सार

भारत में स्तन कैंसर की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। वैसे, अब यह कई लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है, पर इसका पता चलते ही समय से इलाज कराना चाहिए और जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए।

हेल्थ डेस्क। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। इसे जानलेवा बीमारी माना जाता है। साथ ही, इसके इलाज में खर्च बहुत होता है, जिसे सामान्य आर्थिक स्थिति वाले लोगों के लिए वहन कर पाना मुश्किल होता है। कैंसर चाहे जिस तरह का हो, होता है खतरनाक ही। इधर, भारत में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। खासकर, स्तन कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पॉपुलेशन ब्रेस्ट कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, भारत में हर साल करीब 1.44 लाख ब्रेस्ट कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं। यह एक बड़ी चिंता की बात है। डॉक्टरों का कहना है कि स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण गलत जीवनशैली और जागरूकता की कमी है। 

क्या है स्तन कैंसर होने की वजह
ऐसे तो कोई भी कैंसर क्यों होता है, इसकी ठीक वजह का पता लगा पाना संभव नहीं हो सका है। फिर भी डॉक्टरों का मानना है कि जिन महिलाओं में मासिक धर्म जल्दी शुरू हो जाता है और बहुत ज्यादा उम्र होने पर खत्म होता है, उन्हें स्तन कैंसर की होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा जो महिलाएं देर से मां बनती हैं या जिन्हें बच्चा नहीं होता, उन्हें भी स्तन कैंसर होने का डर रहता है। 

गर्भनिरोधक दवाइयों का भी होता है गलत असर
कुछ डॉक्टरों का कहना है कि जो महिलाएं लंबे समय तक गर्भनिरोथक दवाइयों का सेवन करती हैं, उन्हें भी यह बीमारी होने की आशंका होती है, क्योंकि ये दवाइयां एक तरह का हारमोनल असंतुलन पैदा करती हैं, जिसका असर बुरा होता है।

जानकारी की कमी से भी बढ़ती है बीमारी
डॉक्टरों का कहना है कि भारत में स्तन कैंसर के बढ़ने के पीछे जानकारी की कमी भी एक बड़ी वजह है। खासकर, ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में इसे लेकर जरा भी जागरूकता नहीं है। स्तन कैंसर में शुरू में स्तन में एक गांठ बनती है। अगर उसी समय उस गांठ को हटा दिया जाए तो स्तन कैंसर की समस्या पैदा ही नहीं हो सकती। लेकिन ग्रामीण और शहरी महिलाएं भी उस पर ध्यान नहीं देतीं। जब गांठ की कोशिकाएं बढ़ कर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं तो महिलाएं इलाज के लिए आती हैं।

स्तन कैंसर के चौथे स्टेज में इलाज है मुश्किल़
डॉक्टरों का कहना है कि स्तन कैंसर के चार स्टेज होते हैं। कई मामलों में पूरे स्तन को काट कर अलग कर दिया जाता है और साथ ही लिम्फ नोड्स और छाती की मांसपेशियों को भी काट कर हटा दिया जाता है। इससे महिलाओं का फिगर तो बिगड़ जाता है, पर जान बच जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि पहले स्टेज में 80 फीसदी मरीजों को बचा लिया जा सकता है, वहीं बीमारी के दूसरे स्टेज में 60-70 फीसदी महिलाओं का सफल इलाज संभव है, पर तीसरे-चौथे स्टेज में इलाज कर पाना कठिन हो जाता है। तब तक कैंसर की कोशिकाएं काफी फैल चुकी होती हैं।

स्तन कैंसर से बचाव के लिए क्या करें
महिलाएं खुद अपने स्तन की जांच कर यह देखें कि उनमें कहीं गांठ तो नहीं बन रही है, स्तन सख्त तो नहीं हो रहा, साथ ही इस पर भी गौर करें कि निप्पल्स के आकार में बदलाव तो नहीं हो रहा है। स्तन में दर्द होना और बांहों के नीचे गांठ होने पर भी स्तन कैंसर होने की संभावना हो सकती है। अगर ऐसा हो तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें। 

क्या सावधानी बरतें
महिलाएं यह ध्यान रखें कि उनका वजन ज्यादा न बढ़े। इसके अलावा शराब, धू्म्रपान और तंबाकू के सेवन से बचें। समय पर गर्भधारण करें और शिशु को कम से कम 6 महीने तक स्तनपान कराएं। इससे स्तन कैंसर होने की संभनावना नहीं के बराबर रहती है।