सार
एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि भारत में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या की वजह से हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो रही है, जिनमें शिशुओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
हेल्थ डेस्क। पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही चली जा रही है। भारत में यह समस्या कुछ ज्यादा ही है। देश के महानगरों में खास कर सर्दियों के मौसम में यह समस्या ज्यादा ही बढ़ जाती है। ग्रीनपीस नाम की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि भारत में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या की वजह से हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो रही है, जिनमें शिशुओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना काफी मुश्किल साबित हो रहा है। हर साल गाड़ियों की संख्या बढ़ती ही जाती है। इसके साथ ही, फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं भी इसमें इजाफा करता है। ग्रीनपीस संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस समस्या के चलते भारत को हर साल 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
बच्चे हो रहे हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
ग्रीनपीस की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण का बुरा असर तो सबके स्वास्थ्य पर पड़ता है, पर बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित हो रहा है। वायु प्रदूषण से फेफड़े और सांस से संबंधित बीमारियां ज्यादा हो रही हैं। इससे दमा के रोगियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वायु प्रदूषण से लाखों की संख्या में बच्चे समय से पहले पैदा हो रहे हैं। कमजोर होने और कई तरह के संक्रमण का शिकार हो जाने के कारण ऐस बच्चों के जीवित रह पाने की संभावना कम ही रहती है।
छोटे बच्चे हो रहे हैं अस्थमा के शिकार
वायु प्रदूषण से बच्चों को सांस से संबंधित बीमारियां तो हो ही रही हैं, लाइलाज अस्थमा भी हो रहा है। कम उम्र में अस्थमा हो जाने के कारण बच्चों का ठीक से विकास नहीं हो पाता है। वायु प्रदूषण से उनके फेफड़े भी कमजोर हो जाते हैं। इन बच्चों में रोह प्रतिरोधात्मक क्षमता काफी कम होती है, जिसके चलते ये कई तरह के संक्रमण के शिकार हो जाते हैं।
बुजुर्गों को हो रही काफी दिक्कत
वायु प्रदूषण का असर तो ऐसे हर उम्र के लोगों पर बहुत खराब होता है, लेकिन बच्चे और बूढ़े इसकी वजह से जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। बुजुर्गों को वायु प्रदूषण से सांस से संबंधित बीमारियों के अलावा आंखों से जुड़ी समस्या भी होने लगती है। इससे सूखी खांसी और दमा की बीमारी बढ़ती है। वायु प्रदूषण से कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ग्रीनपीस की रिपोर्ट एक तरह से भारत जैसे देशों के लिए चेतावनी है कि वे बढ़ती वायु प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने के लिए जल्दी असरदार उपाय अपनाएं।