सार

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जेआरडी टाटा को एक ऐसे व्यक्ति के रुप में याद किया जाता है, जिन्होंने अंग्रेजों के कई पूर्वाग्रहों को ध्वस्त करने का काम किया। उन्होंने अपने ही अंदाज में अंग्रेजों को मात दी। 
 

नई दिल्ली. आधुनिक भारत के निर्माताओ में से एक जेआरडी टाटा को भला कौन नहीं जानता। वे सिर्फ एक उद्योगपति ही नहीं थे बल्कि उन्होंने भारतीयों को गर्व करने के कई मौके प्रदान किए। वह 15 अक्टूबर 1932 का दिन था जब जेआरडी टाटा ने पहली बार कराची से मद्रास के लिए उड़ान भरी। यह किसी भी भारतीय द्वारा उड़ाया गया पहला प्लेन था। तब 28 वर्षीय जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या यूं कहें महान जेआरडी टाटा ने इस मिथक को भी ध्वस्त कर दिया, जिसमें यह माना जाता था कि कोई भारतीय प्लेन नहीं उड़ा सकता। अंग्रेज मानते थे कि प्लेन उड़ाने का काम सिर्फ वे ही कर सकते हैं। बाद में वहीं जेआरडी टाटा आधी सदी के बाद भारत के सबसे बड़े उद्योगपति बने। उन्होंने टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया और भारत रत्न पाने वाले पहले भारतीय उद्यमी बने। 

कौन थे जेआरडी टाटा
पेरिस के एक अमीर पारसी परिवार में जेआरडी टाटा का जन्म हुआ था। उनके पूर्वज कई सदियों पहले ईरान से शरणार्थी के रूप में भारत आए थे। उनके पिता का नाम रतनजी दादाभाई टाटा था। उनकी पत्नी फ्रांसीसी मूल की थीं, जिनका नाम सूनी सुजैन था। रतनजी, टाटा संस के संस्थापक जमशेदजी टाटा के करीबी रिश्तेदार थे। लंदन और फ्रांस में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे एक साल के लिए फ्रांसीसी सेना में भर्ती हुए। अपने पिता के निर्देश पर भारत आने के बाद 25 वर्षीय जहांगीर ने बड़ा फैसला लिया। उन्होंने अपनी फ्रांसीसी नागरिकता छोड़ दी और खुद को पूर्ण रुप से भारतीय घोषित करके भारतीय नागरिक बन गए। 

पहले कमर्शियल पायलट बने
उसी वर्ष जहांगीर ने अपने सपने को भी साकार किया। वे कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बने। तीन साल बाद वह भारतीय विमानन उद्योग के बड़े प्लेयर बन गए और भारत की पहली एयरलाइन कंपनी टाटा एविएशन सर्विसेज की स्थापना की। बाद में वह टाटा एयर बन गई। इसे एक एयरमेल सेवा के रूप में शुरू किया गया था। 1946 में टाटा एयर का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया। अपने पिता की मृत्यु के बाद टाटा संस के निदेशक मंडल में वे शामिल हो गए। 1938 में (34) वर्ष की आयु में जहांगीर टाटा संस के अध्यक्ष बने। वह इस पद को संभालने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। 1953 में भारत सरकार द्वारा एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया। हालांकि जेआरडी हैरान थे और नेहरू के अनुरोध पर वे एयर इंडिया के अध्यक्ष बने रहे। 

बने बड़े कार्पोरेट दिग्गज
इसके बाद करीब आधी सदी के तक टाटा के शीर्ष पद पर बने रहे। उनका समूह देश का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट दिग्गज बन गया। यह भारत की पहली प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनी है। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जिसमें टाटा की मौजूदगी न हो। कभी औपनिवेशिक ब्रिटेन के अधिपत्य के बाद यह ऐसी भारतीय कंपनी बनी जिसके पास अब जगुआर लैंड रोवर, टेटली टी, कोरस स्टील और लंदन के सेंट जेम्स कोर्ट होटल जैसे प्रतिष्ठित ब्रिटिश ब्रांड हैं। जेआरडी टाटा ने 1993 में 89 साल की उम्र में जिनेवा में अंतिम सांस ली।

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