपास बढ़ी अतिरिक्त चर्बी भी इस कैंसर का कारण बन सकती है।

डायबिटीज की समस्या

डायबिटीज के मरीजों में पैन्क्रियाटिक कैंसर की समस्या ज्यादातर होती है। अग्नाशय या पैंक्रियाटिक कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को होता है। इसके पीछे का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन प्रमुख रूप से इसके लिए मोटापा और खानपान को जिम्मेदार माना जाता है।

बढ़ती उम्र

बढ़ती उम्र को भी अग्नाशय में होने वाले कैंसर का प्रमुख कारण माना गया है। ऐसा इसलिए है कि अग्नाशय में होने वाला कैंसर ज्यादातर 45 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में ही पाया जाता है और 60 से 65 साल की बीच के उम्र वाले लोगों में इसके सबसे ज्यादा मरीज हैं।

पैन्क्रियाटिक कैंसर का इलाज 

  • पैन्क्रियाटिक कैंसर के लक्षण दिखने पर डॉक्टर्स सबसे पहले मरीज की जांच करते हैं। कुछ मरीजों में इसकी जांच एडवांस स्तर पर भी हो सकती है।
  • इसके बाद मरीजों की स्थिति के आधार पर उनका इलाज किया जाता है।
  • ज्यादातर मामलों में इसका इलाज सर्जरी या कीमोथेरेपी की सहायता से किया जाता है। डॉक्टर मरीजों के पैंक्रियाज, स्मॉल इंटेस्टाइन और गॉलब्लैडर के छोटे हिस्से को काटकर निकाल देते हैं।
  • कुछ लोगों में डिसटल पैंक्रियाटेक्टमी को भी काटकर निकाल दिया जाता है। इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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