सार
महिलाएं सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर की शिकार होती हैं। ये दोनों ही कैंसर औरतों की जिंदगी के लिए काफी खतरनाक होती है। ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे ज्यादा मौत गर्भाश्य के मुंह के कैंसर से होती है।
हेल्थ डेस्क. सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर से भारत में हर साल 74 हजार औरतों की मौत हो रही है। इसे ना सिर्फ रोका जा सकता है बल्कि अगर समय पर इस कैंसर की पहचान हो जाए तो इसका इलाज भी संभव है। इस कैंसर की शुरुआत आपके टिश्यू में असामान्य बदलाव से होती है। ज्यादातर मामले एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) के संक्रमण से जुड़े होते हैं। कई प्रकार के एचपीवी त्वचा के मस्सों , जननांगों पर मस्सों और अन्य त्वचा विकारों का कारण बन सकते हैं । आइए जानते हैं सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी कुछ बातें।
1.सर्वाइकल कैंसर कितने प्रकार के होते हैं-
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा – यह गर्भाशय के मुंह पर बनता है। यह 90 प्रतिशत मामलों में पाया जाता है।
एडेनोकार्सिनोमा – यह उन कोशिकाओं में बनता है जो बलगम पैदा करती हैं।
मिश्रित कार्सिनोमा
2. किन महिलाओं को ज्यादा जोखिम होता है सर्वाइकल कैंसर से-
सर्वाइकल कैंसर का पता पैप परीक्षणों से लगाया जाता है। इस टेस्ट को हर सेक्सुअली एक्टिव फीमेल को दो से ढाई साल में कराना चाहिए। यह कैंसर 35 से 44 साल की महिलाओं को ज्यादा होने की संभावना होती है। 15 प्रतिशत से ज्यादा केस 65 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में देखा जाता है।
3. सर्वाइकल कैंसर का खतरा कब अधिक हो सकता है-
16 साल की उम्र से पहले पीरियड्स शुरू होने से एक साल भीतर सेक्स करना शुरू कर दिया।
कई लोगों के साथ यौन संबंध बनाना
5 साल से ज्यादा वक्त तक गर्भनिरोधक गोलियां लेना
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
सिगरेट का धूम्रपान करने वाली महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा होता है।
यह सेक्सुअल ट्रांसमिटेड (एसटीडी) डिजीज़ है जो किसी भी प्रकार के सेक्स चाहे वह वेजाइनल हो, एनल हो या ओरल से हो सकता है।
4. सर्वाइकल कैंसर के लक्षण-
बच्चेदानी से गंदे पानी का रिसाव
सेक्स के वक्त खून आना, दर्द होना
पीरियड्स का अनियमित होना
कमर या पैर में अधिक दर्द होना
पेशाब में रूकावट
5. सर्वाइकल कैंसर से बचाव-
सर्वाइकल से बचाव के लिए वैक्सीन मौजूद है, जिसे 9 साल से लेकर 45 साल तक ले सकते हैं। सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं को यह टीका जरूर लेना चाहिए। सर्वाइकल कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है। जिसकी वजह से इसका पता जल्द नहीं चल पाता है। कई बार इसे पूरी तरह फैलने में 6 से 8 साल का वक्त लग जाता है। इसके अलावा सेक्सुअली एक्टिव होने के हर दो से ढाई साल के बाद सर्वाइकल का टेस्ट कराना चाहिए।
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