सार
बाल की वजह से इंसान की खूबसूरती बढ़ जाती हैं। लेकिन बदलते लाइफस्टाइल की वजह से बाल समय से पहले ही गिर जा रहे हैं। जिसकी वजह से लोग गंजेपन के शिकार हो रहे हैं। बालों को वापस लाने के लिए वैज्ञानिक काफी वक्त से खोज में जुटे हुए हैं। अब उन्हें सफलता मिली हैं। जिससे गंजेपन का इलाज संभव है।
हेल्थ डेस्क. काले घने, लंबे बाल खूबसूरती का परिचायक माना जाता है। बाल अच्छा हो तो व्यक्तित्व काफी आकर्षक लगता है। लेकिन आज ज्यादातर युवा गंजेपन के शिकार हो रहे हैं। पिछले काफी दशकों से वैज्ञानिक बालों के उगाने के तरीकों की खोज कर रहे हैं। जिसमें आंशिक कामयाबी मिलती दिख रही हैं। वैज्ञानिकों ने एक खोज का दावा किया है जिससे भविष्य में दवाओं के जरिए बालों को उगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने लैब में हेयर फॉलिकल्स को बनाने का दावा किया है। जिस पर काम हो रहा है और गंजेपन से लोगों को छुटकारा मिलने की उम्मीद है।
हेयर फॉलिक्स क्या होता है
हेयर फॉलिकल्स ट्यूब की तरह स्किन के पोर होते हैं जो शाफ्ट और बालों की जड़ों में बंद रहते हैं। सिर पर कुल दस लाख हेयर फॉलिकल होते हैं। वैज्ञानिकों ने खोज किया है कि प्रत्येक हेयर फॉलिकल्स को घेरने वाली मांसपेशियां बालों के झड़ने और फिर से उगने में अहम भूमिका निभाती है। इन मांसपेशियों को डर्मल शीथ कहते हैं। यह शरीर के दूसरे मांसपेशियों यानी मसल्स से अलग होते हैं। यह कंट्रोल में नहीं रहते हैं। न्यूयॉर्क के इकान्ह स्कूल ऑफ मेडिसीन के वैज्ञानिकों ने चूहों में डर्मल शीथ की भूमिका पर स्टडी किया है। स्टडी में पाया गया है कि ये मांसपेशियां शारीरिक रूप से हेयर फॉलिकल्स के पुनर्जनन को बढ़ावा देते हैं।
नए बालों को उगाने के लिए हेयर फॉलिकल्स के मसल्स का अहम रोल
साइंस एडवांस में प्रकाशित शोध के मुताबिक जब मांसपेशियां संकुचित होते हैं तब डर्मल शीथ पुनर्जनन प्रक्रिया शुरू करने के लिए हेयर फॉलिकल्स को निचोड़ता है। इसी वक्त फॉलिकल्स के अंदर डर्मल पैपेलिया सेल्स स्किन से बाहर निकलते हैं और नए बाल को उगाने की शुरुआत होती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि अगर हेयर फॉलिकल्स के चारो ओर मसल्स को संकुचित होने से रोक दिया जाए तो इससे हेयर फॉलिकल्स के पुनर्जनन को भी कंट्रोल यानी रोका जा सकता है। यानी नए बालों को उगने के लिए हेयर फॉलिकल्स के मसल्स यानी मांसपेशियों का संकुचित होना जरूरी है।
भविष्य में इस शोध के आधार पर बन सकती है गंजेपन की दवाएं
इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने चूहे के हेयर फॉलिकल्स लैब में बनाए। जो पूरी तरह मैच्योर थी। यानी शरीर के बाहर पहली बार हेयर फॉलिकल्स बनाने में वैज्ञानिकों को कामयाबी मिली है। इससे नई दवाओं का बनाने का रास्ता साफ हो गया है। यानि आनेवाले वक्त में दवाओं के जरिए गंजेपन का इलाज किया जाएगा।
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