सार

खर्राटों की समस्या बहुत परेशानी पैदा करती है। अक्सर नींद में खर्राटे लेने वालों से लोग दूर ही रहना चाहते हैं। दरअसल, जिन लोगों को स्लीप एपनिया नाम की बीमारी होती है, उन्हें सोते समय सांस लेने में थोड़ी तकलीफ होती है। इसी वजह से लोग खर्राटे लेते हैं।

हेल्थ डेस्क। खर्राटों की समस्या बहुत परेशानी पैदा करती है। अक्सर नींद में खर्राटे लेने वालों से लोग दूर ही रहना चाहते हैं। दरअसल, जिन लोगों को स्लीप एपनिया नाम की बीमारी होती है, उन्हें सोते समय सांस लेने में थोड़ी तकलीफ होती है। इसी वजह से वे खर्राटे लेते हैं। अभी हाल ही में एक रिसर्च से पता चला है कि अगर ये लोग एक खास तरह का मास्क लगाएं तो उन्हें खर्राटों से निजात मिल सकती है। इस फेस मास्क को सीएसपी मशीन भी कहा जाता है। फिलहाल, इस फेस मास्क को लगाने की सलाह डॉक्टर उन्हें ही दे रहे हैं, जिनमें स्लीप एपनिया की बीमारी पहले स्टेज को पार कर चुकी हो। बता दें कि स्लीप एपनिया बढ़ने के साथ ही लोग तेज खर्राटे लेने लगते हैं और इससे उनके आसपास रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। ऐसे लोगों के लिए यह फेस मास्क कारगर है। 

कहां हुई यह स्टडी
यह रिसर्च स्टडी लंदन के इंपीरियल कॉलेज में हुई। इस रिसर्च में ब्रिटेन के 11 नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) स्लीप सेंटर से 200 से ज्यादा रोगियों को शामिल किया गया था जो स्लीप एपनिया बीमारी से पीड़ित थे। इस स्टडी में स्लीप एपनिया से जुड़े कुछ दूसरे पहलुओं का भी अध्ययन किया गया। यह स्टडी प्रमुख मेडिकल जर्नल 'द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन' में पब्लिश हुई है। 

एक अरब से भी ज्यादा लोग हैं प्रभावित
इस रिसर्च स्टडी के प्रमुख लेखक मैरी मोरेल ने कहा कि स्लीप एपनिया के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले यह माना जाता था कि ज्यादा वजन वाले लोग इस समस्या से पीड़ित होते हैं, पर अब यह बीमारी मेनोपॉज के बाद महिलाओं, बुजुर्गों और कई बार बच्चों को भी हो रही है। उनका कहना है कि स्लीप एपनिया के 60 फीसदी मामले ज्यादा गंभीर नहीं पाए गए और इनसे पीड़ित लोगों को फेस मास्क लगाने की जरूरत नहीं। लेकिन जिन लोगों में स्लीप एपनिया की समस्या ज्यादा गंभीर हो चुकी है और सोते समय जिनकी सांस कई बार बंद होने लगती है, उन्हें इस मास्क के इस्तेमाल से काफी फायदा होगा।

सीएसपी कहा जाता है मास्क को
इस मास्क को सीएसपी मशीन कहा जाता है। इसे सोते समय नाक और मुंह पर लगा दिया जाता है। यह स्लीप एपनिया के चलते नींद में सांस लेने की समस्या को ठीक करता है। यह एक तरह का दबाव बना कर मुंह और गले में हवा को पहुंचाने में मददगार होता है। इस स्टडी के दौरान स्लीप एपनिया से गंभीर रूप से पीड़ित 115 मरीजों पर तीन महीने तक मास्क लगा कर उसके प्रभाव को देखा गया। पता चला कि मास्क का इस्तेमाल करने से मरीजों को काफी फायदा हुआ है। खर्राटों में कमी होने अलावा देखा गया कि स्लीप एपनिया के मरीजों को थकान और तनाव जैसी परेशानियों से भी राहत मिली है।