सार
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था में मछली के तेल और विटामिन डी की खुराक शिशुओं और छोटे बच्चों में क्रुप के जोखिम को कम कर सकती है।
हेल्थ डेस्क : क्रुप एक तरह कोरोना जैसी बीमारी ही है, जो बच्चों को छोटे बच्चों को प्रभावित कर सकती है। यह तब जानलेवा हो जाता है जब इसके बारे में सही वक्त पर पता नहीं चलता है। इसी को लेकर हाल ही में स्पेन में एक स्टडी हुई खुलासा हुआ कि गर्भावस्था में मछली के तेल और विटामिन डी की खुराक शिशुओं और छोटे बच्चों में क्रुप के जोखिम को कम करती है। इस अध्ययन के निष्कर्ष बार्सिलोना, स्पेन में यूरोपीय रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में प्रस्तुत किए जाएंगे।
क्या होती है क्रुप बीमारी
क्रुप एक वायरल चेस्ट इन्फेक्शन है जो छोटे बच्चों को प्रभावित करता है। इसमें 'बार्किंग' वाली खांसी, कर्कश आवाज, सांस लेने में कठिनाई और गले के आसपास सूजन हो सकती है। क्रुप आम है और आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन कुछ बच्चों को इस दौरान सांस लेने में समस्या हो सकती है। बताया जाता है कि बच्चों में श्वसन संक्रमण के कारण क्रुप हो सकता है। यह पैरैनफ्लुएंजा और सामान्य सर्दी की वजह से होता है। इसे 'बार्किंग कफ' भी कहते हैं, क्योंकि इसकी वजह से खांसने पर कुत्ते के भौंकने जैसी अजीब आवाज निकलती है।
कैसे हुई स्टडी
इस स्टडी में 2010 से COPSAC में देखभाल की जा रही 736 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया था। महिलाओं को चार समूहों में बांटा गया था। एक समूह को उच्च खुराक वाला विटामिन डी पूरक (प्रति दिन 2800 अंतर्राष्ट्रीय इकाइयां) और लंबी श्रृंखला वाले एन-3-पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (2.4 ग्राम) युक्त मछली का तेल दिया गया, दूसरे समूह को उच्च खुराक वाला विटामिन डी और जैतून का तेल दिया गया, तीसरे समूह को मानक-खुराक विटामिन डी (प्रति दिन 400 अंतर्राष्ट्रीय इकाइयां) और मछली का तेल दिया गया, और अंतिम समूह को मानक-खुराक विटामिन डी और जैतून का तेल दिया गया। सभी महिलाओं ने गर्भावस्था के 24वें सप्ताह से लेकर बच्चे के जन्म के एक सप्ताह बाद तक प्रतिदिन पूरक आहार लिया। अध्ययन के अंत तक न तो महिलाओं और न ही शोधकर्ताओं को पता था कि वे कौन से पूरक ले रहे थे। शोधकर्ताओं ने तीन साल की उम्र तक बच्चों की निगरानी की और जिन लोगों को क्रुप से पीड़ित होने का संदेह था, उनका डॉक्टर या उनके मेडिकल रिकॉर्ड के माध्यम से निदान किया गया। बच्चों में क्रुप के कुल 97 मामले थे।
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कुल मिलाकर, जिन बच्चों की मांओं ने मछली का तेल लिया, उनमें क्रुप का जोखिम 11 प्रतिशत था, जबकि उन बच्चों में 17 प्रतिशत क्रुप का जोखिम था, जिनकी माताओं ने जैतून का तेल लिया। जिन बच्चों की मांओं ने विटामिन डी की उच्च खुराक ली, उनमें क्रुप का 11 प्रतिशत जोखिम था, जबकि उन बच्चों में 18 प्रतिशत जोखिम था, जिनकी माताओं ने मानक-खुराक विटामिन डी (40 प्रतिशत की कमी) ली थी।
निष्कर्ष
डॉक्टर्स के अनुसार, "इस शोध से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी और मछली के तेल की खुराक लेने से शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए लाभ हो सकता है।" शोधकर्ताओं ने कहा कि "हम इन निष्कर्षों का समर्थन करने के लिए इस क्षेत्र में और शोध देखना चाहेंगे क्योंकि इससे गर्भावस्था के दौरान पूरक के लिए नई सिफारिशें हो सकती हैं। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को कोी भी सप्लीमेंट लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।"
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