सार

लंबे समय तक घर में बंद रहने से कोई भी इंसान कई तरह की मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकता है। भारत में लॉकडाउन अब बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया है, इसलिए लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। 
हेल्थ डेस्क। लंबे समय तक घर में बंद रहने से कोई भी इंसान कई तरह की मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकता है। भारत में लॉकडाउन अब बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया है, इसलिए लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। इस दौरान काफी लोगों को तनाव, चिंता और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। वैसे लोग जो पहले से ही किसी तरह की मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें ज्यादा परेशानी हो सकती है। अगर कोई लंबे समय तक मानसिक परेशानियों से जूझता रहे तो उसे पर्सनैलिटी डिसऑर्डर होने का खतरा होता है। ये डिसऑर्डर कई तरह से व्यक्तित्व पर नकारात्मक असर डालते हैं। इसलिए इसे लेकर सावधान रहना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि चिंता और तनावभरी बातों से ध्यान हटाएं। ऐसे काम करें जिनसे खुशी मिल सके। तनाव और चिंता से कई तरह के डिसऑर्डर का खतरा रहता है। 

1. सिलेक्टिव म्युटिज्म  डिसऑर्डर 
सिलेक्टिव म्युटिज्म एक ऐसा डिसॉर्डर है, जिसमें बोलने में घबराहट महसूस होने लगती है। यह सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर है। इसमें लोग अनजान आदमियों से बात करने में घबराने लगते हैं और उन्हें डर भी महसूस होता है। इसमें सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है। असुरक्षा की भावना से इस तरह की समस्या पैदा होती है। इससे बचने के लिए करीबी दोस्तों के संपर्क में रहें। परिवार के लोगों से भी लगातार बातें करते रहें। जब चिंता ज्यादा होने लगे तो किसी को जरूर बताएं। समस्या बढ़ने पर मनोचिकित्सक की मदद लें।

2. बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर 
इसमें लोगों को अपने चेहरे या शरीर में कुछ खराबी होने का डर पैदा हो जाता है। बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि उसके चेहरे में अजीब तरह का बदलाव हो रहा है या पूरी बॉडी में ही चेंज हो रहा है, लेकिन दूसरे लोगों को वह बिल्कुल सामान्य लगता है। इस समस्या से पीड़ित लोगों को कभी लगता है कि उनकी नाक का आकार बदल रहा है या उनके होठ भद्दे दिखने लगे हैं। इसलिए वह हमेशा इसी के बारे में सोचता रहता है। वह लोगों से छिपता है और मिलना-जुलना पसंद नहीं करता। यह एक गंभीर बीमारी है। शुरू में इसका पता नहीं चलता, लेकिन इसके लक्षणों को समझा जा सकता है। सोशलाइजेशन से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। 

3. ट्रिकोटिलोमेनिया डिसऑर्डर 
इस डिसऑर्डर का शिकार व्यक्ति अपने बालों, भौहों और पलकों को खींचता रहता है। वह बालों को उखाड़ने की कोशिश करता है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोग हमेशा चिंतित या डरे हुए लगते हैं। ऐसे लोग खुद को दूसरे लोगों से दूर रखने की कोशिश करते हैं। अलग-थलग रहने से इनकी समस्या और भी बढ़ती जाती है। अगर इन्हें किसी काम में लगा कर रखा जाए तो ये ठीक होने लगते हैं। काउंसलिंग या दूसरी थेरेपी के जरिए इनकी समस्या दूर की जा सकती है। 

4. इनसोमनिया डिसऑर्डर
इस समस्या में पीड़ित लोगों को रात-रात भर नींद नहीं आती। वे बेड पर बेचैनी में करवटें बदलते रहते हैं, लेकिन नींद इनकी आंखों से दूर ही रहती है। अगर नींद आ गई तो जल्दी टूट जाती है। चिंता, तनाव और अवसाद की समस्या से जूझ रहे लोग इस डिसऑर्डर के ज्यादा शिकार होते हैं। ऐसे लोगों को एक्सरसाइज और योग का सहारा लेना चाहिए। समस्या बढ़ जाने पर डॉक्टर इनके लिए नींद की गोलियां प्रिस्काइब करते हैं, लेकिन उसका असर ज्यादा समय तक नहीं रहता। लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव करके ही इस समस्या को दूर किया जा सकता है। 

5. एनोरेक्सिया डिसऑर्डर
इस डिसऑर्डर में भूख बहुत कम हो जाती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति बहुत कम खाना खाता है। ऐसा वह जानबूझ कर करता है। उसे लगता है कि ज्यादा खाना खाने से उसका वजन बढ़ जाएगा। इस डिसऑर्डर का शिकार व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा दुबला होना चाहता है। धीरे-धीरे उसकी आदत बहुत कम खाना खाने की हो जाती है। इससे वह कुपोषण की समस्या का शिकार हो सकता है। एनोरेक्सिया उन लोगों को ज्यादा होता है, जो डिप्रेशन के शिकार होते हैं। काउंसलिंग और भूख बढ़ाने वाली दवाइयों के जरिए इस समस्या का समाधान संभव है।